Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हरियाणा की राजनीति के केंद्र रहे परिवार में चरम पर पहुंचा विवाद, दरकने लगीं रामपुरा हाउस की दीवारें

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 27 Nov 2020 04:31 PM (IST)

    राव अजीत सिंह वैचारिक स्तर पर कांग्रेस के निकट कभी नहीं रहे मगर जब बेटे अर्जुन की रणदीप सुरजेवाला के माध्यम से कांग्रेस से निकटता बढ़ी तो पिता को भी कुछ वर्षो से बेटे के साथ आना पड़ा। इंद्रजीत सिंह भी मध्यस्थता के लिए आगे आ सकते हैं।

    Hero Image
    राव इंद्रजीत के छोटे भाई राव अजीत सिंह व उनके बेटे राव अर्जुन सिंह एक दशक से संघर्षरत हैं।

    महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी। हरियाणा की राजनीति में रामपुरा हाउस का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। एक समय था जब प्रदेश की राजनीति इस हाउस के इर्द-गिर्द भी घूमती थी, मगर समय के साथ अब इसकी राजनीतिक दीवारें दरकने लगी है। ताजा मामला पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के मंझले बेटे राव अजीत सिंह की ओर से अपने ही बेटे अर्जुन सिंह के खिलाफ अभद्रता व जान से मारने की धमकी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करवाना व उन्हें संपत्ति से बेदखल करने की घोषणा करने से जुड़ा है। इसके साथ ही हाउस का पारिवारिक विवाद चरम पर पहुंच गया है। अर्जुन ने फिलहाल जुबान पर ताला जड़ लिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूत्रों के अनुसार उन्हें विवाद खत्म होने की उम्मीद है। अर्जुन के ताऊ राव इंद्रजीत सिंह बेशक अजीत-अर्जुन की राजनीतिक विचारधारा से अलग राह पकड़ चुके हैं, मगर सूत्रों के अनुसार परिवार में उच्च स्तर पर एक करवाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। कुछ दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की जा रही है।

    राजनीतिक विरासत में इंद्रजीत भारी : रामपुरा रियासत का सफेद महल ही रामपुरा हाउस के रूप में प्रसिद्ध है। पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह का घर और राजनीतिक ठिकाना यही था। इस महल का राजनीतिक रुतबा लगभग एक दशक पूर्व तब घट गया था, जब रामपुरा हाउस से मात्र 500 मीटर दूर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपना नया हाउस बना लिया था। परिवारिक बंटवारे के बाद अस्तित्व में आया यह इंद्रजीत हाउस ही आज सत्ता का असली केंद्र है, जबकि रामपुरा हाउस की खोई शक्ति वापस पाने के लिए राव इंद्रजीत के छोटे भाई राव अजीत सिंह व उनके बेटे राव अर्जुन सिंह एक दशक से संघर्षरत हैं।

    राव बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत पर कब्जा जमाने में राव इंद्रजीत सिंह सब पर भारी रहे हैं, मगर रणदीप सिंह सुरजेवाला का साथ मिलने से युवा अर्जुन सिंह कांग्रेस के सहारे रामपुरा हाउस की ताकत बढ़ाने में लगे हुए थे। अब तक यह माना जा रहा था कि उन्हें पिता अजीत सिंह का आशीर्वाद मिला हुआ है, मगर प्राथमिकी दर्ज होने व संपत्ति से बेदखल की सूचना ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। घर की लड़ाई बाहर आ गई है। राजनीतिक तल्खी रिश्तों पर भी नजर आने लगी है।

    पहले राव बीरेंद्र के नियंत्रण में था कुनबा : जब तक राजनीति में राव बीरेंद्र सिंह की तूती बोलती थी तब तक पूरे परिवार पर उनका नियंत्रण था। राजनीति में किसे कहां पर क्या भूमिका निभानी है यह बीरेंद्र सिंह तय करते थे। बाद में उनके तीनों बेटे, बड़े राव इंद्रजीत सिंह, मंझले राव अजीत सिंह व छोटे राव यादुवेंद्र सिंह की राजनीतिक राहें अलग-अलग हो गई। राव इंद्रजीत सिंह ने 2013 में कांग्रेस से साढ़े तीन दशक पुराना नाता तोड़कर भाजपा से नाता जोड़ लिया। कांग्रेस में रहते हुए राव इंद्रजीत का भूपेंद्र सिंह हुड्डा से छत्तीस का आंकड़ा रहा, जबकि उनके छोटे भाई राव यादुवेंद्र सिंह तब की तरह आज भी हुड्डा के खास सिपहसालार बने हुए हैं। राव अजीत सिंह एक दशक पहले तक अहीरवाल में इनेलो के बड़े चेहरे थे, मगर अपने धुर विरोधी पूर्वमंत्री जगदीश यादव को इनेलो में महत्व मिलना उन्हें स्वीकार नहीं हुआ। ।

    Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो