रोहतक: बदल रहा नशे का स्वरूप, हेरोइन-स्मैक की जगह अब नशीली दवाएं और इंजेक्शन ले रहे युवा
हरियाणा में नशे की चुनौती बदल गई है, अब हेरोइन-स्मैक की जगह नशीली गोलियां और इंजेक्शन युवाओं को खोखला कर रहे हैं। यह नया नशा चुपचाप फैलता है और लंबे स ...और पढ़ें
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हेरोइन-स्मैक के बाद नशीली गोलियों और इंजेक्शन का जाल
जागरण संवाददाता, रोहतक। हरियाणा में नशे की चुनौती बदल गई है, अब हेरोइन-स्मैक की जगह नशीली गोलियां और इंजेक्शन युवाओं को खोखला कर रहे हैं। यह नया नशा चुपचाप फैलता है और लंबे समय तक पता नहीं चलता। दैनिक जागरण के ‘नस्ल बचाओ : दूध से शक्ति, नशे से मुक्ति’ अभियान का संकल्प अब जरूरत बन गया है।
3340 युवा नशा छोड़ने के लिए रजिस्टर्ड
रोहतक स्थित पीजीआइएमएस के राज्य मादक पदार्थ निर्भरता उपचार केंद्र ने नशे के सेवन से जुड़े जो आंकड़े जारी किए, वह एक गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रही हैं। वर्तमान में यहां प्रदेशभर से 3340 युवा नशा छोड़ने के लिए रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 1800 युवा नियमित उपचार ले रहे हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, 16 से 40 वर्ष आयु वर्ग सबसे अधिक प्रभावित है।
युवाओं में शुरुआत अक्सर साथियों के दबाव (42%), जिज्ञासा और फिल्मों में नशे के दृश्य देखकर होती है, जो धीरे-धीरे आदत और फिर लत में बदल जाती है।
इंजेक्शन से नशा, बीमारी का जोखिम कई गुना
पहले स्मैक और हेरोइन का सेवन फायल पेपर से होता था, लेकिन अब नशे का असर तेजी से पाने के लिए इंजेक्शन का उपयोग बढ़ गया है। डॉक्टर्स के अनुसार, कई युवक एक ही इंजेक्शन साझा करते हैं, जिससे एड्स और काला पीलिया (हेपेटाइटिस-सी) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ये बीमारियां लंबे समय तक छिपी रहती हैं और उपचार के दौरान ही सामने आती हैं।
नशे के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती इलाज के बाद की है। यदि उपचार के बाद लगातार संपर्क, मानसिक परामर्श और पारिवारिक निगरानी न हो, तो दोबारा लत का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। नशा छोड़ चुके युवाओं की भागीदारी से ही दूसरों को प्रेरित किया जा सकता है। यह लड़ाई केवल अस्पतालों से नहीं, समाज की सामूहिक जिम्मेदारी से जीती जाएगी। - डा. राजीव गुप्ता, निदेशक, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान

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