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    हरे कपड़ों में आए समर्थक, तो किसी ने अंतिम संस्कार के बाद खाई रोटी; ओपी चौटाला को ऐसे दी गई आखिरी विदाई

    Updated: Sun, 22 Dec 2024 10:40 AM (IST)

    हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala Death News) का शुक्रवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। शनिवार को सिरसा स्थित तेजाखेड़ा फार्म हाउस में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। शाम 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में समर्थकों का ग्रीन ब्रिगेड दिखाई दिया।

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    ओपी चौटाला के पार्थिव शरीर को कंधा देते उनके बेटे अभय सिंह चौटाला व अजय सिंह चौटाला

    सनमीत सिंह, डीडी गोयल, सिरसा। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के अंतिम दर्शनों में चौटाला की ग्रीन बिग्रेड भी दिखाई दी। इनेलो के पुराने उम्रदराज कार्यकर्ता हरी पगड़ी पहने तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर पहुंचे। कई तो पगड़ी, कुर्ता और पाजामा भी हरा ही पहनकर पहुंचे।

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    पूर्व सीएम चौटाला के सिर पर हरी पगड़ी तथा चश्मा पहनाकर उन्हें जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया तो ग्रीन ब्रिगेड ने चौधरी चौटाला अमर रहे, हरियाणा का बब्बर शेर अमर रहे के नारों से अंत्येष्टि स्थल गूंजयामान कर दिया।

    अंतिम समय में अपने नेता के प्रति उनकी इतनी समर्पण भावना थी कि सुबह से ही भूखे प्यासे तेजाखेड़ा फार्म पर पहुंचे और शाम चार बजकर पांच मिनट पर अंतिम संस्कार के बाद ही खाना खाया।

    हरा रंग म्हारी पहचान

    हरे रंग की पगड़ी पहने महम चौबीसी से पहुंचे बलवीर मलिक का कहना है कि हरे रंग की पगड़ी तो म्हारी पहचान सै। यह पहचान हमें ताऊ देवीलाल से मिली, पगड़ी को चौटाला साहब ने संभाल लिया। चौटाला साहब के कारण यह हमारा सम्मान बन गई।

    एकबार जब चौटाला साहब अस्वस्थ थे, एम्स दिल्ली में दाखिल थे। मैं मिलने गया तो पीएसओ ने मुझे रोक लिया। बोले कि मिलने का समय समाप्त हो गया है। मैंने उसे एक स्लिप दी, क्योंकि चौटाला साहब को वर्कर की पहचान होती थी। स्लिप पर नाम पढ़ते ही मुझे बुला लिया।

    सिर से पैरों तक हरे रंग में पहुंचा युवक

    सोनीपत जिले के लाट गांव निवासी महिपाल लाट सिर से लेकर पैरों तले हरे कपड़े पहनकर पहुंचा। इसका कारण बताते हुए महिपाल ने कहा कि वह करीब 30 साल से वह ऐसे कपड़े पहन रहा है। वजह है चौधरी देवीलाल का न्याय युद्ध।

    1986-87 के दौर में न्याय युद्ध में हरियाणा के तीन लोग मारे गए थे। जिसमें से उसका ताऊ बलवीर सिंह भी शामिल था। उन दिनों देवीलाल उनके ताऊ की तेरहवीं तक उनके घर पर ठहरे थे। वह तो इनेलो का भक्त है।

    उसके पास ऐसी पांच ड्रेस हैं। वह बैंक में गार्ड की नौकरी करता है। जब वह नौकरी जाता है तो भी इसी ड्रेस में जाता हूं। बैंक में जाकर ड्रेस चेंज करता हूं। आज चौटाला साहब के अंतिम दर्शन करने आया हूं।

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    घर से केवल चाय पीकर निकला- राजेंद्र

    नरवाना के इस्माइलपुर गांव के पूर्व सरपंच राजेंद्र अंतिम संस्कार के बाद पार्किंग स्थल पर खाना खा रहे थे। बातचीत करने पर बताया कि ओपी चौटाला ने जब साल 2000 में नरवाना से चुनाव लड़ा था, तब वह गांव के सरपंच बने थे। चौटाला साहब से जुड़े रहे।

    शनिवार सुबह घर से केवल चाय पीकर आया था। अब उनके अंतिम संस्कार के बाद ही रोटी खा रहा हूं। बड़े चौधरी उनके पिता के बराबर थे। उनके जाने के बाद अन्न भी गले से नहीं उतर रहा।

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