Haryana की बेटी के संघर्ष की कहानी, बचपन में देखा जज बनने का सपना हुआ साकार Panipat News
करनाल की बिटिया ने हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया। प्रिया गुप्ता ने कहा फैसले के बजाय इंसाफ देना रहेगी मेरी प्राथमिकता।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। स्कूल में शिक्षक इस बेटी से पूछते थे कि आप बड़े होकर क्या बनोगे तो वह कहती थी जज बनूंगी। क्लास आगे बढ़ती गई और टीचर बदलते रहे। नया टीचर जब भी यह सवाल करता था तो उसका जवाब हमेशा एक ही रहता था। जज बनाना उसके सपने में शामिल था। कड़ी तपस्या व लगन से आखिरकार करनाल के सेक्टर आठ की इस बेटी प्रिया गुप्ता ने अपना सपना साकार कर लिया। उसने हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया है।
परिणाम घोषित होने के साथ ही प्रिया के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। वह सुबह से लेकर रात तक आशीर्वाद लेने में ही व्यस्त है। उसने अपनी उपलब्धि का श्रेय पिता एडवोकेट राजेंद्र कुमार व मां अनीता गुप्ता को दिया। उसने कहा कि फैसला करना और इंसाफ देना दोनों अलग बाते हंै। उसकी प्राथमिकता में हमेशा इंसाफ देना होगा और इसके लिए वह तमाम पहलूओं पर गौर करके फैसला देगी। क्योंकि लोगों का विश्वास न्याय प्रणाली पर कायम है। वह लोगों के इस विश्वास को और मजबूत करेगी।
दिल्ली व राजस्थान की न्यायिक परीक्षा भी कर चुकी है पास
प्रिया गुप्ता ने पिछले साल ही दिल्ली व राजस्थान की न्यायिक परीक्षा भी पास की है। राजस्थान की न्यायिक परीक्षा के परिणाम में उसका छठा रैंक रहा। दिल्ली की न्यायिक परीक्षा में भी उसने उल्लेखनीय रैंक हासिल किया। अब उसने हरियाणा में भी परीक्षा पास कर ली है। वह हरियाणा में ही अपनी सेवाएं देने को प्रतिबद्ध है।
बेटी पर है गर्व : राजेंद्र गुप्ता
करनाल कोर्ट में प्रेक्टिस करने वाले एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि उनकी बेटी का बचपन से ही सपना था कि वह जज बने और आज उसका सपना पूरा होता देखकर गर्व की अनुभूति हो रही है। मां अनीता गुप्ता ने कहा कि उनकी बेटी पढ़ाई को लेकर हमेशा गंभीर रही है और नतीजा सबके सामने है।
सफलता का मंत्र-सोशल मीडिया व मोबाइल से दूरी
मूल रूप से करनाल के बडौता गांव की रहने वाली प्रिया गुप्ता ने अपनी सफलता का मंत्र भी बताया। पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी करने के बाद उसने एलएलएम की पढ़ाई शुरू कर दी थी। इसी बीच उसने न्यायिक परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वह सुबह से ही विषय अनुसार लक्ष्य बनाकर करीब आठ घंटे तक पढ़ाई करती थी। इस दौरान उसका संकल्प था कि इस अवधि में वह सिर्फ अध्ययन करेगी और सोशल मीडिया और मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेगी। लक्ष्य बनाकर अध्ययन करने से निश्चित रूप से सफलता मिलती है। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों से भी यही अपील करती हैं कि एकाग्रचित होकर और लक्ष्य बनाकर ही अध्ययन करना चाहिए।
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