दुर्गा अष्टमी पर कंजकों की पूजा कर लिया आशीर्वाद
दुर्गा अष्टमी पर शनिवार को कंजक पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में सुबह पहले मां दुर्गा की आराधना की। इसके बाद अपने घरों में कंजकों को बुलाकर भोजन करवाया। इससे पहले सभी कंजकों के जल से पैर धोकर उनके माथे पर तिलक किया।

जागरण संवाददाता, सिरसा :
दुर्गा अष्टमी पर शनिवार को कंजक पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में सुबह पहले मां दुर्गा की आराधना की। इसके बाद अपने घरों में कंजकों को बुलाकर भोजन करवाया। इससे पहले सभी कंजकों के जल से पैर धोकर उनके माथे पर तिलक किया। बाद में सभी कंजकों को हलवा, पूरी का भोजन करवाकर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद सभी कंजकों को उपहार दिया गया। नवरात्र पर पूजन के बाद व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने व्रत खोला। दुर्गा अष्टमी पर लोगों को अपने घरों पर कंजक बैठाने के लिए सुबह से तैयारियां करनी पड़ी। लोग एक दूसरे मोहल्ला में जाकर कंजकों के बारे में पता करते नजर आए। इसके बाद लोगों ने घरों में कंजकों के पैर धोए, तिलक लगाकर, हाथों में मोली बांधकर हलवे पूरी का प्रसाद खिलाया। दोपहर तक कंजकों को भोजन खिलाने का सिलसिला चलता रहा।
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दुर्गा अष्टमी पर्व पर किया कन्या पूजन संवाद सहयोगी, नाथूसरी चौपटा :
शनिवार को चैत्र मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर कन्या पूजन करके दुर्गा अष्टमी पर्व मनाया गया। श्रद्धालुओं ने माता दुर्गा की आराधना करके मन्नतें मांगी व प्रसाद चढ़ाया। उसके बाद श्रद्धालुओं ने कन्या पूजन करके कन्याओं को भोजन करवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालुओं ने श्रद्धा अनुसार कन्याओं को उपहार भेंट किए। मान्यता है कि दुर्गा अष्टमी पर्व पर मां दुर्गा की पूजा करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गांवों में दुर्गा अष्टमी पर कंजक पूजन कर लिया आशीर्वाद संवाद सूत्र, गोरीवाला :
उपतहसील के गांव बिज्जूवाली, गोरीवाला, रामगढ़, चकजालू व रिसालियाखेड़ा सहित अन्य गांवों में शनिवार को चैत्र नवरात्र की दुर्गा अष्टमी को मंदिरों में आस्था और भक्ति का मेला लगा रहा। सुबह से धार्मिक अनुष्ठान, पूजन और हवन के कार्यक्रम चलते रहे। देवी के दर्शन करने और प्रसाद-नारियल चढ़ाने को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला। वहीं घरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। पंडित मनीष भारद्वाज ने बताया कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को कन्या पूजन के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हुआ है। नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि नौ देवियों के रूप में नौ कन्याओं के पूजन के बाद ही नवरात्र व्रत सफल होता है। मां के भक्तों ने 2 से 10 साल की कन्याओं की पूजा कर व्रत पूरा किया और अपनी सामर्थ्य के मुताबिक भोग खिलाकर दक्षिणा दी। कन्या पूजन से खुश होकर माता रानी भक्तों के परिवार में सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व हम सभी को ²ढ़ता के साथ सच्चाई के मार्ग पर चलने एवं अपने जीवन से बुराइयों का नाश करने की प्रेरणा देता है। आज बेटियां प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हासिल कर रही है और अपने घर, परिवार और देश का नाम रोशन कर रही है। इस पर्व के अवसर पर हम सभी को बेटियों की सुरक्षा व सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ ही उनकी शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए संकल्प लेना चाहिए।
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