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    Mahendragarh School Bus Accident: शराब के नशे में स्कूल बस चला रहा था ड्राइवर, दुर्घटना में मौत की नींद सो गए 6 मासूम

    Updated: Thu, 11 Apr 2024 02:58 PM (IST)

    नारनौल के कनीना में बृहस्पतिवार सुबह हुए स्कूल बस हादसे में छह बच्चों की मौत हो गई। जबकि 37 बच्चे घायल हो गए। हादसे की मुख्य वजह सामने आयी है। नियमों को ताक पर रख कर बस दौड़ाई जा रही थी। ड्राइवर शराबी है। यह जानते हुए भी स्कूल प्रबंधन ने उसे बस की चाबी सौंप दी। घटना के लिए स्कूल प्रबंधन से लेकर आरटीए भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।

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    Mahendragarh School Bus Accident: शराबी होने के बात जानते हुए भी प्रबंधन ने सौंप दी बस की चाबी

    सत्येंद्र सिंह, रेवाड़ी। छह बच्चों के लिए यम वाहन बनी स्कूल बस के ड्राइवर धर्मेंद्र ने शराब पी रखी थी जिसके चलते ही हादसा हुआ। जबकि जीएल पब्लिक स्कूल कनीना के प्रबंधन से जुड़े लोगों को पता था कि ड्राइवर शराब पीने का लती है। इसके बाद भी बस की चाबी सौंप दी।

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    स्कूल संचालक ने स्विच ऑफ किया मोबाइल

    यदि प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी समझता तो हादसे में छह बच्चों की जान नहीं जाती और 37 बच्चे घायल नहीं होते। इस घटना के लिए स्कूल प्रबंधन से लेकर आरटीए भी कम जिम्मेदार नहीं हैं।

    वह भी आंख बंद किए बैठे रहे और नियमों को ताक पर रख मौत की बस सड़क पर दौड़ती रही। घटना के बाद स्कूल संचालक ने अपने मोबाइल का स्विच बंद कर लिया है। अधिकारी भी जांच की बात कह कुछ कहने से बच रहे हैं।

    हादसा बृहस्पतिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुआ। धनौदा और झाड़ली गांव में बच्चों के लेने से पहले ड्राइवर गांव खेड़ी पहुंचा था। ग्रामीण अशोक तथा सुनील ने बताया कि वह ड्राइवर ठीक से बात भी नहीं कर पा रहा था। कुछ युवकों ने उससे चाबी भी छीन ली थी। 

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    धर्मेंद्र ने नौकरी जाने की बात कह माफी मांगी तो उसे चाबी दे दी गई थी। वहां से वह बस लेकर चला तो गति अधिक होने तथा दिमाग सही नहीं होने पर उसने कनीना के महिला महाविद्यालय के पास मोड़ होने पर उसने बस से नियंत्रण खो दिया और पेड़ से टकरा बस पलट गई।

    बस से कूदकर भाग गया ड्राइवर

    बस में शीशों के पास सेफ्टी राड नहीं होने के चलते जब बस पलटी तो शीशे टूटने से आठ से दस बच्चे बस से आकर गिर गए और बस के नीचे दबने से छह की मौत हो गई, जबकि तीन बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के बाद ड्राइवर बस से कूद कर भाग गया।

    नियम ताक पर

    यह बस 10 अप्रैल 2015 को आरटीए महेंद्रगढ़ कार्यालय से पंजीकृत हुई थी। इसकी फिटनेस अवधि 23 अगस्त 2018 तक वैध थी। इसके बाद फिटनेस नहीं कराई गई। आरटीए की ओर से भी कोई कदम नहीं आए गए।

    बस का इंश्योरेंस 30 अगस्त 2017 को खत्म हो चुका है, जिसे आज तक रिन्यू नहीं कराया गया है। टैक्स भी 2017 तक ही भरा हुआ है। इसके अलावा बस का प्रदूषण सर्टिफिकेट भी 18 मार्च 2024 में समाप्त हो चुका है।

    नहीं लगी थी सेफ्टी राड

    स्कूल बस में छोटे बच्चे सवार होते हैं। ऐसे में बस में शीशों के साथ सेफ्टी राड लगानी अनिवार्य होती है। इस बस में राड नहीं लगी होने से शीशे टूटने के बाद बच्चे बाहर गिरे और मौत का शिकार हो गए।

     बस में प्राथमिक चिकित्सा बाक्स भी नहीं था। ड्राइवर के अलावा सुरक्षा गार्ड या सहायक भी नहीं था। जबकि यह अनिवार्य होता हैं। ड्राइवर और सहायक का मोबाइल नंबर भी नहीं दर्ज था।

    दिखावे के लिए होती है बैठक

    सुरक्षित यातायात को लेकर हर माह उपायुक्त की अध्यक्षता में मासिक बैठक  होती हैं। जिसमें सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य एसडीएम, आरटीए तथा अन्य अधिकारी शामिल होते हैं।

    बैठक में स्कूल बसों के फिटनेस को लेकर तय मापदंडों को लागू करने के लिए निर्देश दिए जाते हैं। लेकिन हादसे के बाद निर्देश कागजी साबित हो रहे हैं। घटना को लेकर जिम्मेदार अधिकारी बयान देने से भी बच रहे हैं।

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृहमंत्री सहित कई नेताओं ने शोक जताया

    हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृहमंत्री अमित शाह ने दुख जताया है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेसी नेता कुमारी सैलजा सहित कई नेताओं ने शोक जताते हुए घटना की जांच करने की मांग की है।

    घायलों को देखने पहुंची शिक्षा मंत्री

    हादसे में घायल कई बच्चों को रेवाड़ी के एक प्राइवेट अस्पताल में लाया गया। उन्हें देखने के लिए प्रदेश की शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा पहुंची। स्वजन को सात्वंना देते हुए उन्होंने उपायुक्त को जांच कर दोषी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई  करने के निर्देश दिए हैं।