मीट मार्केट को लेकर बड़ी तैयारी, क्या सोनीपत में बदल जाएगी दुकानों की सूरत?
सोनीपत नगर निगम मीट मार्केट को नया रूप देने जा रहा है। लंबे समय से सड़कों पर चल रही मीट की दुकानों को व्यवस्थित मार्केट में शिफ्ट किया जाएगा। निगम 57.32 लाख रुपये खर्च करेगा ताकि मीट विक्रेताओं को आधुनिक सुविधाएं मिलें और शहरवासियों को राहत मिले। सुविधाओं की कमी के कारण विक्रेता दुकान किराये पर लेने को तैयार नहीं हैं।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। सोनीपत में नगर निगम जल्द ही मीट मार्केट को नई सूरत देने जा रहा है। लंबे समय से गली-कूचों और मुख्य सड़कों पर चल रही मीट की दुकानों को अब व्यवस्थित मार्केट में शिफ्ट किया जाएगा।
बताया गया कि वर्षों से सुविधाओं के अभाव में खाली पड़ी दुकानों को री-डिजाइन कर निगम आधुनिक सुविधाओं से लैस करेगा, ताकि मीट विक्रेताओं को बाजार में स्थान मिल सके और शहरवासियों को भी सड़कों पर फैली अव्यवस्था से राहत मिले। इस पर नगर निगम 57.32 लाख रुपये खर्च करेगा।
मीट मार्केट में दुकान किराये पर न लेने के पीछे मीट विक्रेता तर्क देते हैं कि मार्केट में कोई सुविधा नहीं है। वहीं, वह दुकान ले भी लेंगे तो अवैध तरीके से मीट बेच रहे विक्रेता उनका काम चलने नहीं देंगे। ऐसे में वहां पर दुकान किराये पर लेना घाटे का सौदा साबित होता है।
वहीं, किराये पर दुकान लेकर व्यापार करने वाले विक्रेता का आरोप है कि वह हर महीने नगर निगम को किराया देते है। इसके बावजूद उन्हें निगम की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। अब बस अड्डे के पास मीट की दुकानें खुल गई हैं और वह अपने पास लाइसेंस होने की बात भी कहते है।
वहीं, ऐसे में उन लोगों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं निगम द्वारा उन लोगों को किसी तरह की सुविधा भी नहीं दी जा रही है। जिस कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
मीट मार्केट में सुविधा नहीं, गली-कूचों में खुली हैं दुकानें
सुविधाओं के टोटे के चलते मीट विक्रेता यहां दुकान किराये पर लेने के लिए राजी नहीं हैं। ऐसे में वर्ष 2021 में हुई बोली का भी मीट विक्रेताओं ने बायकाट कर दिया था। वहीं, अपनी समस्याओं से निगम अधिकारियों को अवगत कराया था। जिसके बावजूद वहां कोई सुविधा नहीं मिली। जिसके चलते शहर में 200 से ज्यादा मीट की दुकानें है। ये दुकानें गली-कूचों व सड़क किनारे हैं।
वहीं, इन दुकानों से निकलने वाली बदबू से आसपास के लोग परेशान हैं। खुले में जानवर काटे जाने से लोगों की भावनाएं भी आहत हो रही हैं। ऐसे में मीट विक्रेताओं को विरोध का भी सामना करना पड़ता है।
ईटीपी न होने से सील तक हो चुकी है मार्केट
स्लाटर हाउस से विक्रेता दूषित पानी सीधे ड्रेन में डालते को मजबूर हैं। जिसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने प्रशासन से की थी। ट्रीटमेंट की कोई सुविधा नहीं होने से कुछ वर्ष पहले स्लाटर हाउस को सील कर दिया गया था। इसके बाद ईटीपी लगाया गया, लेकिन लगने के बाद गाइडलाइन के तहत यहां पर काम नहीं हो रहा था।
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इसके बाद एनजीटी की ओर से ईटीपी को सील किया था। सुविधा न होने के चलते मीट व्यापारी वहां नहीं जाना चाहते हैं। जिसके चलते अब निगम ने सुविधा बढ़ाने का निर्णय लिया है।
पार्षदों ने मार्केट के नवीनीकरण एवं निर्माण की मांग उठाई थी। जिसके बाद संभावनाओं को देखते हुए इसे री-डिजाइन करने का निर्णय लिया गया है। जहां मीट व्यापारियों को सुविधा मिलेगी। वित्त एवं अनुबंध समिति की बैठक में सर्वसम्मति से इसके लिए बजट मंजूर किया गया था। अब टेंडर प्रक्रिया पूरी कर जल्द ही मार्केट का नवीनीकरण किया जाएगा। - हर्षित कुमार, आयुक्त, नगर निगम
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