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    संस्कारशाला: जीवन शैली ने सेहत को छोड़ा पीछे

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 09 Oct 2018 01:27 PM (IST)

    आधुनिक जीवन शैली की तेज रफ्तार एवं भाग दौड़ भरी ¨जदगी में सेहत बहुत पीछे रह गया है। परि

    संस्कारशाला: जीवन शैली ने सेहत को छोड़ा पीछे

    आधुनिक जीवन शैली की तेज रफ्तार एवं भाग दौड़ भरी ¨जदगी में सेहत बहुत पीछे रह गया है। परिणामस्वरूप आज हम युवा अवस्था में ही रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, कॉलेस्ट्रोल, मोटापा, गठिया, थायराइड, नेत्र रोग जैसी बीमारियों के शिकार होने लगे हैं। ये बीमारियां पहले वृद्धावस्था में होती थीं। इसकी सबसे बड़ी वजह है खान-पान और रहन-सहन की गलत आदतें और प्रदूषित पर्यावरण। स्वस्थ और फिटनेस को बनाए रखने के लिए संतुलित भोजन के साथ नियमित शारीरिक व्यायाम की आवश्यकता होती है। हम जानते हैं कि स्वास्थ्य ही धन है। खुशी एवं कुछ बेहतर करने के लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है, न कि सोने-चांदी के सिक्के। फिट व अच्छा स्वास्थ्य संतुलित जीवन जीने में हमारी मदद करता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें बहुत सी चीजों को दैनिक जीवन में करने की आवश्यकता है। जैसे हमें ताजा हवा, पानी की पर्याप्त मात्रा, संतुलित आहार लेना चाहिए और तले हुए भोजन और जंक फूड से दूर रहना चाहिए। सुबह स्वच्छ व साफ वातावरण में टहलना चाहिए। स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। असल में शारीरिक स्थितिओं और बाहरी घटनाओं से मन प्रभावित होता है, मानसिक स्थिति और घटनाओं से तन प्रभावित होता है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है यह अधूरा सत्य है। स्वस्थ मन में ही स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है। स्वस्थ मनुष्य वह है जो अपनी शुद्ध प्रकृति में स्थित होता है। यानी स्वस्थ वह है जो शरीर से ही नहीं विचारों से भी स्वस्थ हो। वात, पित्त, कफ संतुलित हो। शरीर की क्रियाएं सामान्य हों। स्वस्थ व्यक्ति में ही रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। इसीलिए कैंसर, टूयूमर, गठिया व अन्य भयंकर बीमारियों से बचने के लिए हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान होना पड़ेगा। स्वस्थ रह कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं और अपने देश को भी आगे बढ़ा सकते हैं। देश को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी प्रत्येक नागरिक की होती है। केवल सरकार को कोसने से न देश का विकास हो सकता है और न ही व्यक्ति का। दुनिया में वही देश आगे बढ़ता है, जिसके नागरिक स्वस्थ एवं अपने दायित्वों के प्रति सावधान हैं। अभी अपने देश में इस चेतना का अभाव है।

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    -अनिता यादव, प्राचार्या, आरबीएस मेमोरियल, जौनियावास।

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    स्वस्थ जीवन ही है सच्चा धन :

    स्वस्थ व्यक्ति बहुत मस्ती से जीता है। उसके मन मस्तिष्क में उमंग और प्रसन्नता छाई रहती है। इसके उलट बीमार व्यक्ति नकारात्मक सोच के साथ धन एवं सुख सुविधाओं का उपभोग नहीं कर सकता। स्वस्थ रहकर ईश्वर प्रदत्त उपहारों का लाभ उठाना चाहिए। स्वास्थ्य रूपी धन की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन के सारे सुखों का आधार है। विद्यार्थी अगर स्वस्थ नहीं रहेंगे तो पढ़ने में मन नहीं लगेगा। वह हमेशा अपने को कमजोर महसूस करते रहेंगे। संतुलित भोजन से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। सभी को अपने भोजन में प्रोटीन विटामिन तथा आवश्यक खनिज तत्वों को शामिल करना चाहिए। हमें समय पर भोजन करना चाहिए। स्वास्थ्य विषयक पुस्तकें बढ़कर हम स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए अधिक देर तक सोना हानिकारक है। रात को जल्दी सोना वह सुबह जल्दी उठना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। अच्छा स्वस्थ हमें हमेशा बुराइयों और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से दूर रखता है। एक बार अच्छा स्वास्थ्य खो देने पर इसे फिर से किसी भी कीमत पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। आमतौर पर लोग अपने आलसी और निष्क्रिय आदतों के कारण अपने जीवन में एक अच्छा स्वास्थ्य बनाने में असफल हो जाते हैं। एक अच्छा स्वास्थ हमें बिना थके अधिक समय तक कार्य करने की क्षमता प्रदान करता है। अच्छा स्वास्थ्य तनाव को कम करता है और बिना किसी परेशानी के स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देता है। हमें हमेशा अपने स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहना चाहिए। नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए। स्वास्थ्य के सजगता बेहद जरूरी है। जो व्यक्ति इसके प्रति सजग नहीं है वह जीवन के बाकी दिशाओं में भी सफल नहीं हो सकता।

    -सरिता यादव, ¨प्रसिपल, समरवैली पब्लिक स्कूल भांडौर।