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    भोजन के लिए केवल पक्षियों का शिकर ही करता है स्पैरो हॉक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 05 Nov 2017 05:16 PM (IST)

    प¨रदो की दुनिया: स्पैरो हॉक (बाशा) परिवार: एसीपीट्रीडी जाति: एसीपीटर प्रजाति: निशद लेख

    भोजन के लिए केवल पक्षियों का शिकर ही करता है स्पैरो हॉक

    प¨रदो की दुनिया: स्पैरो हॉक (बाशा)

    परिवार: एसीपीट्रीडी

    जाति: एसीपीटर

    प्रजाति: निशद

    लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

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    यूरिशियन स्पैरो हॉक को ¨हदी भाषा में बाशा कहा जाता है। यह एक शिकारी पक्षी है, जो सिर्फ पक्षियों का ही शिकार करता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में सर्दियों में ये ज्यादा दिखाई देते है। यह स्थानीय व प्रवासी दोनों श्रेणियों में आता है। यह रंग व आकार में शिकरा पक्षी जैसा दिखता है। नर पक्षी के शरीर का ऊपरी हिस्सा स्लेटी भूरा और सामने के हिस्से पर धारियां होती है, जो दूर से नारंगी रंग की दिखती है। इसकी आंख पीली-संतरा रंग की होती है। मादा का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरा और आंखें चमकीली पीली होती है। इसकी पूंछ के निचले हिस्से पर चार-पांच काले रंग के बैंड होते है। नर पक्षी आकार में मादा से छोटा होता है। मादा का आकार नर से लगभग 25 प्रतिशत तक बड़ा होता है। नर व मादा पक्षी अपने आकार के अनुसार ही शिकार करने में महारथ रखते है। मादा पक्षी बड़े पक्षियों जैसे स्टार्लिंग, कबूतर व फाख्ता को अपना शिकार बनाती है। वहीं नर पक्षी छोटे पक्षियों जैसे गौरया, टीट, फींच व भ्रस आदि का शिकार करते है। इस पक्षी की चोंच छोटी व मजबूत होती है। जिसकी सहायता से यह पक्षियों के पंखों को आसानी से फाड़ देता है। इसके पंजों की बनावट इसको अपने शिकार को खाते समय दबा कर रखने में मदद करती है।

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    2500 पक्षियों को बना लेता है शिकार

    इस पक्षी का नाम स्पैरो हॉक इसलिए पड़ा क्योंकि ये चिड़ियों को मार कर खाते है। स्पैरो हॉक का एक व्यस्क जोड़ा एक वर्ष में 2200 से 2500 छोटे पक्षियों को अपना शिकार बना लेता है। यह पक्षी लगभग 100 प्रकार के पक्षियों को अपना भोजन बनाते है। ये पक्षी घरों में पाले जाने वाले कबूतर व अन्य गेम बर्डस को अपना शिकार बना लेते हैं। यही कारण है कि कबूतर व अन्य पक्षी पालक इसके दुश्मन बन जाते हैं और इसके दिखने पर मार भी देते हैं। जिस क्षेत्र में पक्षियों की यह प्रजाति बढ़ती है, तो यह उसी अनुपात में अपने शिकार वाले पक्षियों की संख्या को कम कर देते है। एक व्यस्क नर पक्षी एक दिन में लगभग 100 ग्राम व मादा करीब 500 ग्राम भोजन खाती है। यह पक्षी प्रकृति संतुलन का एक खुशहाल उदाहरण है।

    निर्दयता से मारते हैं पक्षी को

    स्पैरो हॉक मुख्यत जंगलों, बगीचों, पार्कों व अन्य हरित पट्टियों में गहरे पेड़ों में छिप कर बैठते हैं। जैसे ही कोई पक्षी इसे दिखता है, ये झपट कर प्रहार करके उसकी गर्दन में चोंच से छेद बना देते हैं। ये पक्षी ज्यादातर उड़ते हुए ही छोटे पक्षियों पर झपटते हैं। ये अपने शिकार को लेकर पेड़ों में छुप कर उसके पंखों को उखाड़ कर खाते हैं। यह भी देखा जा सकता है कि काफी बार शिकार हुआ पक्षी ¨जदा रहता है और यह उसके जीवित रहते ही पंखों को उखाड़ना शुरू कर देता है और शिकार हुआ पक्षी काफी तड़फता है।

    कम हो रही है संख्या:

    इस पक्षी का प्रजनन का समय अप्रैल से जून तक होता है। नर व मादा मिल कर अपना घोंसला पेड़ों में छुपा कर तिनकों से बनाते हैं। मादा पक्षी चार से पांच अंडे देती है। जब तक मादा घोंसले में अंडों को सेती है और नर पक्षी उसे भोजन देता है। बाद में नर व मादा दोनों मिल कर चूजों को पालते है। दूसरे शिकारी पक्षी जैसे बॉर्न उल्लू, ट्वनी उल्लू, गोल्डन बाज, ईगल उल्लू आदि इस पक्षी को अपना शिकार बनाते हैं। इस पक्षी की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण हैबीटाट का सिकुड़ना व अवैध शिकार है। कभी-कभी पक्षी पालक भी मार देते हैं। इसके साथ ही खेत में प्रयोग होने वाले कीटनाशक भी इस पक्षी को नुकसान पहुंचाते हैं। खेतों में जब बीज बोया जाता है तो इनमें कीटनाशक डालते है। जब कोई पक्षी इन बीजों को खा लेता है और उस पक्षी को स्पैरो हॉक खा लेता है तो कीटनाशक उसके शरीर में भी आ जाता है और उसकी मौत हो जाती है।