सोनीपत के ऐतिहासिक धरोहर को पहचान की दरकार
एटलस साइकिल फैक्ट्री परिसर में स्थित श्रीराम मंदिर सोनीपत का सबसे पुराना मंदिर है जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर को भव्य रूप में सजाया जाता है। सोनीपत-मुरथल रोड पर बनी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा भी सोनीपत का आकर्षण है। शिव प्रतिमा की उंचाई 31 फीट है।
सोनीपत [दीपक गिजवाल]। अगर आप दिल्ली या आसपास के क्षेत्र से हैं और इस बार आसपास किसी ऐतिहासिक जगह की यात्रा करना चाहते हैं तो सोनीपत आपके लिए सही रहेगा। दिल्ली से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोनीपत में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थान हैं जो आपको सुकून देंगे। सोनीपत की ऐतिहासिक धरोहर दर्शनीय हैं लेकिन इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दरकार है। सोसायटी फार डेवलेपमेंट एंड ब्यूटीफिकेशन आफ सोनीपत जिले को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने को लेकर प्रयासरत है।
पांडवकालीन कुआं, मां काली मंदिर (महाभारत काल के दौरान पांडवों ने यहां पर मां काली की पूजा की थी), सतकुंभा (यह चक्रवर्ती सम्राट चकवा बेन की राजधानी था), बढ़खालसा मेमोरियल (सिखों की कुर्बानी का प्रतीक), गांव नाहरी में दादा शंभुनाथ (यहां पर राजा पूर्णमल ने तप किया था), गांव गोरड़ में गुरु गोरखनाथ (बताया जाता है कि यह गुरु गोरखनाथ का वास्तविक धूना है), कोट टीला (इस टीले से भी कई ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हैं), कमासपुर में स्थित भगवान बुद्ध का साधना स्थल (बताया जाता हैं यहां पर भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था) दर्शनीय स्थल हैं। विडंबना है कि इतना सब होने के बावजूद सोनीपत पर्यटन स्थल के दर्जे से वंचित है। यदि सोनीपत को पर्यटन स्थल का दर्जा मिले तो जिला की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी।
पांडवों के मांगे पांच गांवों में शामिल था सोनीपत
पुराणों के अनुसार यह माना जाता है कि पांडवों ने हस्तिनापुर के राजा से युद्ध न करने के लिए जो पांच गांव मांगे थे, उनमें सोनीपत भी था। जो चार गांव थे उनमें सोनीपत, बागपत, तिलपत और इंद्रप्रस्थ थे। हिंदू महाकाव्य महाभारत के अलावा महान व्याकरणविद् पाणिनी की अष्टाध्यायी में भी सोनीपत का उल्लेख मिलता है। यमुना नदी के तट पर स्थित सोनीपत जिला एक मैदानी इलाका है। यहां के अधिकतर हिस्सों में खेती होती है। गेहूं और चावल यहां की प्रमुख फसलें हैं, अन्य फसलों में ज्वार, दलहन, गन्ना, बाजरा, तिलहन और सब्जियां शामिल हैं। इसके अलावा सोनीपत में कई बड़े उद्योग भी हैं।
प्रसिद्ध है ख्वाजा खिजर का मकबरा
सोनीपत में ख्वाजा खिजर का मकबरा बहुत ही प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इसका निर्माण 1522 में किया गया था। भुरभुरा लाल पत्थर से बना यह मकबरा एक ऊंचे से चबूतरे पर स्थापित किया गया है। मकबरे की छत को कई तरह की डिजाइनों से सजाया गया है। इसके अलावा आप सोनीपत में मुगल काल की पुरानी इमारतें भी देख सकते हैं।
सोनीपत में मंदिर
एटलस साइकिल फैक्ट्री परिसर में स्थित श्रीराम मंदिर सोनीपत का सबसे पुराना मंदिर है, जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर को भव्य रूप में सजाया जाता है। सोनीपत-मुरथल रोड पर बनी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा भी सोनीपत का आकर्षण है। शिव प्रतिमा की उंचाई 31 फीट है।
कैसे पहुंचें सोनीपत
दिल्ली से जाने वाले पर्यटकों के लिए सोनीपत सबसे नजदीकी पर्यटन स्थल है। यह जगह इतनी नजदीक है कि दिल्ली से रोजाना काम करने वाले लोग यहां से सफर करते हैं। आप दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से या जीटी रोड करनाल बाईपास से हरियाणा रोडवेज की बसें ले सकते हैं। अगर आप ट्रेन के जरिए जाने की सोच रहे हैं तो नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से नियमित रूप से ट्रेनें चलती हैं।
पयर्टन स्थल के दर्जे के लिए चल रहा है संघर्ष : खत्री
सोसायटी फार डेवलेपमेंट एंड ब्यूटीफिकेशन आफ सोनीपत के सचिव राजेश खत्री बातो है कि सोनीपत के ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलवाने की मुहिम धूमिल होने लगी है। करीब 10 वर्षों से यह मुहिम केवल कागजों में ही चल रही है। सोसायटी फार डेवलेपमेंट एंड ब्यूटीफिकेशन आफ सोनीपत की पहल पर सांसद से लेकर मंत्री तक केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग को पत्र लिख चुके हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दो पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद सोनीपत के पर्यटन स्थलों पर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है।आश्वासनों के बाद भी सोनीपत पर्यटन स्थल के दर्जे से वंचित है।
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