RSS के विजयादशमी में शामिल होने से पहले संतोष यादव ने कहा- संगठन के राष्ट्र समर्पण से प्रभावित
संतोष यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता मातृभूमि और विश्व कल्याण के भाव को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे भावों के साथ ही मैं खुद को भी ...और पढ़ें
रेवाड़ी [अमित सैनी]। राष्ट्रीय स्वयं संघ के पांच अक्टूबर को नागपुर में आयोजित होने वाले विजयादशमी उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने वाली माउंट एवरेस्ट विजेता एवं पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित संतोष यादव का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही सही मायने में ऐसा संगठन है जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता का पोषक है। स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से वह सालों से प्रभावित है क्योंकि वह खुद संस्कृति की संरक्षक है।
मातृभूमि और विश्व कल्याण के भाव को लेकर बढ़ें आगे
संतोष यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता मातृभूमि और विश्व कल्याण के भाव को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे भावों के साथ ही मैं खुद को भी संगठन के साथ जोड़ती हुई नजर आती हूं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक स्वयं सेवक आवश्यकताओं में अपना जीवन व्यतीत कर देता है उसी प्रकार मैंने भी अपना पूरा जीवन आवश्यकताओं में ही व्यतीत किया है। संपन्न परिवार से होने के बावजूद मेरे पास भी स्वयं सेवकों की ही भांति सिर्फ एक झोला रहता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की राष्ट्र भावना ही मुझे संगठन की तरफ आकर्षित करती है और मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि बतौर मुख्यातिथि कार्यक्रम में मुझे बुलाया गया है।
महिलाओं काे हमेशा दिया है आरएसएस ने सम्मान
संतोष यादव ने कहा कि यह भ्रम फैलाया जाता रहा है कि आरएसएस से महिलाओं को दूर रखा जाता है। यह पूरी तरह से गलत है। महाराष्ट्र और दिल्ली में आरएसएस की विचारधारा से जुड़कर महिलाएं भी सालों से राष्ट्र निर्माण के आंदोलन में जुटी हुई हैं। यादव ने कहा कि उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत से वर्ष 2014 में एक कार्यक्रम में प्रथम भेंट हुई थी। विजयादशमीं कार्यक्रम में उनकी दूसरी बार भेंट होगी जिसको लेकर भी वह काफी उत्साहित है।

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