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    ट्रायल के बाद रेवाड़ी की सड़कों पर नहीं दिखी इलेक्ट्रिक बसें, सिटी सेवा का सपना अधूरा

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 03:30 PM (IST)

    रेवाड़ी शहर में सिटी बस सेवा एक मजाक बनकर रह गई है। कई सालों से पुन संचालन की मांग जारी है लेकिन रोडवेज प्रबंधन ने इलेक्ट्रिक बसों को अन्य रूटों पर चला दिया है। 2015 में शुरू हुई सिटी सेवा को कुछ महीनों बाद बंद कर दिया गया जिससे ऑटो चालकों की मनमानी बढ़ गई। सिटी सेवा शुरू होने से जाम और प्रदूषण से राहत मिल सकती है।

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    बस स्टैंड परिसर में खड़ी इलेक्ट्रिक बस। फोटो- जागरण

    जागरण संवादददाता, रेवाड़ी। आप किसी भी बड़े या उभरते शहर में चले जाएं, वहां सिटी सेवा के रूप में चलने वाली बसें एक तरह की मूलभूत सुविधा बन चुकी हैं। एनसीआर में शामिल रेवाड़ी शहर भी भविष्य का उभरता हुआ शहर है, लेकिन यहां सिटी सेवा के रूप में बसों का संचालक यात्रियों के लिए एक तरह का मजाक ही बनकर रह गया। कई वर्षों से सिटी बस सेवा के पुन: संचालन की मांग जारी।

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    कुछ समय पहले जब रोडवेज के बेड़े में पांच एसी इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किया गया तो कुछ उम्मीद जगी थी। इसको लेकर बकायदा कुछ दिन शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले सर्कुलर रोड ट्रायल भी हुआ लेकिन बाद में रोडवेज के अधिकारियों ने इन्हें सिटी सेवा के रूप में चलाने की बजाए धारूहेड़ा और बावल रूट पर चला दिया।

    दरअसल, रोडवेज प्रबंधन की तरफ से इसको लेकर कई तर्क दिए गए। इनमें रेलवे विभाग से स्टापिज के लिए अनुमति नहीं मिलना तथा सर्कुलर रोड पर पड़ने वाले नाईवाली चौक पर लंबे घुमाव सहित कई कारण बताते हुए सिटी बस सेवा का संचालन रोका गया है।

    इलेक्ट्रिक बसों को सीधे बावल व धारूहेड़ा रूट पर सामान्य बसों की तरह संचालन किया हुआ है। जबकि यह बसें सिटी सेवा के रूप में चलनी थी। वहीं अब तो धारूहेड़ा रूट पर भी इलेक्ट्रिक बस को बंद करके बावल रूट पर संचालित कर दिया गया।

    हालांकि रोडवेज प्रबंधन की तरफ से और इलेक्ट्रिक बसें आने के बाद सिटी बस सेवा के पुन: शुरू करने की बात कही जा रही है, लेकिन धारूहेड़ा रूट पर सीधा रूट होने तथा बेहतर सड़क होने के बाद भी इलेक्ट्रिक बसों का संचालन बंद करना कहीं न कहीं रोडवेज प्रबंधन की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।

    वर्ष 2015 में आरंभ हुई थी सिटी सेवा

    रोडवेज प्रबंधन की तरफ से वर्ष 2015 में सिटी बस सेवा शुरू की गई थी। सिटी सेवा में किराया कम होने के कारण यात्रियों का खासा उत्साह रहता था। इन बसों में पांच रुपये किराया था, जिससे यात्रियों की मारामारी रहने के कारण प्रत्येक बस में दो-दो परिचालक लगाने पड़े थे। जबकि आटो में उस समय दस रुपये किराया था।

    वहीं सिटी बस सेवा में रोडवेज प्रबंधन को अच्छी कमाई हो रही थी, लेकिन कुछ माह के संचालन के बाद ही सिटी सेवा को बंद कर दिया गया। इसके बाद आटो चालकों की मनमानी बढ़ गई जोकि अभी तक जारी है। अब आटो में 20 रुपये तक किराया वसूला जा रहा है।

    कल के अंक में पढ़िए...प्रदूषण के साथ ही जाम की समस्या से मिलेगी निजात

    अगर शहर में सिटी सेवा आरंभ होती है तो इससे न केवल शहर में जाम की समस्या काफी कम हो जाएगी। वहीं शहर के लोगों को प्रदूषण से भी राहत मिलेगी। सिटी सेवा नहीं होने के कारण शहर में एक हजार से अधिक ऑटो चल रहे हैं।

    वहीं 300 से 400 ई-रिक्शा भी शहर के सरकुलर रोड सहित अन्य मुख्य सड़कों पर दौड़ रही हैं। इनके कारण दिनभर बाजारों और मुख्य मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रहती है।