सोनीपत के इस गांव में बुलडोजर एक्शन की बड़ी तैयारी, जोहड़ की जमीन से कब्जे हटवाएगा प्रशासन
सोनीपत के मनीरपुर गांव में समस्याओं का अंबार है। जोहड़ की सफाई न होने से पानी रास्तों पर भर जाता है और जमीन पर कब्जा हो गया है। सड़कें खस्ताहाल हैं परिवहन और शिक्षा की सुविधाएं भी नहीं हैं। ग्रामीण अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हुई। विस्थापितों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है जिससे उनमें रोष है।

संवाद सहयोगी, राई (सोनीपत)। सोनीपत के राई में सफियाबाद पंचायत के अंतर्गत आने वाले मनीरपुर गांव में समस्याओं के अंबार लगे हुए हैं। जोहड़ की सालों से सफाई नहीं हुई है, जिससे यह हमेशा ओवरफ्लो ही रहता है। जोहड़ का पानी खेतों की तरफ जाने वाले रास्तों पर भरा रहता है, वहीं संपर्क मार्ग भी खस्ताहाल हैं।
जोहड़ की जमीन पर भी कब्जे हो चुके हैं। सड़क के नाम पर गड्ढे रह गए हैं। बार-बार समस्याओं के समाधान की मांग करने के बावजूद भी जिम्मेदार इस तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है, जिससे ग्रामीणों में रोष है। अधिकारियों का कहना है कि जोहड़ की जमीन पर अगर कब्जा किया गया है तो उसकी जांच करवाकर हटवाया जाएगा।
जिले की दिल्ली से लगती सीमा से सटे इस छोटे से गांव में लगभग 350 की आबादी है। यहां लगभग 240 वोट हैं और करीब 80 घर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग लगभग सवा सौ साल पहले दिल्ली से यहां आकर बसे थे। लंबे अंतराल के बाद भी वह वह सभी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिसके वह हकदार हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि रेलवे अंडरब्रिज से होकर सफियाबाद तक जाने वाली सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। अंडर ब्रिज के नीचे कीचड़ और पानी भरा रहता है। जिसमें फिसलकर कई बार लोग दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। गांव को नाहरी से जोड़ने वाली सड़क के भी यही हालात हैं। इस पर पत्थर बिछाकर छोड़ दिया गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सार्वजनिक परिवहन की कोई सुविधा नहीं है। हरियाणा रोडवेज की बसों का कोई फेरा इस गांव के लिए नहीं लगता है। गांव में डिस्पेंसरी, डाकखाना और हाई स्कूल नहीं हैं। पांचवीं कक्षा से आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली की तरफ रुख करना पड़ता है। पढ़ाई की बेहतर सुविधा नहीं होने से युवा वर्ग सरकारी नौकरियों से वंचित है। वर्तमान में गांव में कुल पांच लोग दिल्ली और हरियाणा में सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव की सीमा में लगभग 2700 बीघे जमीन है, पर इसमें से अधिकांश जमीन सफियाबाद तथा दिल्ली के नरेला व बांकनेर गांव के किसानों की है। इसी में कुछ जमीन को किराये पर लेकर पशुपालन कर परिवार पालते हैं।
बताया गया कि गांव में पशुओं का अस्पताल भी नहीं है। गांव का एकमात्र जोहड़ भी गाद से भरा पड़ा है। गाद निकलवाने के लिए वर्षों से मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने आज तक ध्यान नहीं दिया है। करीब चार एकड़ में फैले जोहड़ में वर्षों से इतनी गाद जमा है कि कहीं-कहीं टापू से बने नजर आने लगे हैं।
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नई राजधानी के निर्माण के दौरान अंग्रेजों ने नई दिल्ली के अडगपुर गांव के निवासियों को नाममात्र मुआवजा देकर हटा दिया था। कई परिवारों ने उस समय दिल्ली का हिस्सा रहे सफियाबाद व बांकनेर में जमीन खरीद ली। कुछ परिवार हरसाना मालचा व सफियाबाद में बस गए। विस्थापित लोगों को जमीन का मुआवजा तो मिला, लेकिन शामलात देह का मुआवजा अंग्रेज सरकार ने नहीं दिया। ये परिवार आज भी मुआवजे की बाट जोह रहे हैं। - सुरेंद्र मोर, सफियाबाद
गांव का तालाब गाद से अटा पड़ा है। गंदा पानी निकलकर रास्तों और खेतों में उतर जाता है। इससे खेतों में आने-जाने का रास्ता रुक गया है और खेतों से हरा चारा लाने में एक गढ़ जीत लेने जितना परिश्रम करना पड़ता है। अनेकों बार अधिकारियों को शिकायत दे चुके हैं, लेकिन आज तक समाधान नहीं हुआ। - इंद्रकौर, गृहिणी
जोहड़ की सफाई के बारे में वर्तमान सरपंच सुखबीर सिंह भी कोशिश कर चुके हैं। एमएलए तक भी बात गई है और सांसद सतपाल ब्रह्मचारी भी आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन चुनाव के बाद एक बार भी गांव में नहीं आए हैं। - रमेश, किसान
मनीरपुर गांव में जोहड़ व सड़कों की समस्या का मामला संज्ञान में आया था। ग्राम सचिव से हालात की जानकारी लेकर तालाब की सफाई के निर्देश दिए गए हैं। तालाब की जमीन पर कब्जे को खाली करवाने के लिए भी शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। सड़कों की मरम्मत के संबंध में भी संबंधित विभाग से जानकारी ली जाएगी। - सुरेंद्र आर्य, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, राई
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