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    CJI सूर्यकांत ने की न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात, कहा- ईमानदारी ही वास्तविक सफलता का एकमात्र शाॅर्टकट

    Updated: Sat, 29 Nov 2025 06:12 PM (IST)

    ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ईमानदारी को डिजिटल युग में सफलता का एकमात्र रास्ता बताया। केशवानंद भारती मामले पर चर्चा हुई और न्यायाधीशों के तनावपूर्ण कार्य पर भी बात की गई। मंत्री अर्जुन मेघवाल ने राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास पर प्रकाश डाला।

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    जागरण संवाददाता, सोनीपत। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को हुआ, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्या कांत मुख्य अतिथि रहे। सम्मेलन का विषय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों का व्यापक परिप्रेक्ष्य रहा।

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    इस अवसर पर कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान विश्व के सबसे बड़े मूट कोर्ट न्यायाभ्यास मंडपम् को राष्ट्र को समर्पित किया गया तथा ईमानदार (ईमानदार-इंटरनेशनल मूटिंग एकेडमी) का औपचारिक लोकार्पण भी किया गया।

    मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत ने विधि विद्यार्थियों को कहा कि कानून का अध्ययन कठिन होने के साथ प्रेरणादायक भी है। उन्होंने ईमानदारी को न्याय और प्रतिष्ठा बनाए रखने वाला अनुशासन बताया। वर्तमान डिजिटल युग की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डीपफेक, गलत सूचनाएं और डिजिटल गिरफ्तारियों के दौर में ईमानदारी केवल आदर्श नहीं, बल्कि अस्तित्व का सहारा है और यही वास्तविक सफलता का एकमात्र वैध शार्टकट भी है।

    उन्होंने कहा कि जब भी कोई याचिका हमारे सामने आती है तो हम सभी तथ्यों व कानून पर विचार कर संविधान के उस मूल वादे को भी याद रखते हैं, जिसके तहत हम सभी ने एक समाज के रूप में रहना स्वीकार किया है।

    कार्यक्रम में ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामला और उसके संवैधानिक प्रभाव पर आधारित नाट्य-प्रस्तुति की गई, जिसमें अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता डा. अभिषेक एम. सिंघवी व सिद्धार्थ लूथरा ने भाग लिया।

    इसके बाद 13-न्यायाधीशों की अभूतपूर्व चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने 1973 के उस फैसले पर अपने विचार साझा किए जिसने मूल संरचना सिद्धांत को स्थापित किया। इस ऐतिहासिक चर्चा में मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत के साथ न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना सहित सर्वोच्च न्यायालय के 12 अन्य न्यायाधीश उपस्थित रहे।

    न्यायाधीशों के कार्य को बताया बेहद तनावपूर्ण

    मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि जजों को मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए ताकि वे खुद को रिचार्ज कर सकें। सीजेआई ने कहा कि जजों के काम के घंटे लंबे होते हैं और उनका काम बेहद तनावपूर्ण होता है।

    उनके काम की प्रकृति को देखते हुए उन्हें मनोरंजक गतिविधियां करनी चाहिए। मनोरंजक गतिविधियों में वे गतिविधियां शामिल की जाती हैं, जिन्हें लोग अपने शरीर और दिमाग को तरोताजा करने के लिए करते हैं। इनमें खेलकूद, योग-ध्यान, तैराकी या पैदल चलना हो सकता है।

    राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास पर डाला प्रकाश

    मंत्री अर्जुन मेघवाल ने राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डाॅ. बीआर आंबेडकर की महत्वपूर्ण दलीलों के कारण तिरंगे में चरखे के स्थान पर अशोक चक्र जोड़ा गया। सम्मेलन में 17 मुख्य न्यायाधीश व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश, 10 पूर्व मुख्य न्यायाधीश व पूर्व जज, 10 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश, 14 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, 6 मंत्री एवं सांसद, 61 वरिष्ठ अधिवक्ता और 91 शिक्षाविद व वकील शामिल हुए।

    दो दिवसीय यह आयोजन इस विचार पर केंद्रित है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र की मूल संरचना का अनिवार्य तत्व है—जहां न्यायिक संस्थाएं किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक प्रभाव से मुक्त रहकर कार्य करती हैं। अंत में, जिंदल ग्लोबल लाॅ स्कूल का परिचय प्रो. (डाॅ.) दीपिका जैन ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. डबीरु श्रीधर पटनायक ने प्रस्तुत किया।

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