MDU के गर्ल्स हॉस्टल पर ड्रोन मंडराने का रहस्य गहराया, मनचलों की शरारत या खतरे की आहट
राेहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल में ड्रोन मंडराने का रहस्य गहराया गया है। पूरे मामले में अब तक कोई खुलासा नहीं हुआ है यह ड्रोन यहां कहां से आया था।
रोहतक, जेएनएन। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के गल्सा हॉस्टल पर ड्रोन मंडराने का रहस्य गहरा गया है। पूरे मामले में अधिकारियों के रुख पर भी सवाल उठ गया है। सुरक्षा में सेंध लगाते हुए गर्ल्स हॉस्टल की छत पर रात के समय दो ड्रोन मंडराते नजर आए थे। इस पर हंगामा हो गया था। यह सिलसिला कई दिनों से जारी है। छात्राओं का कहना है ड्रोन हॉस्टल की छत और उनके कमरों की खिड़कियों के पास उड़ रहे थे। यह स्थिति उनके निजता में दखल है। अब पूरे मामले में सवाल यह उठ रहा है कि यह मनचलों की शरारत है या किसी खतरे की आहट। गर्ल्स हॉस्टल में पहले भी कई बार घटनाएं हो चुकी हैं और एक छात्रा ने खुदकुशी भी कर चुकी है।
छात्राओं का आरोप खड़की तक पहुंचा ड्रोन, पिछले 20 दिनों से है यह स्थिति
छात्राओं का कहना है कि पिछले 20 दिनों से यह स्थिति बनी हुई है। ड्रोन रात नौ से 11 बजे के बीच सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इस समय छात्राएं हॉस्टल परिसर में टहलती हैं। छात्रा ने बृहस्पतिवार रात हॉस्टल की तीसरी मंजिल के कमरों की खिड़की के नजदीक फिर ड्रोन देखा तो हंगामा कर दिया। छात्राएं इसे निजता में दखल के साथ ही शर्मिंदगी पैदा करने वाली स्थिति बताया।
रात के समय ड्रोन दिखाई देने से छात्राएं दहशत में हैं। छात्राओं का आरोप है कि सुबूत के तौर पर विडियो दिखाने पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन इसे मानने को तैयार नहीं है। डरी-सहमी छात्राओं ने हॉस्टल अधिकारियों से इसकी शिकायत की। अधिकारियों के ढीले रवैये को देखते हुए छात्राएं कुलपति से मिलने पर अड़ गई। छात्राओं का आरोप है कि वे कुलपति निवास पर पहुंचीं तो वहां तैनात पुरुष सुरक्षाकर्मी व मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने चीफ वार्डन की मौजूदगी में उनको रोका। छात्राओं ने मुख्य सुरक्षा अधिकारी पर अभद्रता का आरोप भी लगाया है।
वीसी निवास पर रात 12 बजे के करीब कुलसचिव गुलशन लाल तनेजा पहुंचे व सुरक्षा का भरोसा दिलाया। हालांकि इसके बाद भी छात्राएं आश्वस्त नजर नहीं आईं। छात्राओं ने रातभर विवि के मुख्य गेट पर धरना दिया। छात्राओं ने बताया कि धरना स्थल पर गर्ल्स हॉस्टल के सभी वार्डन बारी-बारी पहुंचे। लेकिन सुरक्षा व्यवस्था पर बात करने की बजाए नाम नोट करके चले गए। छात्राओं ने मुख्य सुरक्षा अधिकारी व चीफ वार्डन को पद से हटाने और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की मांग की है। छात्राओं ने बताया कि जब तक ड्रोन के मामले में पुख्ता जांच के साथ ही बेहतर सुरक्षा इंतजाम नहीं किए जाते तब तक हर रात ऐसे ही धरना दिया जाएगा।
गर्ल्स हॉस्टल जुडी साल की चौथी बड़ी घटना, विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
एमडीयू के गर्ल्स हॉस्टल से जुड़ी यह साल की चौथी बड़ी घटना है। इससे ए-प्लस ग्रेड प्राप्त विवि के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस साल जारी की गई नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क में विवि को टॉप 100 में जगह मिली है। हालांकि अलग-अलग मानकों में विवि को परशेप्शन (संस्थान के प्रति एलुमनाई व अन्य लोगों का नजरिया) मानक में 100 में से सिर्फ 2.41 अंक ही प्राप्त हो सके थे। गौरतलब है कि परशेप्शन मानक में एमडीयू टॉप 100 में शामिल प्रदेश के अन्य विवि से पीछे रहा था। इस तरह की घटनाएं नहीं थमती हैं तो साल 2020 की रैंकिंग में एमडीयू पिछड़ भी सकता है।
