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    Haryana News: गोवंशी नहीं उनके पालक हो रहे हिंसक, छह-सात बार हो चुकी घटनाएं; अब प्रशासन करेगा ये काम

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sun, 20 Apr 2025 03:22 PM (IST)

    रेवाड़ी में सड़कों पर घूमती गायों को पकड़ने के दौरान गायों की जगह उनके पालक हिंसक हो रहे हैं। पिछले ढाई महीने में एजेंसी कर्मचारियों के साथ मारपीट की छह-सात घटनाएं हुई हैं। मालिक दूध दुहने के बाद गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं। नगर परिषद ने एजेंसी के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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    गायों को पकड़ते समय गायें नहीं बल्कि इनके रखवाले ही हिंसक हो रहे हैं। जागरण

    जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। शहर की सड़कों पर घूम रही गायों के हिंसक होने की घटनाओं के बाद नगर परिषद ने इन्हें पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया था। लेकिन अब इन गायों को पकड़ते समय गायें नहीं बल्कि इनके रखवाले ही हिंसक हो रहे हैं।

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    रखवाले बने हिंसक

    पिछले ढाई माह में टेंडर लेने वाली एजेंसी के कर्मचारियों के साथ मारपीट व हाथापाई की छह से सात घटनाएं हो चुकी हैं। ये घटनाएं गायों को पकड़ते समय खुद को इनका रखवाला बताने वाले लोगों द्वारा की गई। लेकिन थाने पहुंचने के बाद समझौता कर मामला शांत हो गया।

    हालांकि शनिवार को हुई घटना के बाद अब पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने की तैयारी कर ली है।

    दरअसल, इसी साल 28 जनवरी को नगर परिषद ने रॉयल इंटरप्राइजेज एजेंसी को गाय पकड़ने का ठेका दिया था। एजेंसी ने ढाई महीने में ही शहर में 900 गायों को पकड़कर गौशाला में पहुंचा दिया है। ये आंकड़े बताते हैं कि शहर में सड़कों पर कितनी बड़ी संख्या में गायें घूम रही हैं।

    स्थिति यह है कि अभी शहर के बाहरी इलाकों से ही गायें पकड़ी गई हैं। गलियों और मोहल्लों में तो इनकी संख्या और भी ज्यादा है।

    ये है माजरा

    शहर की सड़कों पर घूम रही गायों को बेसहारा का तमगा दे दिया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि इनमें से 90 फीसदी गाय मालिकों की होती हैं। मालिक खुद सुबह-शाम दूध दुहने के बाद इन्हें सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। इनका समय तय होता है।

    जरूरत पड़ने पर मालिक इन्हें सड़क से पकड़कर घर ले आते हैं और फिर इन्हें सड़क पर छोड़ दिया जाता है। सर्कुलर रोड के अंदर ऐसे एक दर्जन से ज्यादा मालिक हैं, जिनके पास एक-दो नहीं, बल्कि 20-20 गायें हैं। लेकिन इनके पास इन्हें रखने के लिए जगह तक नहीं है। चारे के नाम पर इन्हें सड़कों और गलियों में छोड़ दिया जाता है। बिना किसी खर्च के मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में गायों को बेसहारा छोड़ दिया जाता है।

    फोन करने पर उपलब्ध होते है ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस

    गाय पकड़ने का टेंडर लेने वाली फर्म से जुड़े देवेंद्र यादव ने बताया कि शुरुआत में जब गाय पकड़ते समय उनके साथ घटना हुई थी, तो प्रशासन ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस बल मुहैया कराया था।

    कई दिनों तक काम सुचारू रूप से चलता रहा। जिसके कारण पुलिस और ड्यूटी मजिस्ट्रेट की जरूरत नहीं पड़ी। अब फिर से हाथापाई और धमकी जैसी घटनाएं होने लगी हैं। ऐसे में ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस फोन पर उपलब्ध हैं।

    सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने वालों पर करेंगे कार्रवाई: ईओ

    नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संदीप मलिक ने बताया कि गायों को पकड़ने का ठेका नगर परिषद ने दिया हुआ है। एजेंसी के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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