अवैध खनन से छलनी हुई अरावली, अवशेषों में सिमटी पहाड़ियां; गहरे गड्ढों में पानी भरने से होते हैं हादसे
भिवाड़ी के पास अरावली पर्वत श्रृंखला पर वर्षों से चले अवैध खनन ने प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचाया है। कभी हरी-भरी पहाड़ियां अब केवल अवशेषों में सिमट ग ...और पढ़ें
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अरावली को भारी नुकसान पहुंचाया। जागरण
संवाद सहयोगी, भिवाड़ी। औद्योगिक नगरी भिवाड़ी के आसपास फैली अरावली पर्वत श्रृंखला पर वर्षों तक चले अवैध खनन ने प्रकृति को गहरा नुकसान पहुंचाया है। कहरानी, छापर, जोड़िया, खोरीकलां, चूहड़पुर, इंदौर सहित आसपास के कई इलाकों में कभी ऊंची और हरियाली से आच्छादित पहाड़ियां वर्तमान में केवल अपने अवशेषों में सिमटकर रह गई हैं। अंधाधुंध खनन के चलते कई स्थानों पर पहाड़ियों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय तक चली अवैध खनन गतिविधियों ने न सिर्फ पहाड़ों को छलनी किया, बल्कि वन संपदा और जैव विविधता को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। खनन के दौरान पहाड़ियों को खोखला कर दिया गया, जिससे बड़े-बड़े गड्ढे बन गए। वर्षा के मौसम में इनमें पानी भर जाता है, जो हादसों का कारण बनता है। कहरानी, खोरीकलां और चूहड़पुर क्षेत्र में ऐसे गड्ढों में नहाने या खेलने के दौरान पूर्व में कई मौतें हो चुकी हैं।
ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि पुराने खनन स्थलों को सुरक्षित किया जाए, गड्ढों को भरवाया जाए और व्यापक स्तर पर पौधरोपण कर पहाड़ियों को फिर से हरा-भरा बनाने की योजना बनाई जाए।
चौपानकी के रहने वाले जमशेद खान ने बताया कि अवैध खनन से पहाड़ियों का अस्तित्व खत्म हुआ है और इसका सीधा असर वन्य जीवों व पर्यावरण पर पड़ा है। अवैध खनन बंद होने के बाद पहाड़ियों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए थे, लेकिन प्रशासन ने इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई।
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हरला की ढाणी गोधान के रहने वाले मोहन बिधूड़ी ने बताया कि पहले कहरानी के आसपास अरावली की पहाड़ियां हरियाली से ढकी रहती थीं, लेकिन अब केवल उनके अवशेष ही दिखाई देते हैं।

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