मदन की आंखों में बस कला का सपना
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी : कला से पल पल दूर होते युवाओं में ऐसे भी हैं, जो कला के लिए समर्पित हो गए हैं।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी : कला से पल पल दूर होते युवाओं में ऐसे भी हैं, जो कला के लिए समर्पित हो गए हैं। रेवाड़ी जिले के कुतुबपुर मोहल्ले के निवासी मदन डागर पिछले पंद्रह वर्षो से भारतीय कला, संस्कृति, संगीत और नाटक को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं। खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग द्वारा संचालित युवा गतिविधियों में मदन डागर तकनीकी सहायक के तौर पर कार्यरत हैं। मदन बताते हैं कि वर्ष 2000 से अब तक वे 1500 नाटकों में अभिनय कर चुके हैं। करीब एक दर्जन से अधिक नाटकों का निर्देशन भी वह कर चुके हैं। डागर व उनकी टीम साक्षरता, जनसंख्या, पोलियो उन्मूलन, मतदाता जागरूकता अभियान, मानवाधिकार आदि से संबंधित कई विषयों पर लोगों को संगीत व अभिनय के जरिए जागरूक करती है।
नाना से मिली प्रेरणा
मदन डागर को संगीत के प्रति प्रेरणा उनके नाना सरदारा नाथ से मिली। मदन कहते हैं कि बचपन में उनके नाना सारंगी बजाकर लोगों को रागनी सुनाते थे। लोगों की प्रशंसा से नाना के साथ-साथ उनमें भी जोश का संचालन होता था। तभी से उन्होंने जीवन का उद्देश्य संगीत और नाटक को बढ़ावा देने का बना लिया। संगीत और थिएटर के क्षेत्र में आज रेवाड़ी ही नहीं राज्य स्तर पर डागर पहचान बना चुके हैं। मदन डागर के अनुसार नाटक की बारीकियां उन्हें प्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश मस्तान से सीखने को मिली। वहीं संगीत की बारीकियां दिल्ली के प्रसिद्ध संगीतज्ञ भूपेंद्र मल्होत्रा और नृत्य की प्रेरणा प्रसिद्ध नृत्यांगना संगीता तनेजा से मिली।
प्रदेश के श्रेष्ठ युवा बने मदन
- चार वर्षो से राज्य स्तरीय युवा उत्सव में हरियाणवी ऑर्केस्ट्रा में प्रथम स्थान प्राप्त करते आ रहे हैं।
- वर्ष 2013-14 में सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए राज्य का श्रेष्ठ युवा का मिला खिताब।
- सन् 2013 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस शिविर में खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग की ओर से 15 सदस्यीय दल का प्रतिनिधित्व
- वर्ष 2013 से 2015 तक क्रमश: कर्नाटक, लुधियाना व आसाम में आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव में हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया। इसमें ¨हदी एकांकी में राज्य में तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया।
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