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    SC ने मंगाई EVM, दोबारा हुई वोटों की गिनती... चुनाव के तीन साल बाद जीता हारा हुआ प्रत्याशी

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 08:04 AM (IST)

    पानीपत के बुआना लाखु गांव में सरपंच चुनाव का परिणाम सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया है। ईवीएम की दोबारा गिनती में मोहित 51 वोटों से विजयी घोषित हुए जबकि पहल ...और पढ़ें

    हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई (जागरण फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, पानीपत। दो वर्ष 10 माह पूर्व हुए सरपंच के चुनाव के परिणाम को सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बदल दिया है।

    सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की दोबारा गिनती के बाद हारा हुआ प्रत्याशी 51 वोटों से विजयी घोषित किया गया। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दोबारा गिनती कराने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ याची सुप्रीम कोर्ट गया।

    सर्वोच्च न्यायालय ने दो महीने में ही अपनी निगरानी में ईवीएम खुलवाई और आदेश भी सुना दिया। यह अपने तरह का देश का पहला मामला बताया जा रहा है। गुरुवार को पानीपत जिले के इसराना बीडीओ कार्यालय में मोहित को बुआना लाखु के सरपंच पद की शपथ दिलाई जाएगी।

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    दो सरपंच बना दिए गए

    2 नवंबर 2022 को हुए ग्राम पंचायत चुनाव में एक अधिकारी की गलती से कुछ घंटे के लिए बुआना लाखू के दो सरपंच बन गए थे। पहले कुलदीप को सरपंच बनने का प्रमाणपत्र दिया गया था, लेकिन दोबारा मतगणना में मोहित को सरपंच घोषित कर दिया गया था।

    दोनों को विजेता होने का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया था। लेकिन पहले विजेता घोषित कुलदीप ने हार मानने से इनकार कर दिया। बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के सात प्रत्याशी थे।इनमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित में मुकाबला था। गांव के बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे।

    निर्वाचन अधिकारी से बूथ नंबर 69 पर गलती से परिणाम बदल गया। यहां मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए। इसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया।

    जांच में क्या सामने आया?

    जांच में सामने आया कि एक बूथ के पीठासीन अधिकारी की गलती से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम के आंकड़ों में अदला-बदली हो गई थी। जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया।

    रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित परिणाम को अपडेट करते हुए मोहित को विजेता घोषित किया, लेकिन कुलदीप ने हार मानने से इनकार कर दिया था। नियमानुसार उसे प्रमाणपत्र मिल चुका था। कुलदीप 12 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट से स्टे ले आया। पहली जून 2025 को हाई कोर्ट ने दोबारा मतगणना कराने से इनकार कर दिया और फैसला कुलदीप के पक्ष में दिया।

    हाई कोर्ट के फैसले को SC में दी चुनौती

    12 जून को मोहित ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 31 जुलाई को पहली सुनवाई हुई और सात जुलाई को अपनी निगरानी में दोबारा मतगणना का आदेश दिया। सात जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में मतगणना हुई, जिसमें कुलदीप को एक हजार और मोहित को 1051 वोट मिले।

    इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त की तारीख दी। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एनके सिंह की पीठ ने मोहित को विजयी घोषित कर जिला प्रशासन को दो दिन में शपथ दिलाने का आदेश दिया।

    न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि ओएसडी (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर संदेह करने का प्रथम दृष्टया कोई कारण नहीं है। विशेष रूप से जब पूरी पुनर्गणना की उचित रूप से वीडियोग्राफी की गई है।