मन की बात में छाया पानीपत, PM मोदी ने की कपड़ा उद्योग की तारीफ; बोले- 'टैक्सटाइल वेस्ट' से निपटने में बना ग्लोबल हब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में हरियाणा के खिलाड़ियों और पानीपत के कपड़ा उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा कि पानीपत टेक्सटा ...और पढ़ें

जागरण टीम, चंडीगढ़/पानीपत। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में हरियाणा के खिलाड़ियों और कपड़ा उद्योग की तारीफ की। कार्यक्रम के 120वें एपिसोड में उन्होंने कहा कि पानीपत 'टैक्सटाइल वेस्ट' से निपटने में ग्लोबल हब बन गया है।
प्रधानमंत्री ने पैरा गेम्स का जिक्र करते हुए कहा कि 'मैं खेलो इंडिया पैरा गेम्स में हिस्सा लेने वाले सभी दिव्यांग खिलाड़ियों को उनके शानदार प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।
पीएम मोदी ने हरियाणा के खिलाड़ियों की तारीफ की
हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल करने के लिए शुभकामनाएं देता हूं। इन खेलों के दौरान हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने 18 राष्ट्रीय रिकार्ड भी बनाए, जिनमें से 12 तो हमारी महिला खिलाड़ियों के नाम रहे।
' 90 देशों से पानीपत में आ रहा रग्ज, बन रहा धागा व कपड़ा, सालाना कारोबार 3,650 हजार करोड़ वेस्ट कपड़े (रग्ज) से पानीपत जिले का सालाना कारोबार लगभग 3,650 हजार करोड़ पहुंच गया है। लगभग 350-400 उद्योगों में रग्ज से री-साइकिलिंग होकर धागा और कपड़ा बनता है।
लगभग 90 देशों से रग्ज पानीपत आ रहा है। जिले के 140-150 गोदामों में रग्ज स्टोर होता है। प्रत्येक दिन लगभग 20 लाख किलोग्राम धागा का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा यहां पैट बोतल री-साइकिल कर भी पालिएस्टर यार्न भी बनाया जा रहा है। इससे कपड़े तक बन रहे हैं।
पानीपत में रोजाना आता है 270 टन टेक्सटाइल कचरा
स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व केंद्रीय कपड़ा मंत्री भी पालिएस्टर यार्न से बनी जैकेट पहन पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे चुके हैं। उद्यमी विदेशों (यूएसए, यूरोपियन देशों) से वेस्ट कपड़ा मंगवा रहे हैं और कपड़ा बनाकर उन्हीं देशों को निर्यात करके विदेशी मुद्रा कमा रहे हैं।
साथ ही विदेश की वेस्ट को भी खपा रहे हैं। पैट बोतल से पालिएस्टर यार्न बनाने वाली यहां आठ यूनिट हैं। तीन साल में पानीपत में वेस्ट से धागा बनाने की 70 नई यूनिट लगी हैं। पानीपत में प्रतिदिन लगभग 270 टन टेक्सटाइल कचरा आता है।
इनमें प्लास्टिक की बोतलें व टूटे डिब्बे भी शामिल हैं। बाक्स ऐसे बनता है प्लास्टिक से धागा पानी, कोल्डड्रिंक या किसी अन्य बोतल को री-साइकिल कर पहले सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है।
उसके बाद दाने को अलग-अलग यूनिट में भेज धागे से प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है। प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डाल फाइबर तैयार किया जाता है।
आटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स से फाइबर की पट्टी तैयार
इसके बाद इसे धागा बनाने वाली मिल में भेजा जाता है। धागा बनाने वाली मिल इस प्लास्टिक फाइबर को काटन फाइबर के साथ मिक्स्चर मशीन में डालती है। मिक्स्चर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है।
फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइपलाइन से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है। इसके बाद आटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स से फाइबर की पट्टी तैयार होती है। यह पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है।
फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है और एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है।
बाइंडिंग के बाद आटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल किया जाता है। कोट्स कर मुक्त हो वेस्ट कारोबार पानीपत में रग्ज को री-साइकिल कर धागा बनाने वाली लगभग 150 यूनिट हैं।
विश्व भर से पानीपत में वेस्ट आता है। यहां से धागा व कपड़ा बनाकर इसे वापस अमेरिका व यूरोपियन देशों में भेजा जाता है। सरकार की ओर से इस क्षेत्र के उद्यमियों को सुविधाएं नहीं मिली हैं। यह उद्योग कर मुक्त होना चाहिए। क्योंकि जिस कपड़े को यह उद्यमी खरीदते हैं। उसका टैक्स पहले जमा हो चुका होता है।
-विनोद खंडेलवाल, प्रदेश चेयरमैन चैंबर आफ कामर्स
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