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    Panipat News: रिफाइनरी के पास की आबोहवा बिगाड़ रही सेहत, गांवों का पानी नहीं बचा पीने लायक

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Thu, 12 Jan 2023 09:45 AM (IST)

    हरियाणा के पानीपत में आबोहवा गांव के लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। गांव के कईं इलाकों में पानी पीने लायक भी नहीं बचा है। रिफाइनरी अधिकारियों ने गैस रिसाव की बात खारिज कर दी है। इससे किसानों की फसल पर असर पड़ रहा है।

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    रिफाइनरी के पास की आबोहवा बिगाड़ रही सेहत, गांवों का पानी नहीं बचा पीने लायक

    जागरण संवाददाता, पानीपत : रिफाइनरी के आसपास की आबोहवा खेतों ही नहीं आसपास के ग्रामीणों की सेहत भी बिगाड़ रही है। सिंहपुरा व सिठाना सहित कई गांवों में पीने लायक पानी नहीं है। लोगों को फिल्टर कर पानी पीना पड़ता है। इसके बिना पानी पीना गंभीर बीमारियों को दावत देने के बराबर है। रिफाइनरी की झील से सटे खेतों में तो फसल को भी पानी से नुकसान होता है। ग्रामीणों का आरोप है कि आसपास के गांवों में बीमारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इधर, किसानों में फसल प्रभावित होने से रोष बढ़ता जा रहा है।

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    रिफाइनरी के अधिकारियों ने किसी प्रकार की गैस रिसाव को सिरे से खारिज कर दिया है। अधिकारियों ने चिमनियों के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से कनेक्ट होने की बात कही है। रिफाइनरी के आसपास गेहूं और हरे चारे की फसल में नुकसान बढ़ता जा रहा है। रजापुर के किसानों ने बुधवार को भी खेतों में पहुंचकर रोष जताया।

    पूर्व सरपंच मंगल सिंह, हरभजन सिंह नंबरदार, कुलदीप सिंह, दलबीर सिंह, सुभाष चंद्र, जगतार सिंह, साहब सिंह, काला सिंह व गुरचरण सिंह पिछले पांच दिन से गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है। उनका कहना है कि रात के समय गैस का रिसाव होता हैं। यह पिछले कई सालों से किया जा रहा है।

    रिफाइनरी अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं होते। किसानों ने कहा कि बरसीम और दूसरा हरा चारा पूरी तरह से झुलस गया है। वे चाहकर भी पशुओं को नहीं डाल सकते। इसके खाते ही पशु बीमार होने का खतरा है। यह बीमारी लोगों में भी लग सकती है। गेहूं की फसल ऊपर से जलने के कारण ग्रोथ में रुकावट पड़ गई है।

    ये करें किसान

    कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसान फसल का फुटाव शुरू होने पर यूरिया और जिंक सल्फेट का स्प्रे करें। इसमें ढाई किलोग्राम यूरिया और आधा किग्रा. जिंक सल्फेट को 125 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इससे फसल में फुटाव तेज होगा।

    जहरीली गैस के चलते गेहूं के पत्ते झुलसे

    गांजबड़ के किसान रोहताश ने बताया कि चार एकड़ में गेहूं की बिजाई की थी। शुक्रवार शाम तक फसल ठीक खड़ी थी। शनिवार सुबह गेहूं के पत्ते झुलसे मिले। उसको ठंड के चलते ऐसा होना लगा, लेकिन नुकसान बढ़ता चला गया। अब सारे खेत में गेहूं पीला पड़ गया है। पिछली बार धान की फसल में भी नुकसान हो गया था। रिफाइनरी से निकली जहरीली गैस के चलते फसल खराब हुई है।

    सरकार मुआयना कराकर मुआवजा दे

    गांजबड़ गांव के बिजेंद्र ने बताया कि गेहूं और मटर की फसल के साथ हरे चाले की बरसीम और जईं भी झुलस गई है। पहले हरे चारे की फसल खराब हुई थी। अब गेहूं पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। रिफाइनरी के कैमिकल से फसल खराब हुई है। सरकार को मौके का मुआयना कराकर किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए और रिफाइनरी से किसी प्रकार की लीकेज की जांच करानी चाहिए।

    मटर, गेहूं व बरसीम की फसल झुलसी

    रजापुर के किसान राजकुमार ने बताया कि उसकी दो एकड़ में मटर, 15 एकड़ गेहूं और एक एकड़ बरसीम झुलस गई है। बरसीम और जईं के खत्म होने पर हरे चारे का भी संकट छा गया है। गांव और आसपास के क्षेत्र में पहली बार इतनी बड़े क्षेत्र में फसल झुलसी है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच करानी चाहिए। किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।

    अधिकारी बोले- गैस का नहीं रिसाव

    रिफाइनरी के प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रिफाइनरी से किसी प्रकार की गैस का रिसाव नहीं हुआ है। चिमनी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से जुड़ी हुई हैं। किसी प्रकार की विषैली गैस का रिसाव होते ही सर्वर को पता चल जाता है। उनके पास इस तरह की रिपोर्ट नहीं आई है। मीडिया के माध्यम आसपास की फसल पीली पड़ने की जानकारी लगी है। इसमें रिफाइनरी का कोई कनेक्ट नजर नहीं आता।

    साथ लगते खेतों में पानी की स्थिति खराब

    सिंहपुरा-सिठाना के सरपंच सतनाम सिंह ने बताया कि गांव में प्राइवेट सबमर्सिबल का पानी पीने लायक नहीं है। रिफाइनरी ने बड़ा ट्यूबवेल लगाया था। इसी का पानी गांव में सप्लाई किया जा रहा है। ग्रामीणों को यह पानी भी फिल्टर में साफ कर पीना पड़ता है। इसके बिना पानी नहीं पी सकते। रिफाइनरी के साथ लगते खेतों में पानी की स्थिति खराब है। गांवों में काफी लोग बीमार हैं। रिफाइनरी को आसपास के गांवों में नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने के साथ अन्य गतिविधियां करनी चाहिए।

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