प्राचीन काल से ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित है श्री दुर्गा मंदिर, दूर-दूर तक है मान्यता
कुरुक्षेत्र का धार्मिक महत्व है। यहां के ब्रह्मसरोवर के तट पर प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर स्थित है। प्राचीन मंदिर होने की वजह से इसकी दूसरे राज्यों तक आस्था है। दर्शन के लिए नवरात्र में दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां रोजाना श्रद्धालु पूजन के लिए पहुंचते हैं। ब्रह्मसरोवर व धर्मनगरी के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर में तांता लगा रहा है। मां दुर्गा को आलौकिक स्वरूप भक्तों को मोहित करता है।
जानिए मंदिर का इतिहास
प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर कबीर कुटिया के नजदीक ब्रह्मासरोवर के तट पर स्थित है। वर्षों पूर्व ब्रह्मसरोवर का पवित्र जल मंदिर की सीढ़ियों को स्पर्श करता था। ब्रह्मसरोवर पर स्थान कर श्रद्धालु मंदिर में मां के दर्शन करते थे। यहां शेर पर सवार मां दुर्गा स्वरूप वाली मूर्ति स्थापित है। ब्रह्मसरोवर पर स्नान के पश्चात मां के दर्शनों का विशेष महत्व बताया जाता है। नवमी के दिन यहां विशेष आरती होती है और कंजक पूजन होता है। पहले मां को हलवे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद कन्या पूजन किया जाता है। प्राचीन काल में मंदिर का आकार छोटा था। ब्रह्मसरोवर पर आए एक दिल्ली के एक व्यापारी ने मंदिर में मनोकामना मांगी, जिसके पूर्ण होने पर व्यापारी ने यहां मंदिर भवन का निर्माण कराया।
मां को चुगटी चढ़ाने से होती हर मनोकामना पूर्ण
मां के दरबार में चांदी की चुगटी चढ़ाने पर श्रद्धालु की हर इच्छा पूर्ण होती है। पिछले कई वर्षों से दुर्गा माता मंदिर की सेवा उनके परिवार के लोग ही करते आए हैं। मां दुर्गा का यह बिना गुंबद वाला अति विशेष मंदिर है। नवरात्र महोत्सव के दिनों में यहां मां दुर्गा की विशेष पूजा अतिफलदायी होती है। ब्रह्मसरोवर पर एकांत क्षेत्र में बने इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु मां की पूजा सच्चे मन से करता है उसकी मनोवांछित इच्छा जल्दी पूरी हो जाती है। खासकर पैरों में डालने वाली चांदी की चुगटी मां को अति प्रिय है।
-मंदिर के पुजारी तुषार शर्मा
विभिन्न राज्यों से आते बड़ी संख्या में श्रद्धालु
ब्रह्मसरोवर तट पर स्थित दुर्गा मंदिर बेहद प्राचीन है। वे कई बरसों से मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। मां दुर्गा अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं लौटाती। यहां दर्शन करने से मन में शांति का संचार होता है।
- श्रद्धालु नीलकंठ शर्मा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।