Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri 2022: इस बार नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, इस मुहूर्त में कलश स्‍थापना होगा फलदायी

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 01:31 PM (IST)

    Navratri 2022 शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है। इस गार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और नाव में सवार होकर जाएंगी। हाथी पर सवारी का संकेत शुभ है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में कलश स्‍थापना फलदायक रहता है।

    Hero Image
    शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से।

    कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शक्ति की साधना शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएगी। 26 सितंबर को शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहा है। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाई जाएगी।

    हर दिन मां जगदंबा के नौ रूपों की पूजा

    हर दिन मां जगदंबा के नौ रूपों की पूजा होती है। देवी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में प्रत्येक दिन पूजा में विशेष का उपयोग किया जाता है। नवरात्रि में पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इस नवरात्रि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाथी पर आएंगी मां दुर्गा

    रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं। शनि और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता घोड़े पर आती हैं। वीरवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं। हाथी की सवारी और इसका संकेत इस साल का शारदीय नवरात्रि काफी शुभ माना जाता है। क्योंकि इसका प्रारंभ सोमवार के दिन से हो रहा है। सोमवार पड़ने के कारण मां दुर्गा हाथी में सवार होकर आ रही हैं।

    ये है शुभ संकेत

    हाथी में सवार होकर आने का मतलब है कि सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी। अधिक बारिश होगी। जिसके कारण चारों और हरियाली ही हरियाली होगी। इसके साथ ही अन्न का खूब उत्पादन होगा। अबकी बार नाव से होगी मां दुर्गा की वापसी बता दें कि शारदीय नवरात्रि पांच अक्टूबर को समाप्त हो रहे हैं। इस दिन बुधवार होने के कारण मां दुर्गा नाव पर सवार होकर वापस जाएगी। नौका पर जाना यानी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण होना माना जाता है।

    ये भी जानें

    हिंदू धर्म के तीज, त्योहारों पर घटस्थापना (कलश स्थापना) का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों और नक्षत्रों का वास माना गया है। कलश सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला और मंगल कार्य का प्रतीक माना जाता है। घट यानी कलश में शक्तियों का आह्वान कर उसे सक्रिया करना। नवरात्रि में भी कलश स्थापना कर समस्त शक्तियों आह्वान किया जाता है। इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ को ब्रह्मा जी और अन्नपूर्ण देवी का प्रतीक माना गया है, कहते हैं जौ को ही सृष्टि की सबसे पहली फसल माना जाता है। घटस्थापना के समय जौ यानी जवारे बोए जाते हैं और फिर सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है। जौ (अन्न) को ब्रह्मा का रूप माना गया है, इसलिए सर्व प्रथम इनका सम्मान करना चाहिए।

    शारदीय नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त

    अश्विन प्रतिपदा तिथि आरंभ- 26 सितंबर 2022, 03:23

    अश्विन प्रतिपदा तिथि समापन - 27 सितंबर 2022, 03:08सुबह

    घटस्थापना सुबह का मुहूर्त (26 सितंबर 2022) 06:17 -07:55 सुबह (अवधि - 01 घंटा 38 मिनट)

    घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 11:54 सुबह 12:42 दोपहर (अवधि - 48 मिनट)

    घटस्थापना पूजा विधि

    गायत्री ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया की नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें। समय का खास ध्यान रखें। मिट्‌टी के पात्र में एक परत खेत की स्वच्छ मिट्‌टी की डालें और उसमें जों अनाज बोएं अब व्रत का संकल्प लेकर ईशान कोण में पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी दुर्गा की फोटो की स्थापना करें। इसके बाद तांबे या मिट्‌टी के कलश में गंगाजल, दूर्वा, अक्षत, सिक्का, सुपारी, डालें। कलश पर मौली बांधें और इसमें आम या अशोक के पांच पत्ते लगा दें। फिर कलश के ऊपर से लाल चुनरी से बंधा जटा वाला नारियल रख दें। नारियल को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है, साथ ही इसमें त्रिदेव का वास होता है। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं अब जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के आगे स्थापित कर दें।

    शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में नौ देवियों के नौ बीज मंत्र

    पहला दिन -- शैलपुत्री-- ह्रीं शिवायै नम:।

    दूसरा दिन -- ब्रह्मचारिणी -- ह्रीं श्री अंबिकायै नम:।

    तीसरा दिन- चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

    चौथा दिन-- कूष्मांडा -- ऐं ह्री देव्यै नम:।

    पांचवा दिन-- स्कंदमाता -- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

    छठा दिन-- कात्यायनी -- क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:।

    सातवाँ दिन-- कालरात्रि-- क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

    आठवां दिन-- महागौरी-- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

    नौवां दिन-- सिद्धिदात्री-- ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

    नित्य नवार्ण मंत्र-  ओम ऐं ह्रीं क्लीम चामुण्डायै विच्चे