दीपावली के बाद दौड़ेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन! हरियाणा के दो जिलों के बीच चलाने की तैयारी
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दीपावली के बाद सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच चलने के लिए तैयार है। जींद में हाइड्रोजन प्लांट में टेस्टिंग चल रही है। यह ट्रेन प्रदूषण रहित होगी और इसमें 2,638 यात्री सफर कर सकेंगे। प्लांट में रोजाना 430 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन होगा। यह भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेगा।

बोगियों व इंजन समेत पूरी ट्रेन दिल्ली के शकूरबस्ती यार्ड में खड़ी।
जागरण संवाददाता, सोनीपत। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बनकर तैयार है। बोगियों समेत पूरी ट्रेन दिल्ली के शकूरबस्ती स्थित यार्ड में खड़ी है। वहीं जींद में हाइड्रोजन प्लांट में रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की ओर से टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
इसके बाद रेलवे की एक अन्य विंग टेस्टिंग करेगी। इस पूरी प्रक्रिया में 10 दिन का समय लगने की उम्मीद है। इसके बाद ट्रेन को हरी झंडी दी जाएगी। अगर कोई अड़चन नहीं आई तो अधिकतम इस महीने के अंत तक यह ट्रेन पटरी पर आ जाएगी।
इसके बाद सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ेगी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव अपने एक्स हैंडल से इस ट्रेन की विशेषताओं को बताने वाला एक वीडियो जारी कर चुके हैं।
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच चलने के लिए तैयार है। इसके लिए जींद में हाइड्रोजन प्लांट तैयार हो चुका है, वहां टेस्टिंग की प्रक्रिया चल रही है। वहीं लखनऊ में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का इंजन व बोगियां बनकर दिल्ली आ चुकी हैं।
पूरी ट्रेन कई दिन से दिल्ली के शकूरबस्ती यार्ड में खड़ी हुई है। दीपावली के बाद रेलवे की ओर से सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएंगी। इसके बाद ट्रेन सवारियों को लेकर फर्राटा भरेगी। हाइड्रोजन ट्रेन का शुभारंभ भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि न तो इसमें बिजली की जरूरत होगी और न ही किसी अन्य इंधन की।
हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह से प्रदूषण रहित नमो ग्रीन रेल है। सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच ट्रैक की लंबाई करीब 89 किलोमीटर है। यह ट्रेन 110-140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ने में सक्षम है। ट्रेन में एक बार में 2,638 यात्री सफर कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट पर 120 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।
- 89 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर चलेगी हाइड्रोजन ट्रेन।
- 08 बोगियां इस ट्रेन में हैं।
- 110 से 140 किमी प्रतिघंटा की गति से दौड़ने में सक्षम हैं।
- 2638 यात्रियों की क्षमता इस ट्रेन की है।
- 430 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन रोजाना जींद के प्लांट में होगा।
जींद के प्लांट में हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू
जींद में लगाए गए प्लांट में हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू हो चुका है। फिलहाल इसकी टेस्टिंग चल रही है। रेल मंत्रालय की अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन विंग जांच कर रही है। यह विंग प्लांट के उपकरणों के डिजाइन व मानकीकरण की जांच के बाद रेलवे बोर्ड, क्षेत्रीय रेलवे व रेलवे के उत्पादन इकाइयों को अपनी रिपोर्ट देगी। प्लांट में रोजाना 430 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा।
ट्रेन को हाइड्रोजन की आपूर्ति इसी प्लांट से की जाएगी। प्लांट में ईंधन भरने वाले स्टेशन में तीन हजार किलो हाइड्रोजन भंडारण, कंप्रेसर और तेज़ ईंधन भरने के लिए प्री-कूलर इंटीग्रेशन वाले दो डिस्पेंसर भी लगाए गए हैं। हाइड्रोजन फ्यूल सेल द्वारा संचालित यह ट्रेन डीजल ट्रेनों के विपरीत इमिशन के रूप में सिर्फ पानी और उष्मा पैदा करेगी।
आठ बोगियों वाली ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है, जो हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक पर आधारित होगी। यह ट्रेन पारंपरिक डीजल ट्रेनों का एक पर्यावरण एवं अनुकूल विकल्प होगी। इसमें हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाएगा। यह ट्रेन शून्य कार्बन उत्सर्जन करेगी। इस ट्रेन का ईंजन धुएं की बजाय पानी व भाप छोड़ेगा, जिससे पर्यावरण पर कोई असर नहीं होगा।
सबसे ज्यादा क्षमता वाला इंजन होगा
अभी तक दूसरे देशों ने 500 से 600 हार्सपावर की क्षमता वाली हाइड्रोजन ट्रेनें बनाई गई हैं। भारत में 1200 हार्सपावर की क्षमता वाला इंजन तैयार किया गया। हाइड्रोजन ट्रेन मौजूदा रेल संसाधनों के साथ आसानी से काम कर सकती हैं। आठ कोच वाली यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक होगी।
यह लंबी दूरी के रूट खासकर पहाड़ी व हैरिटेज मार्गों पर प्रभावी ढंग से काम करेगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक डीजल इंजनों की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल है। यह ट्रेन कम ईंधन में ज्यादा दूरी तय करेगी, जिससे परिचालन लागत में कमी आएगी। हाइड्रोजन ट्रेन डीजल ट्रेनों की तुलना में बहुत कम शोर करती हैं, जिससे यात्रियों को शांत और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा।
यह ट्रेन भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके तैयार की गई है। यह तकनीक पर्यावरण को स्वच्छ रखती है। इससे स्पष्ट है कि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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ट्रेन व प्लांट बनकर तैयार हैं। आरडीएसओ के विशेषज्ञ प्लांट के उपकरणों की गहन जांच कर रहे हैं। इसके बाद रेलवे की एक और विंग टेस्टिंग करेगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 10 दिन का समय लगने की उम्मीद है। इसके बाद देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को पटरी पर उतारा जा सकता है।
- संजय कुमार, जींद स्थित हाइड्रोजन प्लांट के प्रभारी
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