अब गर्मियों में गुरुग्राम में नहीं होगी पेयजल किल्लत, 2100 करोड़ खर्च करके रोकी जाएगी पानी की बर्बादी
हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम वाटर चैनल को भूमिगत पाइपलाइन में बदलने का फैसला किया है, जिस पर लगभग 2100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना से गुरुग्राम को ही पेयजल मिलेगा, जबकि खरखौदा और झज्जर जैसे क्षेत्रों को एनसीआर वाटर चैनल से जोड़ा जाएगा। इस कदम से पानी की बर्बादी कम होगी और गुरुग्राम की पेयजल आपूर्ति सुरक्षित होगी।

हरीश भौरिया, खरखौदा। गुरुग्राम की पेयजल आवश्यकताओं को सुरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गुरुग्राम वाटर चैनल को भूमिगत पाइपलाइन में बदलने का फैसला किया है। लगभग 2100 करोड़ रुपये की लागत से इस नहर को आधुनिक तकनीक से पूरी तरह बदला जाएगा।
सिंचाई विभाग के अनुसार इस समय नहर की हालत जर्जर है और जगह-जगह से लीक होने के कारण पानी का नुकसान हो रहा है। ऐसे में सरकार ने नहर को बंद पाइपलाइन स्वरूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। जनवरी से इसका काम शुरू होगा।
मौजूदा खुली नहर पूरी तरह बंद कर इसकी जगह पाइपलाइन बिछाई जाएगी। यह बदलाव न केवल जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि अवैध कटों और लीकेज को भी रोकने में मदद करेगा। पाइपलाइन बनने के बाद पानी की गुणवत्ता, दबाव और सप्लाई में निरंतरता सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके साथ ही अकसर होने वाली पानी की चोरी पर भी लगाम लग जाएगी।
परियोजना के बाद एक बड़ा बदलाव यह होगा कि भविष्य में इस नहर से केवल गुरुग्राम को ही पेयजल मिलेगा। वर्तमान में इस नहर के जरिए सोनीपत के खरखौदा, थाना सहित झज्जर जिले निलौठी, जसौरखेड़ी व बहादुरगढ़ सहित कुछ गांवों में भी पानी पहुंचता है, लेकिन पाइपलाइन प्रणाली लागू होने के बाद यह सुविधा समाप्त हो जाएगी। इन क्षेत्रों को सप्लाई के लिए अब एनसीआर वाटर चैनल से नए कनेक्शन लेने पड़ेंगे।
क्यों लेना पड़ा यह निर्णय?
सिंचाई विभाग की रिपोर्ट में बताया गया कि नहर की खस्ता हालत सेवा क्षमता को लगातार प्रभावित कर रही है। गर्मियों में पानी का दबाव घटने से गुरुग्राम में पेयजल संकट तक खड़ा हो जाता है। वहीं नहर के खुले होने के कारण प्रदूषण, अवैध कटों और रिसाव की समस्या आम थी। इन परिस्थितियों को देखते हुए विभाग ने लंबे समय से बंद ढांचे में बदलने की योजना तैयार की थी, जिसे अब सरकार से मंजूरी मिल गई है।
जनवरी में शुरू होगा काम
अधिकारियों के मुताबिक परियोजना पर करीब 21 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे और इस कार्य के लिए जनवरी 2026 में टेंडर प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। लक्ष्य है कि तीन वर्षों में पूरी पाइपलाइन सिस्टम को तैयार कर दिया जाए।
इसके तहत चरणबद्ध तरीके से नहर को बंद किया जाएगा, नई पाइपलाइन बिछाई जाएगी और गुरुग्राम के ट्रीटमेंट प्लांट्स तक सीधा कनेक्शन स्थापित होगा। ताकि वहां की 40 लाख जनसंख्या को 400 एमएलडी के चंदू बुढेड़ा व 270 एमएलडी के बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पर्याप्त पानी शोधित कर पिलाया जा सके।
आसपास के जिलों पर पड़ेगा असर
परियोजना के बाद सोनीपत और झज्जर के कुछ क्षेत्र, जहां अभी इस नहर से पानी सप्लाई होता है, उन्हें वैकल्पिक स्रोत से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए एनसीआर वाटर चैनल से इन इलाकों को कनेक्शन देकर सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी ताकि स्थानीय लोग प्रभावित न हों, जिसके लिए स्थानीय स्तर पर जन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तैयारी कर ली गई है। खरखौदा में रोहतक मार्ग से होकर गुजरने वाली एनसीआर वाटर चैनल से पुराने जल घर व दिल्ली मार्ग स्थित नए जलघर में पानी लाया जाएगा।
जल प्रबंधन में बड़ा सुधार
पाइपलाइन प्रणाली लागू होने के बाद पानी की बर्बादी लगभग शून्य हो जाएगी और गुरुग्राम की बढ़ती आबादी के हिसाब से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने में यह परियोजना अत्यंत उपयोगी साबित होगी। जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए यह हरियाणा की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा ककरोई हेड से निकलने वाली गुरुग्राम वाटर चैनल को अब पाइपलाइन के जरिए बंद करने की मंजूरी दे दी गई है। 21 सौ करोड़ की इस परियोजना पर जनवरी में टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसके बाद तीन वर्ष में खुली नहर को पाइपलाइन में तब्दील किया जाएगा।
- यशपाल, एसडीओ, सिंचाई विभाग

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