फोन हैक कर ठगी करने वाले छह साइबर ठग गिरफ्तार, लोगों को ऐसे बनाते थे शिकार
सोनीपत पुलिस ने साइबर ठगी के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने वाशिंग मशीन ठीक करने के बहाने एक लिंक भेजकर एक व्यक्ति के खाते से 2.98 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने आरोपियों से नकदी मोबाइल और चेक बुक बरामद की है। साइबर अपराध से बचने के लिए व्यक्तिगत जानकारी साझा न करने और अज्ञात लिंक पर क्लिक न करने की सलाह दी गई है।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। सोनीपत में साइबर थाना पुलिस ने फोन हैक कर 2.98 लाख रुपये ठगने के छह साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने वाशिंग मशीन ठीक करने के बहाने से लिंक भेज कर मोबाइल को हैक किया था।
पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर एक लाख रुपये उनके खातों और नौ हजार 700 रुपये, 16 मोबाइल व 31 चेक बुक बरामद की है। आरोपित मनप्रीत पंजाब के बठिंडा, हरप्रीत फाजिल्का, मंदीप उर्फ मोंटी गुरदास और अक्षय हिमाचल के हमीरपुर, विलाश राजस्थान के श्रीगंगानगर और दीपक बिहार के छपरा का रहने वाला है।
गांव नाहरा के रहने वाले विरेंद्र ने साइबर थाना पुलिस को शिकायत दी थी कि उनकी वाशिंग मशीन खराब हो गई थी। जिसके चलते उन्होंने 20 अगस्त को इंटरनेट पर कंपनी के सर्विस सेंटर के नंबर को सर्च कर फोन काल की थी। इसी दौरान उनके वॉट्सएप पर एक एप्लीकेशन का लिंक आया। जिसे खोल कर विवरण करने के लिए कहा गया। जब उसने विवरण भरा तो यूपीआइ से पांच रुपये ट्रांसफर मांगे गए। जिसके बाद उसने विवरण नहीं भरा और एप्लीकेशन बंद कर दी।
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विरेंद्र का कहना है कि इसके बाद उनका फोन हैक हो गया। दो दिन बाद उसने फोन केयर पर जाकर फोन को ठीक करवाया तो सारा डाटा डिलीट हो चुका था। इसके बाद उनके पिता के खाते से रुपये कटने के मैसेज फोन पर आए। उनके खाते से 2,98,931 रुपये ट्रांसफर हुए थे। जिसके बाद उन्होंने तुरंत यूपीआइ बंद किया।
वहीं, बैंक से जानकारी ली तो पता चला कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है। शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। अब साइबर थाना पुलिस ने छानबीन कर पंजाब से छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
जागरण सुझाव : बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- किसी के कहने पर थर्ड पार्टी एप डाउनलोड ना करें
- अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, कोई ओटीपी मांगे तो न दें
- किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से और किसी के पर कोई भी एप इंस्टाल न करें
- इंटरनेट मीडिया पर अपनी निजी जानकारियां शेयर न करें
- गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर जैसे भरोसेमंद प्लेटफार्म से ही एप डाउनलोड करें
साइबर अपराधी पहले लोगों की व्यक्तिगत जानकारी इंटरनेट मीडिया या अन्य आनलाइन प्लेटफार्म से जुटाते है। इसके बाद कोई लिंक भेज कर फोन को हैक कर देते है। ताकि ओटीपी उनके पास ही जाए। इसके बाद वारदात को अंजाम देते है। व्यक्तिगत या खाते से संबंधित जानकारी साझा करने से बचना चाहिए। साइबर क्राइम का शिकार हो जाए तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर-1930 पर सूचना दें। - कुशल पाल सिंह, एसीपी, साइबर क्राइम
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