Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gurunanak Jayanti 2023: गुरुद्वारा चिल्ला साहिब में 40 दिन का तप... फिर गुरु नानक देव ने पीरों का किया था अहंकार खत्म

    By Jagran NewsEdited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Mon, 27 Nov 2023 11:47 AM (IST)

    आज यानी सोमवार को गुरु नानक जयंती है और इस दिन सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव ने अपने जीवन में चार उदासी की। इस दौरान उन्होंने हरियाणा की धरती की यात्रा पहली व दूसरी उदासी के समय की। पहली उदासी में वे कुरुक्षेत्र करनाल जींद और कैथल गए। जबकि दूसरी उदासी में बठिंडा से सिरसा व बीकानेर गए।

    Hero Image
    हरियाणा के सिरसा जिल में स्थित गुरुद्वारा चिल्ला साहिब का नजारा

    जागरण संवाददाता, सिरसा। Gurunanak Jayanti 2023: सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) ने अपने जीवन में चार उदासी की। इस दौरान हरियाणा की धरती पर उनका आगमन पहली और दूसरी उदासी के समय हुआ। जिसमें वे चार जिलों में गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पहली उदासी में वे कुरुक्षेत्र , करनाल, जींद और कैथल जिलों में गए। जबकि दूसरी उदासी में वे बठिंडा से सिरसा में आए और राजस्थान के बीकानेर में चले गए। पहली और दूसरी उदासी पंजाब के सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई, जबकि तीसरी और चौथी उदासी करतारपुर से शुरू हुई।

    दूसरी उदासी के समय गुरु नानक देव सिरसा पहुंचे

    दूसरी उदासी के समय गुरु नानक देव बठिंडा से होते हुए विक्रमी संवत 1567 को सिरसा पहुंचे। सिरसा में उस समय मुसलमान फकीरों का मेला लगा हुआ था। गुरु का पहनावा बड़ा अनोखा था।

    पांव में खड़ाऊ थे, माथे पर तिलक और हाथ में आसा। सिर पर रस्सा बंधा था। ऐसा पहनावा देखकर लोग उनके नजदीक आ गए। गुरुनानक ने मरदाने से कहा कि छेड़ रबाब। मरदाने ने रबाब बजाया।

    ताबीज से लोगों को ठीक करने का दावा करते थे पीर

    पीर अपने आप को करामाती मानते थे। वे धागा और ताबीज से लोगों को ठीक करने का दावा करते थे। वे खुद को खुदा के करीब बताते थे। पीर बहावल और ख्वाजा अब्दुल शकुर खुद को करामाती बताते थे और धागे तबीज करते थे। दोनों अपनी महफिल को छोड़कर गुरुनानक देव के पास गए।

    ये भी पढे़ं- हरियाणा सीएम मनोहर लाल ने बेटियों को दिया एक और उपहार, अब निजी कॉलेजों की फीस भी भरेगी सरकार

    गुरु नानक देव उपदेश कर रहे थे कि खुदा को सदा याद करना चाहिए। ये सुनकर पीर बहावल ने उनसे पूछा कि तुम हिंदू हो या मुसलमान। गुरु नानक ने उत्तर दिया कि ना मैं हिंदू, ना मैं मुसलमान, मैं खुदा का बंदा हूं। उनकी बंदगी करने आया हूं।

    आप जैसे पीरों को क्रोध करना अच्छा नहीं- गुरु नानक देव

    गुरु नानक देव ने पीर की जंतर-मंतर की सारी शक्ति खींच ली। बहावल ने कहा तुम लोगों को उपदेश दे रहा हैं। तुमनें कौन सी तपस्या या साधना की है। गुरु नानक देव ने कहा कि पीर जी बैठे। आप जैसे पीरों को क्रोध करना अच्छा नहीं है। मैं तो वहीं करता हूं, जो मेरा निरंकार मेरे को करने के लिए कहता है।

    शर्मिंदा हुए पीर भी गुरु नानक देव को परखना चाहते थे। उन्होंने चुनौती दी कि अगर तुम बलवान हो हमारे साथ कोठरियों में बैठकर तप करो। लगातार 40 दिन तक कुछ भी नहीं खाना।

    सिर्फ जौ का एक दाना और एक घूंट पानी पीना है। मुसलमान फकीरों ने अपने साथ पानी के मटके रख लिए। इसके बाद चारों अलग अलग कोठरियों में तप करने लग गए। गुरु जी ने ना तो जौ के दाने रखे और ना ही पानी।

    ये भी पढे़ं- 'गांधी-नेहरू परिवार के बिना नहीं चल सकती कांग्रेस', अनिल विज ने परिवारवाद पर बोला हमला