बेटे ने कहा, मर जाने दो तो बेटियों ने उठाई मां की अर्थी
पड़ोसियों ने बीमार महिला के बेटे को फोन किया तो उसने कहा कि मर जाने दो। मां जब मरी तो बेटा नहीं आया। फिर बेटियों ने मां की अर्थी उठाई। पंचायत ने भी बेटे से रिश्ते तोड़ दिए।
जेएनएन, डबवाली (सिरसा)। कबीर बस्ती की गली नंबर 14 में रहने वाली भागवंती देवी अंतिम सांसें गिन रही थी। वह शुक्रवार को मोहल्ले वालों के आगे गिड़गिड़ाकर बोली, कोई तो मुझे मेरे बेटे से आखिरी बार मिला दो। इस पर जब बेटे को फोन किया गया तो उसने जवाब दिया कि उसे मर जाने दो, मैं नहीं आऊंगा। इसके बाद शाम 6 बजे वह चल बसी।
पड़ोसियों ने उसके बेटे को मौत की सूचना दी, लेकिन वह नहीं आया। इस पर 18 घंटे के इंतजार के बाद महिला की चार बेटियों रजनी बाला, रिंकू, पूजा तथा सोनू ने अपनी मां की अर्थी उठाई और अपने 10 साल के छोटे भाई हरबंस के साथ मिलकर दाह संस्कार कर दिया। संस्कार के बाद जब बड़ा बेटा घर पहुंचा तो उसकी बहनों ने बाहर से ही लौटा दिया। और तो और पंचायत करके उसके साथ सभी रिश्ते तोड़ने जैसा बड़ा फैसला भी कर डाला।
कबीर बस्ती में रहने वाली मंजू बाला ने बताया कि भागवंती देवी ने घरों में बर्तन मांजकर या चूल्हा चौका करके बच्चों की परवरिश की थी। उसने बताया कि भागवंती का बेटा अपने परिवार के साथ ऐलनाबाद में अलग रहता है। भागवंती देवी आखिरी सांस तक वह अपने बेटे को पुकारती रही। मंजू के अनुसार उसने स्वयं उसे कई बार बुलाया, लेकिन उसने पैसे न होने की बात कहकर इन्कार कर दिया था।
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