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    डिजिटल अरेस्ट मामला: यूके और चाइना से जुड़े ठगों के तार, हरियाणा पुलिस के लिए आगे की कड़ियां जोड़ना बना चुनौती

    Updated: Thu, 14 Nov 2024 02:41 PM (IST)

    हरियाणा में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस गिरोह के तार इंग्लैंड और चीन से जुड़ रहे हैं। ठगों के सरगना विदेश में बैठकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे थे। ठग विदेशी IP एड्रेस का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे थे। पुलिस ने गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

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    पुलिस के लिए विदेश से गिरोह के ठगों को पकड़ना मुश्किल। फोटो- जागरण संवाददाता।

    नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। देशभर में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के गिरोह चलाने वाले सरगना इंग्लैंड (यूके) और चीन में बैठे हैं। गिरोह के सरगना चीन और यूके की आइपी ठगों को उपलब्ध करवा रहे हैं। गिरोह के शातिर देश में ही बैठकर चीन व यूके की आइपी से फोन कर लोगों से ठगी कर रहे हैं।

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    विदेश से कॉल कर हड़प रहे लोगों की कमाई

    ऐसे गिरोह के सदस्य टेलीग्राम, स्काइप और वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये डायरेक्ट विदेश से कॉल कर लोगों की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं। ठगी गई करोड़ों रुपये की राशि को क्रिप्टो करंसी में कनवर्ट कर व अन्य माध्यमों के जरिये विदेश भेजा जा रहा है।

    सोनीपत साइबर पुलिस ने कई राज्यों के नौ ठगों को गिरफ्तार किया है। ये ठग लोगों को ठगने के लिए यूके व चाइना की आइपी की इस्तेमाल करते थे। अब पुलिस के लिए विदेश से गिरोह के ठगों को पकड़ना मुश्किल हो रहा है।

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    साइबर थाना प्रभारी बसंत कुमार ने बताया कि देशभर के राज्यों में रोजाना साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। शातिर ठग आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को हड़प रहे हैं।

    गिरफ्तार किए आरोपितों ने बताया कि गिरोह के सदस्य टेलीग्राम, स्काइप और वाट्सएप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के जरिये विदेश से सीधे कॉल कर ठगी कर रहे हैं।

    पुलिस की जांच में इन ठगों का आइपी एड्रेस यूके और चीन का निकला लेकिन यह लोग देश के किसी राज्य में बैठकर लोगों को कॉल कर उनके साथ ठगी कर रहे हैं।ठग विदेशी आइपी एड्रेस का इस्तेमाल इसलिए करते हैं, ताकि पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर सके और वे लोगों को अपना शिकार बनाते रहें।

    टेलीग्राम पर ग्रुप बनाकर करते हैं चैट

    साइबर थाना प्रभारी ने बताया कि गिरोह के सदस्य पुलिस की नजर में आने से बचने के लिए टेलीग्राम पर ग्रुप बनाकर चैटिंग करते हैं। इन ग्रुपों में गिरोह के सरगना इन्हें निर्देश देते हैं। चैटिंग के जरिये ही इन्हें लोगों के माेबाइल नंबर व डिटेल्स उपलब्ध कराए जाते हैं।

    ठगी के बाद गिरोह के सदस्य ठगी गई राशि की जानकारी ग्रुप में डालते हैं।इसके बाद गिरोह के अन्य लोग इस राशि को क्रिप्टो करंसी में बदलकर विदेश में सरगना के पास भेज देते हैं।

    कॉरपोरेट कंपनी की तरह रीजनल हेड बनाकर चला रहे गिरोह

    डिजिटल अरेस्ट गिरोह चलाने वाले सरगना कॉरपोरेट कंपनियों की तर्ज पर रीजनल हेड बनाकर गिरोह को चला रहे हैं। ये लोग अलग-अलग लोगों को जिम्मेदारी सौंपते हैं। गिरोह के रीजनल हेड गिरोह के सदस्यों को निर्देशित करता है।

    सदस्य एक-दूसरे को जानते तक नहीं, क्योंकि अगर पुलिस एक सदस्य तक पहुंच भी जाए तो उसे दूसरे सदस्य तक न पहुंच सके। इस गिरोह को लखनऊ के सराय हसनगंज का तुषार प्रताप चला रहा था। उसे उत्तर प्रदेश, गोवा, राजस्थान, गुजरात व कई अन्य राज्यों का रीजनल हेड बना रखा था। तुषार ही ठगे गए रुपयों को विदेश के खातों में ट्रांसफर करता था।

    ये हुए हैं गिरफ्तार

    आरोपितों में मोशिन महाराष्ट्र के पेट सांगली, विरानी विवेक गुजरात के जिला सूरत के धर्ममिष्ठा पार्क, श्रवण उर्फ काकू राजस्थान के जिला जोधपुर के गांव ढाणिया लवेरा, विनेश टांक सूरत, आकाश गोयानी राजस्थान और तुषार प्रताप उत्तर प्रदेश के लखनऊ के सराय हसनगंज, गुजरात के सूरत के दस्तीपुरा बाजार का बिल्ली मोरिया, राजस्थान के जोधपुर के बावड़ी लेखराखुर्द गांव का मुकेश और बावड़ी लेखराखु का ही प्रवीण चौधरी शामिल है।