आयुष चिकित्सक का मेडिकल-फिटनेस प्रमाण-पत्र सरकारी-निजी आफिसों में मान्य
जागरण संवाददाता पानीपत मेडिकल और फिटनेस प्रमाण-पत्र के लिए अब मरीजों को एलोपैथिक चिकि

जागरण संवाददाता, पानीपत : मेडिकल और फिटनेस प्रमाण-पत्र के लिए अब मरीजों को एलोपैथिक चिकित्सकों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने आयुष के चिकित्सकों को भी अधिकार दे दिया है। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन(नीमा)के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं मौजूदा कार्यकारी सदस्य डा. दीपक गुप्ता ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि आयुष चिकित्सकों को यह अधिकार यूं तो पहले से मिला हुआ था। इसके बावजूद कुछ सरकारी आफिसों में आयुष चिकित्सक द्वारा जारी सामान्य मेडिकल और फिटनेस प्रमाण पत्र को अस्वीकार कर, आवेदक से एलोपैथिक डाक्टर द्वारा जारी प्रमाण-पत्र मांगा था। खासकर, ईएसआइ कार्ड के पात्रों को अधिक दिक्कतें आ रही थी। ऐसी शिकायतें मिलने पर ही भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, आयुष मंत्रालय ने जनवरी-2022 के अंत में पत्र जारी किया है। इसमें स्पष्ट है कि आयुष चिकित्सक मेडिकल प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं। मरीजों को भटकना न पड़े, इसे ध्यान में रखकर सरकार ने नेशनल कमीशन फार इंडियन सिस्टम आफ मेडिकल एक्ट-2020 तथा सेक्शन 34,1सी के तहत यह कदम उठाया था।
जारी नहीं कर सकते दिव्यांगता प्रमाण-पत्र : डा. दीपक गुप्ता ने बताया कि आयुष चिकित्सक द्वारा जारी मेडिकल और फिटनेस प्रमाण-पत्र नौकरी आवेदन के लिए भी पर्याप्त है। चिकित्सा बीमा का लाभ ले सकता है। बीमारी में अवकाश ले सकता है। दिव्यांगता का प्रमाण-पत्र विशेषज्ञ डाक्टर ही जारी करेगा। झोलाछाप कहना अधिकारों का उल्लंघन : डा. गुप्ता ने बताया कि बताया कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने 17 फरवरी को एक पत्र में कहा कि बीएएमएस(बैचलर आफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी) चिकित्सक को झोलाछाप कहना महंगा पड़ सकता है। यह डिग्री धारक चिकित्सक के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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