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Sirsa News: ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर वैराग्य दीक्षा लेंगी 21 साल की मेघना, इन कड़े नियमों का करेंगी पालन

मुमुक्षु मेघना जैन के दीक्षा महोत्सव को लेकर गांव जलालआना में तिलक समारोह के दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली गई। कालांवाली में जैन महासाध्वियों के प्रवचन से प्रभावित हुई मुमुक्षु मेघना जैन ने ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर वैराग्य दीक्षा ले ली है। तिलक की रस्म के बाद भावुक हृदय से मेघना को दिल्ली विदा किया गया। दीक्षा महोत्सव से पूर्व मुमुक्षु मेघना जैन के परिवार गांव में शोभा यात्रा निकाली गई।

By sanmeet singh Edited By: Deepak Saxena Published: Sun, 10 Mar 2024 05:02 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2024 05:02 PM (IST)
21 साल की मेघना ने ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर लेंगी वैराग्य दीक्षा।

संवाद सूत्र,ओढां (सिरसा)। जैन महासाध्वी सुंदरी शांति साध्वी संघ प्रमुखा गुरणीवर्या महासाध्वी संयम प्रभा कमल जी महाराज की सुशिष्या सरलमना महासाध्वी सुरक्षा महाराज की सुशिष्या प्रेरणादात्री महासाध्वी सुविज्ञ श्री महाराज के नेश्राय में अध्ययनरत् मुमुक्षु मेघना जैन 17 मार्च को वैराग्य दीक्षा ग्रहण करेगी। मेघना जैन गांव जलालआना में भूपेंद्र जैन व मीनू जैन की पुत्री है। दीक्षा महोत्सव से पूर्व मुमुक्षु मेघना जैन के परिवार गांव में शोभा यात्रा निकाली गई। हल्दी रस्म समारोह और तिलक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में जैन समाज व गांववासियों ने पहुंचकर आशीर्वाद दिया।

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दुल्हन की तरह सजे पंडाल में पहुंची मेघना मुमुक्षु

मेघना जैन के घर में शादी की तरह माहौल बना हुआ है। उनके परिवार के द्वारा हल्दी की रस्म अदा की गई और नाच-गाकर खुशी मनाई गई। उसे दुल्हन की तरह सजाकर शोभा यात्रा निकाली गई। जैसे ही तिलक की रस्म अदा करने के लिए वह पंडाल में पहुंची तो उसका जैन धर्म के जयकारों के साथ स्वागत किया गया और परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, जैन समाज के श्रद्धालुओं और गांववासियों ने तिलक की रस्म अदा की। इसके बाद मुमुक्षु मेघना जैन को भावुक हृदय से वैराग्य दीक्षा के लिए दिल्ली विदा किया गया।

जैन महासाध्वियों के प्रवचन से हुई प्रभावित

मुमुक्षु मेघना जैन का जन्म 16 जून 2002 को हुआ। बचपन से ही उनका परिवार जैन धर्म से जुड़ा हुआ है और अहिंसा परमो धर्म के रास्ते पर चलता है। वर्ष 2017 में कालांवाली में जैन महासाध्वियों के प्रवचन से प्रभावित हुई और उसे दुनिया की मोह त्यागकर जैन समाज के लिए कार्य करने की लगन पैदा हुई। तभी मेघना जैन ने अपना घर परिवार त्यागकर दीक्षा लेने का ठान लिया।

बता दें कि मेघना जैन ने जैन दर्शनशास्त्र (फिलोस्पी) में पोस्ट ग्रेजुऐशन कर रही है। इससे पहले वह जैन फाइनेंशियल एसोसिएशन की सीईओ रह चुकी है। साथ में वर्धमान जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल जलालआना में करीब तीन साल तक एडिमन मैनेजर के पद पर सेवाएं दे चुकी है। मेघना जैन की मां मीनू जैन राजकीय स्कूल पिपली में जेबीटी टीचर है। परिवार में बड़ी बहन लब्धी जैन और छोटे भाई लविश जैन है।

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ऐसे होती हैं जैन दीक्षा

मुमुक्षु मेघना जैन ने बताया कि जैन धर्म में दीक्षा लेना यानी सभी भौतिक सुख-सुविधाएं त्यागकर एक सन्यासी का जीवन बिताने के लिए खुद को समर्पित कर देना है। जैन धर्म में इसे 'समायिक चरित्र' या 'महाभिनिष्क्रमण' भी कहा जाता है। दीक्षा समारोह एक कार्यक्रम होता है जिसमें होने वाले रीति-रिवाजों के बाद से दीक्षा लेने वाले लड़के साधु और लड़कियां साध्वी बन जाती हैं।

दीक्षा लेने के साथ ही सभी को इन पांच महाव्रतों के पालन के लिए भी समर्पित होना पड़ता है।

अहिंसा- किसी भी जीवित प्राणी को अपने तन, मन या वचन से हानि न पहुंचाना

सत्य- हमेशा सच बोलना और सच का ही साथ देना

अस्तेय- किसी दूसरे के सामान पर बुरी नजर ना डालना और लालच से दूर रहना

ब्रह्मचर्य- अपनी सभी इन्द्रियों पर काबू करना और किसी से साथ भी संबंध न बनाना

अपरिग्रह- जितनी जरूरत है उतना ही अपने पास रखना, जरूरत से ज्यादा संचित न करना है।

इस प्रक्रिया का आखिरी चरण पूरा करने के लिए सभी साधुओं और साध्वियों को अपने बाल अपने ही हाथों से नोंचकर सिर से अलग करने पड़ते हैं।

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