अमेरिका के कारोबारी ने बेटे को पहलवान बनाने के लिए हरियाणा भेजा, द्रोणाचार्य अवार्डी कोच से मिल रही ट्रेनिंग
अमेरिका के न्यूयार्क में बसे भारतीय मूल के कारोबारी ने अपने बेटे अर्जुन को पहलवान बनाने के लिए खरखौदा के स्कूल में दाखिला दिलवाया है।द्रोणाचार्य अवार्डी कोच ओमप्रकाश दहिया उसे हर रोज सुबह ग्राउंड पर ले जाते हैं और कुश्ती के गुर सिखाते हैं।

सोनीपत [नंदकिशोर भारद्वाज]। अमेरिका के न्यूयार्क में बसे भारतीय मूल के कारोबारी ने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए खरखौदा के स्कूल में दाखिला दिलवाया है। मूलरूप से करनाल के रहने वाले नवीन हुड्डा अपनी पढ़ाई के समय में विख्यात क्रिकेटर कपिल देव के साथ क्रिकेट खेलते थे लेकिन वे कारोबार के लिए अपने पिता के साथ न्यूयार्क में बस गए। उनका क्रिकेटर बनने का सपना अधूरा रह गया। अब उन्होंने अपने बेटे अर्जुन हुड्डा को पहलवान बनाने के लिए खरखौदा के प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल में छठी कक्षा में दाखिला दिलाया है। वहीं अर्जुन भी अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए जी-जान और पूरी लगन से जुटा हुआ है।
पानीपत के गांव अहर के रहने वाले सीमा सुरक्षा बल में कमांडेंट सत्यवान खेंची रिश्ते में अर्जुन हुड्डा के फूफा लगते हैं। सत्यवान खेंची ने बताया कि करनाल शहर के रहने वाले नवीन हुड्डा पढ़ाई में मेधावी थे। कंप्यूटर में उनकी खासी रुचि थी। वर्ष 2002 में वे बिल गेट्स से प्रभावित होकर कारोबार के सिलसिले में न्यूयार्क में बस गए। वहीं शादी के बाद उनके दो बेटे हैं। उन्होंने अपने बड़े बेटे वर्ष अर्जुन हुड्डा को पहलवान बनाने के लिए खरखौदा के प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल में दाखिल कराया है। अर्जुन अब छठी कक्षा में पढ़ता है। अर्जुन ने बताया कि उनके पिता का सपना है कि वह पहलवान बने।
द्रोणाचार्य अवार्डी कोच ओमप्रकाश दहिया उसे हर रोज सुबह ग्राउंड पर ले जाते हैं और कुश्ती के गुर सिखाते हैं। वह पहलवान बनने के साथ-साथ यहां रहकर पढ़ाई भी करेगा। अर्जुन का जन्म न्यूयार्क के केंटकी शहर में 24 नवंबर, 2008 में हुआ था। अर्जुन पूरी तरह से विदेशी संस्कारों के साथ पला-बढ़ा है। परिजन चाहते हैं कि उनके बेटे में भारतीय संस्कार हों। जब कभी वे स्वदेश लौटें तो लोग उनके बेटे को विदेशी न कहें।

पिता कपिल देव के साथ खेलते थे क्रिकेट
झारखंड के हजारीबाग में तैनात सत्यवान खेंची ने बताया कि अर्जुन के पिता नवीन पढ़ाई में तो होनहार थे ही, वे खेल में अच्छा प्रदर्शन करते थे। चंडीगढ़ में पढ़ाई के दौरान वे क्रिकेटर कपिलदेव के साथ क्रिकेट खेलते थे। नवीन आलराउंडर थे। उन्होंने कई बार कपिल देव को आउट किया था। अब न्यूयार्क में उनके कई शापिंग माल हैं। कारोबार के सिलसिले में उनका खेल छूट गया।
दादा-पिता की चाहत, बेटा भी उनके जैसा बने
कमांडेंट सत्यवान ने बताया कि अर्जुन के दादा बलवान सिंह, पिता नवीन हुड्डा और मां मंजू चाहते हैं कि उनका बेटा हिंदी भाषा और हरियाणवी बोली सीखे। अर्जुन भारत में रहकर ही हरियाणा और देश की संस्कृति को जाने। वह यहां के तीज-त्योहार, पर्व और सभ्यता सीखे। अर्जुन अब धीरे-धीरे हिंदी और हरियाणवी सीख रहा है। हास्टल में कई बच्चे अर्जुन के दोस्त बन गए हैं।

प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल खरखौदा के प्रिंसिपल धर्मप्रकाश आर्य ने कहा कि अर्जुन हुड्डा पढ़ाई के साथ ही खेलों में भी रुचि ले रहे हैं। वह होनहार छात्र है। यहां पर रहकर वह हिंदी और हरियाणवी सीख रहा है। अर्जुन की कद-काठी भी पहलवान बनने लायक है। हम उसे हर रोज सुबह ग्राउंड पर ले जाकर अभ्यास कराते हैं। कोच ओमप्रकाश दहिया उसे कुश्ती के गुर सिखा रहे हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।