'आप नहीं मैं हाथ मिलाऊंगा, पहले देसी घी लड्डू खिलाऊंगा...', अटल बिहारी वाजपेयी का रोहतक से जुड़ा अनसुना किस्सा
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का रोहतक से गहरा नाता रहा था। वह अक्सर रोहतक आते थे और लोगों से मिलते थे। एक बार पीएम हाउस में रोहतक से गए प्रतिनिधिमंडल से उनकी मुलाकात हुई। इस दौरान उन्होंने सभी को देसी घी के लड्डू खिलाए और फिर हाथ मिलाया। 1955 में गोहाना अड्डे पर उन्होंने ऐसा धारा प्रवाह भाषण दिया था कि लोग मंत्रमुग्ध हो गए थे।

अरुण शर्मा, रोहतक। पूर्व प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का अपना अलग अंदाज था। वह सभी से उत्साहपूर्वक मिलते थे। एक बार दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास (पीएम हाउस) में रोहतक से पांच-छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया।
जब प्रतिनिधिमंडल में शामिल सुखबीर चंदेलिया उनसे हाथ मिलाने के लिए खड़े होने लगे तो उन्हें वहीं रोक दिया। अटल बिहारी ने कहा, पहले देसी घी के लड्डू खिलाऊंगा, आप नहीं मैं सभी से हाथ मिलाऊंगा...।
रोहतक भाजपा के जिला महामंत्री सुखबीर चंदेलिया ने पुराना किस्सा दैनिक जागरण से साझा किया है। सुखबीर ने बताया कि 1996-1997 में अटल बिहारी प्रधानमंत्री थे। वाल्मीकि जयंती के मौके पर एससी आयोग ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। उस दौरान रोहतक से वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधि मंडल को बुलाया गया।
पीएम हाउस पर जमकर की हंसी-ठिठोली
बोहर से सुखबीर चंदेलिया, राय सिंह, रामचंद्र, बालकिशन, सुभाष, जिंदरान से राम निवास, समर गोपालपुर से रामशरण पहुंचे। पीएम हाउस में जब अटल बिहारी से मुलाकात हुई तो उन्होंने खूब हंसी-ठिठोली की। जो भी व्यक्ति जहां कुर्सी पर बैठा था वहीं पहुंचकर मुलाकात की और हालचाल पूछा।
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जब 1955 में युवा नेता अटल ने गोहाना अड्डे पर दिया धारा प्रवाह भाषण रोहतक को जनसंघ के समय से ही प्रदेश की राजनीतिक राजधानी कहा जाता है। यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी का रोहतक वर्षों से प्रवास रहा।
मगर 1955 में गोहाना अड्डे पर हुई जनसभा सभी को याद है। उस दौरान उन्होंने ऐसा धारा प्रवाह भाषण दिया मानो सभी को सम्मोहित कर दिया हो।
जब चुटीले अंदाज में दिया था भाषण
स्वर्गीय लाला हुकुमचंद्र गोयल के बेटे सुनील गोयल ने बताया कि रोहतक के छोटूराम चौक स्थित नारायण निवास में अटल बिहारी 20 से अधिक बार आए और कई बार प्रवास किया। 1969 में छोटूराम चौक स्थित नारायण निवास स्वर्गीय लाला हुकुमचंद गोयल ने तैयार किया था।
पहले बड़े बाजार स्थित परस मुहल्ले में ही इनका पुराना आवास था। परस मुहल्ला 1955 में अटल आए और फिर गोहाना अड्डे पर जनसभा को संबोधित करना शुरू किया। शब्दों का ऐसा जादू चलाया कि लोगों को पता ही नहीं चला कि कब एक घंटा बीत गया। चुटीले अंदाज में दियाा गया भाषण सभी को आकर्षित किया।
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