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    रोडवेज कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा था ये खेल, दैनिक जागरण की खबर देख एक्शन में आए बड़े अधिकारी

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:19 PM (IST)

    रेवाड़ी रोडवेज डिपो से आगरा-मथुरा रूट पर अब लीज की जगह रोडवेज बसें चलेंगी। निजी ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने के लिए रोडवेज के परमिट पर लीज की बसें चल रही थीं जिसमें कर्मचारियों की मिलीभगत थी। दैनिक जागरण में खबर आने के बाद रोडवेज प्रबंधन ने लीज बसों को हटाकर रोडवेज की बसें लगाने का फैसला किया। नियमों के उल्लंघन से दुर्घटना होने पर बीमा क्लेम भी नहीं मिलता।

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    आगरा-मथुरा रूट पर अब भेजी जाएंगी लीज की बजाय रोडवेज की बसें।

    जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। रेवाड़ी में स्थानीय रोडवेज डिपो से अब आगरा-मथुरा रूट पर लीज की बजाय रोडवेज की बसें संचालित की जाएंगी। निजी ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने के लिए रोडवेज बसों के नाम से परमिट लेकर लीज की बसों को रूटों पर भेजा जा रहा था।

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    बताया गया कि यह खेल खाटूश्याम, आगरा, मथुरा और मुरादाबाद रूट पर चल रहा था, जहां पर रोडवेज की बसों का परमिट होने के बावजूद लीज की बसों को भेजा जा रहा था। यह खेल रोडवेज कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा था। जबकि तत्कालीन महाप्रबंधक की तरफ एक वर्ष पहले अस्थायी मार्ग व परमिटों पर अलॉट की गई बसों को ही भेजने के आदेश दिए गए थे, लेकिन यह आदेश कागजों में धूल फांक रहे थे।

    इस खेल को दैनिक जागरण की तरफ से 16 सितंबर के अंक में ‘मिलीभगत का खेल, रोडवेज के परमिट पर दौड़ रहीं लीज वाली बसें’ शीर्षक को प्रमुखता से उजागर किया गया था। समाचार प्रकाशित होने के बाद रोडवेज प्रबंधन की तरफ से बुधवार के लिए जारी किए ड्यूटी रोटा में इन रूटों पर लीज वाली बसों की जगह रोडवेज की बसों को शामिल किया गया है। बुधवार को इन रूटों पर रोडवेज की बसें जाएंगी।

    नियमानुसार किसी भी रूट पर बस को परमिट मिलता है और रूट पर उसी बस को संचालित किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश वह बस नहीं जा पाती है तो संबंधित डिपो के यार्ड मास्टर या डीआइ द्वारा कारण सहित नोटिंग बनाकर दी जाती है और उस स्थिति में ही दूसरी बस को उस रूट पर भेजा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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    मनमजी से रूटों पर रोडवेज की बजाय लीज की बसों का संचालन किया जा रहा था। बिना परमिट के रूट पर कोई बस संचालित है और दुर्घटना हो जाए तो उसे नियमानुसार इंश्योरेंस का क्लेम भी नहीं मिलता है, लेकिन मिलीभगत के कारण नियमों को ताख पर रखा जा रहा था।