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    Delhi Election: केजरीवाल के खिलाफ अदालत में केस दायर, 17 फरवरी को पेश होने का नोटिस; पढ़ें पूरा मामला

    Delhi Election 2025 हरियाणा सरकार ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। केजरीवाल पर यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाने का आरोप है। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख तय की है। आगे विस्तार से पढ़िए आखिर पूरा मामला क्या है।

    By Nand kishor Bhardwaj Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 30 Jan 2025 12:00 AM (IST)
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    अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अदालत में केस दायर। फोटो - पीटीआई

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। हरियाणा के रास्ते दिल्ली जाने वाले यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने संबंधी अरविंद केजरीवाल के बयान पर हरियाणा सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया है। हरियाणा सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 2-डी और 54 के तहत दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध सोनीपत के सीजेएम नेहा गोयल की अदालत में केस दायर किया है।

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    कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख तय करते हुए केजरीवाल को पेश होने का नोटिस जारी किया है। वाटर सर्विस डिविजन राई के कार्यकारी अभियंता आशीष कौशिक की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है।

    झूठी चेतावनी जारी करने पर सजा का प्रविधान

    राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि उनके विरुद्ध क्रिमिनल धाराओं में भी केस दायर किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 2-डी में आपदा को परिभाषित किया गया है, जबकि धारा 54 के तहत झूठी चेतावनी जारी करने पर सजा का प्रविधान है।

    कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में झूठी अफवाह फैलाता है, तो उसे एक साल तक जेल या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। संबंधित व्यक्ति की वजह से किसी दूसरे को नुकसान होता है तो आरोपित को दो साल तक सजा का प्रविधान आपदा प्रबंधन अधिनियम में है।

    चुनाव आयोग भी केजरीवाल के खिलाफ कड़ा संज्ञान लेगा

    चंडीगढ़ में विपुल गोयल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का बयान बेतुका और भ्रमित करने वाला है। इस प्रकार के घटिया और गैरजिम्मेदाराना बयान के लिए चुनाव आयोग भी केजरीवाल के खिलाफ कड़ा संज्ञान लेगा। हरियाणा पर यमुना के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाकर केजरीवाल ने घटिया राजनीति की है। उनके विरुद्ध हरियाणा सरकार कानूनी कार्रवाई कर रही है।

    राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि जो पानी दिल्ली को सप्लाई किया जा रहा है, वही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी पीते हैं। केजरीवाल ने यह बयान देकर दिल्ली ही नहीं, हरियाणा की जनता में भी भय फैलाने का काम किया है। दिल्ली सरकार यमुना को स्वच्छ बनाने में पूरी तरह विफल रही है।

    जनता यमुना नदी को मानती है आराध्य 

    चुनाव में अपनी साख बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की जनता पर शर्मनाक और निराधार आरोप लगाए हैं। हरियाणा की जनता यमुना नदी को आराध्य मानती है। इस प्रकार का मिथ्या प्रचार ना केवल हरियाणा का अपमान है, बल्कि दिल्ली के लोगों को गुमराह करने की साजिश भी है।

    विपुल गोयल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने तथाकथित ‘जहरीले पानी‘ को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया। लेकिन उनके पास इस दावे का कोई सबूत नहीं है। केजरीवाल के पास हरियाणा द्वारा पानी में जहर मिलाने और दिल्ली सरकार द्वारा उसे रोक देने का कोई प्रमाण नहीं है। यह प्रमाण उनसे केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी मांगे हैं। अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए झूठ बोलना अरविंद केजरीवाल की पुरानी आदत है।

    मंत्री ने बताया कि दिल्ली के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से केवल 17 ही चालू हैं। यह दिल्ली सरकार की अक्षमता और यमुना नदी की दुर्दशा के लिए उनकी गैरजिम्मेदारी को दिखाता है। दिल्ली सरकार के इस कुप्रबंधन से ना केवल दिल्ली के लोग, बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत और नूंह जिलों के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं।

    आपदा प्रबंधन अधिनियम में 11 अध्याय और 79 धाराएं

    आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अदालत में केस दायर करने पर अदालत मामले की सुनवाई करेगी और फैसला सुनाएगी। आपदा प्रबंधन से जुड़े मामलों में अदालत में रिट याचिका दायर करने का प्रविधान है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में 11 अध्याय और 79 धाराएं हैं। इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) का गठन किया गया है।

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    एनडीएमए की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और एसडीएमए की अध्यक्षता संबंधित मुख्यमंत्री करते हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 2-डी में आपदा को परिभाषित किया गया है, जबकि धारा 54 के तहत झूठी चेतावनी जारी करने पर सजा का प्रविधान है।

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    इस धारा के तहत आपदा या उसकी गंभीरता के बारे में झूठी चेतावनी देने पर सजा का प्रविधान है। झूठी चेतावनी देने पर एक साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है। झूठी चेतावनी देने से दहशत फैलने की स्थिति में भी सजा का प्रविधान है।