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    नवरात्र में जौ बोना क्यों है खास? जानिए धार्मिक रहस्य से जुड़े शुभ-अशुभ संकेत और वैज्ञानिक महत्व

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 06:50 PM (IST)

    सोनीपत में नवरात्र के दौरान कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा है जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। जौ को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसके रंग शुभ-अशुभ संकेत देते हैं। अंतिम दिन जौ की पूजा करके घर के दरवाजों पर लगाने से सुख-शांति बनी रहती है और आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है।

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    नवरात्र में जौ बोने का महत्व, धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़ी परंपरा

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। नवरात्र उपासना में कलश स्थापना के साथ ही मिट्टी के पात्र में जौ बोने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आचार्य मनमोहन मिश्रा ने बताया कि यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी जुड़ी हुई है। नवरात्र दो ऋतुओं के संधिकाल को दर्शाता है-चैत्र नवरात्र सर्दी और गर्मी के संधिकाल में तथा शारदीय नवरात्र गर्मी और सर्दी के संधिकाल में आते हैं।

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    जौ : ऋषियों का प्रिय अनाज माना गया

    इस दौरान रबी व खरीफ की फसलें तैयार होती हैं। भूमि की गुणवत्ता और आने वाली फसल की स्थिति जानने के लिए जौ बोने की परंपरा रही है। जौ सबसे पहले अंकुरित होता है, इसलिए इसे समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

    आचार्य मनमोहन मिश्रा ने बताया कि वेदों और उपनिषदों में अन्न को ब्रह्म बताया गया है। ऋग्वेद में भी जौ का उल्लेख मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि जब ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की, तो सबसे पहले जौ ही उत्पन्न हुए। इसी कारण इसे पूर्णसस्य अर्थात पूरी फसल कहा जाता है। जौ को अन्नपूर्णा का स्वरूप और ऋषियों का प्रिय अनाज माना गया है।

    जानें शुभ और अशुभ के संकेत

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्र में उगे जौ शुभ-अशुभ संकेत देते हैं। हरे जौ घर में लक्ष्मी और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं, पीले जौ धर्म व अध्यात्म का द्योतक होते हैं, जबकि सफेद जौ को मां दुर्गा की विशेष कृपा का प्रतीक माना गया है। आधे हरे और आधे पीले जौ संतान सुख व धन लाभ का संकेत देते हैं, वहीं काले जौ या बिल्कुल न उगना अशुभ माना जाता है। ऐसी स्थिति में शांति पाठ कर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

    घर में सुख-समृद्धि को न्योता

    नवरात्र के अंतिम दिन इन जौ की विधिवत पूजा कर घर के दरवाजों पर प्रतिष्ठित किया जाता है। मान्यता है कि इससे मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। जौ की बालियां देवी की कृपा का प्रतीक होती हैं।

    उन्होंने यह भी कहा कि यदि जीवन में आर्थिक तंगी है तो विसर्जन के बाद कुछ जौ को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रखें, इससे धन और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, वास्तु दोष से बचाव के लिए इन्हें लाल वस्त्र में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर रखने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।

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