केस नंबर 1 :
12 जून को विवि में एमफार्मेसी द्वितीय वर्ष की छात्रा ने गर्ल्स हाॅस्टल के कमरे में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। इस पर राज्य महिला आयोग की टीम ने संज्ञान लिया था। आयोग की चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन ने हॉस्टल में छात्राओं की नियमित काउंसिलिंग नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही छात्राओं के लिए बेहतर काउंसिलिंग के इंतजाम के निर्देश विवि प्रशासन को दिए थे।
केस नंबर 2 :
विवि के मेघना गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं ने जून माह के आखिरी सप्ताह में वीसी को ई-मेल के जरिए एक छात्रा के लिंग परिवर्तन करा लड़का बनने के बाद भी गर्ल्स हॉस्टल में रहने की शिकायत की थी। छात्राओं ने आरोप लगाया था कि हॉस्टल अधिकारियों को कई बार शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं की गई थी। मामले की अभी तक आंतरिक जांच चल रही है।
केस नंबर 3 :
हॉस्टल अलॉट नहीं किए जाने पर 8 अगस्त को दो छात्राएं विवि के मुख्य प्रवेश द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठ गई थी। छात्राओं का आरोप था कि गर्ल्स हॉस्टल में कमरे खाली होने पर भी अलॉट नहीं किए जा रहे हैं। सिर्फ चहेतों को कमरे अलॉट हो रहे हैं। विभिन्न विद्यार्थी संगठनों के कड़े विरोध के बाद छात्राओं को हॉस्टल अलॉट किया गया था।
छात्राओं ने लगाया लैंगिक भेदभाव का आरोप
छात्राओं ने विवि अधिकारियों पर लैंगिक भेदभाव (जेंडर डिसक्रिमिनेशन) का भी आरोप लगाया है। एलएलएम छात्रा किरण व मोनिका का कहना है कि मांगों को लेकर प्रदर्शन करना छात्र-छात्राओं का हक है। बातचीत के बाद जब जायज मांगे नहीं मानी जाती तो विद्यार्थी के पास धरने व प्रदर्शन ही हथियार बचते हैं। छात्रों के प्रदर्शन उग्र भी हो जाए तो ज्यादातर विवि स्तर पर ही निपटारा कर दिया जाता है। लेकिन छात्राओं के आवाज उठाने पर परिजनों को झूठी सूचना देकर धमकाने की कोशिश की जाती है।
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एलएलएम की छात्रा मोनिका, रेनू, आरती आदि का कहना है कि छात्राओं को डराने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। विवि प्रशासन समस्या के समाधान की बजाए उनपर गलत कार्रवाई करने पर ज्यादा जोर दे रहा है। छात्राओं की सुरक्षा को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
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''छात्राओं की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरी है। रात के समय हॉस्टल में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई है। अभी ड्रोन दिखाई देने की बात पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। पहले भी एक जांच इस विषय पर कर चुके हैं। लेकिन ऐसा कुछ सामने नहीं आया। हालांकि छात्राओं की शिकायत पर कुलपति ने जांच के आदेश दिए हैं। मेरे सामने किसी भी छात्रा के साथ अभद्रता नहीं की गई।
- प्रो. राजेश धनखड़, चीफ वार्डन, एमडीयू गर्ल्स हॉस्टल।
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