उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि चौधरी साहब ने ही उन्हें राजनीति में लाने का फैसला किया था। धनखड़ ने चौटाला को किसानों और ग्रामीण विकास का प्रबल समर्थक बताया। उन्होंने कहा कि चौटाला का निधन एक बड़ी क्षति है। उन्होंने ही मेरे उज्ज्वल भविष्य का फैसला लिया था।
संवाद सहयोगी, डबवाली। देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के अंतिम दर्शनों के लिए तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर पहुंचे। अंतिम दर्शन करते समय वे भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज जो मैं हूं, उसका निर्णय चौधरी साहब ने किया था। दो बड़े महानुभावों को मैंने मना कर दिया था। मैं वकालत करना चहता था। लेकिन चौधरी साहब बोले- निर्णय मैंने ले लिया है।
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चौधरी साहब का लगाया वो बीज आपके समक्ष उपस्थित है। जगदीप धनखड़ ने कहा कि पांच दिन पहले चौधरी साहब से मेरी बात हुई थी। मेरे स्वास्थ्य का पूछ रहे थे। 35 साल पहले का वो दिन जब बीज के रूप में चौधरी साहब ने ताऊ देवीलाल के आशीर्वाद से मुझे समझाया कि प्रीडर का प्री हटा दो।
मैंने कहा कि प्रीडर हूं। चौधरी साहब ने मेरी यात्रा शुरू करवाई। मेरा हाथ पकड़ा, अर्थ बल दिया, दर्शन दिए और मुझे नौवीं लोकसभा में निर्वाचित करवाया। मंत्री पद दिया, मैं कभी नहीं भूल सकता।
'चौटाला परिवार के साथ पुराना नाता'
उन्होंने कहा कि चौटाला परिवार के साथ पुराना नाता है। मेरे इकलौते बेटे की मौत हो गई तो पूरा चौटाला परिवार जयपुर आया। चौटाला साहब ने कहा कि महाभारत के अर्जुन भी अपने बेटे को बचा नहीं पाए, तुम आगे बढ़ते रहो। सात बार विधायक, पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे चौधरी साहब को परिभाषित नहीं करता। धनखड़ ने कहा कि चौधरी साहब ने किसान, गांव के विकास को प्राथमिकता दी। यह उनका संकल्प, ध्येय था तथा उद्देश्य था।
वर्ष 1989 में देश में बड़ा बदलाव आया। इसके सूत्रधारों में से एक थे। कुछ भी हालात हो, किसान हित, ग्रामीण विकास को नहीं छोड़ा। हालांकि शासन और व्यवस्था किसान के प्रति क्रूर होती है। चौधरी साहब की सोच थी कि देश का उत्थान, विकास, प्रगति, यह सब किसान और गांव के विकास से जुड़ा हुआ है।
गले में खराश थी, विशेष लड्डू दिए
भावुक हुए महामहिम ने कहा कि ऐसा कोई ऐसा मौका नहीं आया, जब चौधरी साहब ने मेरी चिंता नहीं की। जब राज्यपाल बनने के बाद आशीर्वाद लिया तो उस समय मेरे गले में खराश थी। चौधरी साहब ने उसी समय एक विशेष प्रकार का लड्डू खाने को दिया। साथ ही अपने कर्मचारियों से कहा कि पैक कर दो। नीचे उतरा तो पूरी की पूरी टोकरी गाड़ी में रखी हुई थी।
प्रेरणा स्वरूप व्यक्तित्व जाता है तो बड़ी विपदा आती है
जगदीप धनखड़ अपनी पत्नी डा. सुदेश धनखड़ के साथ चौटाला के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे थे। धनखड़ ने कहा कि ऐसा प्रखर वक्ता, ऐसा स्पष्टवादी, निर्भिक व्यक्ति, ऐसी रीढ़ वाला व्यक्ति ग्रामीण व्यवस्था के प्रति समर्पित रहा। इन्होंने जो दार्शनिक रूप अपनाया, संकट झेले, व्यवस्था की क्रूरता देखी। वो एक प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि चौधरी साहब देवीलाल के दिखाए रास्ते पर ताउम्र चलते रहे। सोच थी कि विकसित भारत का सपना किसान के खेत से निकलेगा। ग्रामीण विकास से निकलेगा। मैं उस मजबूती तक नहीं पहुंच पा रहा हूं, जो मजबूती मैंने चौधरी साहब में देखी है। वो अनुकरणीय है, मार्ग प्रशस्त करती है। मेरा मन कल से विचलित है। उम्र हो गई थी। लेकिन प्रेरणास्वरुप व्यक्तित्व जाता है तो बड़ी विपदा आती है।
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