महिलाओं को बनाना होगा आत्मनिर्भर, तभी हो पाएगा सशक्तिकरण
जागरण संवाददाता, रोहतक : सही मायनों में नारी सशक्तिकरण तभी हो पाएगा जब उनको आत्मनिर्भर
जागरण संवाददाता, रोहतक :
सही मायनों में नारी सशक्तिकरण तभी हो पाएगा जब उनको आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षित करने के साथ स्वरोजगार भी मुहैया कराने की जरूरत है। नारी सशक्तिकरण से ही समाज को संपूर्ण विकास संभव है। उम्मीद है वर्ष 2018 में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का आंकड़ा ऊंचाई पर पहुंचेगा और महिलाओं की भागीदारी तमाम क्षेत्रों में बढ़ेगी।
नेशनल लिवलीहुड मिशन के तहत पीएनबी की ओर से यहां पुराना एडीसी कार्यालय में महिलाओं को वर्ष 2012 से स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से यहां दिए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत अब तक 2227 महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिनमें अनेक ने स्वरोजगार भी शुरू किया है। वहीं इस महीने में भी 50 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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रोहतक में कुल आंगनबाड़ी : 1004
लड़कों की संख्या : 45359
लड़कियों की संख्या : 39743
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जनगणना के अनुसार रोहतक में साक्षरता :
पुरुष : 439689
महिला : 310316
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लड़कियां यहां हो रही शिक्षित
जिला में आधा दर्जन महिला कॉलेज हैं। जो महिलाओं को शिक्षित कर उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। रोहतक में इस वक्त राजकीय महिला कॉलेज, ¨हदू गर्ल्स कॉलेज, वैश्य महिला महाविद्यालय, महारानी किशोरी जाट कन्या महाविद्यालय के अलावा सांपला व लाखन माजरा में भी एक-एक महिला महाविद्यालय हैं। इन कॉलेजों में बड़ी संख्या में छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इसके अलावा अन्य स्कूलों में भी छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
यह है शिक्षा का स्तर :
रोहतक के तमाम स्कूलो में पहली से 12वीं कक्षा तक इस बार 30000 लड़कों के दाखिले हुए हैं जबकि लड़कियों के दाखिले का आंकड़ा 35000 से पार है। शिक्षा को और बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। शिक्षा विभाग का कहना है कि नए वर्ष में सभी लड़कियों को स्कूलों तक लाया जाएगा और उनको शिक्षित बनाया जाएगा।
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जिला में इस साल लड़कों के मुकाबले लड़कियों के दाखिले कहीं अधिक हुए हैं। इस साल और प्रयास किए जाएंगे ताकि कोई भी लड़की स्कूली शिक्षा से वंचित न रहने पाए। इसके साथ ही विभिन्न परीक्षाओं में टॉपर भी हमारी बेटियां ही आ रही हैं। सह महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक प्रयास है।
- परमेश्वरी हुड्डा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ।
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जिला में पिछले साल लिंगानुपात प्रति हजार लड़कों पर 897 लड़कियां रहा है। वहीं गत दिसंबर महीने में यह 927 रहा है। जनवरी में इसमें और भी सुधार किया जाएगा। ¨लगानुपात में सुधार के लिए ¨लग जांच करने वालों पर पैनी नजर रखी जा रही है। ¨लगानुपात सुधारने में विभाग तेजी से कार्य कर रहा है।
- डा. दीपा जाखड़, सीएमओ, रोहतक ।
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पहले खुद लिया प्रशिक्षण, अब दे रही रोजगार :
फोटो संख्या : 24
रोहतक में स्वरोजगार के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की बात की जाए तो सीमा लांबा का नाम दरकिनार नहीं किया जा सकता। राजीव नगर निवासी सीमा ने पिछले साल पुराना एडीसी कार्यालय से बैग बनाने प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसके बाद उन्होंने घर पर ही जूट के बैग बनाने शुरू किए। स्वरोजगार से आत्म निर्भर बनने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की। उन्होंने एक दिन आधा दर्जन तक बैग बनाए। फिर उनको बेचने के लिए बाजार का सहारा लिया। काफी दिनों तक ऐसे ही चला। लेकिन एक दिन उन्हें बाजार में बैग दिखाते हुए 50 बैग का आर्डर मिला। उनके सामने समस्या यह थी कि कोई सहयोगी उनके पास नहीं थी। इस वाक्या से उन्होंने सबक लिया और पहले खुद की टीम तैयार करने की ठानी। उन्होंने आसपास की महिलाओं से बातचीत की लेकिन किसी ने उनके इस कार्य में रुचि नहीं दिखाई। उसके बाद वह पास के गांव ¨सहपुरा में पहुंची और लड़कियों से इस संबंध में बातचीत कर समूह तैयार किया। उन्होंने समूह की चार लड़कियों को पहले सिलाई सिखाई और फिर उनको बैग बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। सीमा के इसी जज्बे से अब लड़कियों को तो रोजगार मिला ही है सीमा भी खुद 30 हजार रुपये महीना कमा रही है। वह अब अपने काम को और भी ऊंचाईयों पर ले लाने में जुटी है। इसके लिए वे अपने समूह का पंजीकरण भी करा रही है।
यहां से लाती है कच्चा माल
सीमा का कहना है कि जूट के बैग तैयार करने के लिए वह दिल्ली और पानीपत से कच्चा माल लेकर आती हैं। उसके बाद यहां बैग तैयार किए जाते हैं। उनका समूह 30 प्रकार के बैग तैयार करने लगा है। उनका समूह 15 रुपये से लेकर 500 रुपये कीमत तक के बैग तैयार करने लगा है। रोजाना औसतन 40 बैग तैयार करने लगे हैं।
आसानी से बिक जाते हैं बैग
जूट के बैग बेचने में उनको शुरुआत में दिक्कतें हुई थी लेकिन अब उनके समूह को अब समस्या नहीं आती है। जूट के बैग मजबूत होते हैं और इनसे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है। साथ ही यह रेक्सीन आदि के मुकाबले सस्ते भी होते हैं। ऐसे में लोग इनकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। लाखन माजरा व मदीना आदि से ग्राहक उनके यहां बैग खरीदने आने लगे हैं।
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