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Mahashivratri 2020: एक ऐसा शिव मंदिर, जहां अलग-अलग अभिषेक का अलग-अलग महत्व

कैथल में महाभारतकालीन शिव मंदिर है। इसे श्रीग्यारह रुद्री शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण भी पूजा करते थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 04:12 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 04:13 PM (IST)
Mahashivratri 2020: एक ऐसा शिव मंदिर, जहां अलग-अलग अभिषेक का अलग-अलग महत्व
Mahashivratri 2020: एक ऐसा शिव मंदिर, जहां अलग-अलग अभिषेक का अलग-अलग महत्व

पानीपत/कैथल, जेएनएन। एक ऐसा शिव मंदिर, जहां अलग-अलग अभिषेक का अलग-अलग महत्व है। यहां श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर है, इसलिए इस नगरी को छोटी काशी भी कहते हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि श्रीकृष्ण भी यहां पूजा करते थे। जानिए इसकी मान्यता को। 

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हरियाणा का जिला कैथल को छोटी काशी भी कहा जाता है। यहां पर महाभारत काल में श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर स्थापित किया गया था। मान्यता है कि महाभारत का युद्ध खत्म हो जाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने मंदिर की स्थापना की थी। महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडवों के लाखों सैनिक मारे गए थे। मारे गए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कैथल में ग्यारह रुद्रों की स्थापना की थी। स्थापना करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और पांडवों ने पूजा अर्चना की थी। 

 shiv temple kaithal

पूरे देश से आते हैं शिव भक्त

मंदिर के मुख्य पुजारी मुनिंद्र मिश्रा का मानना है कि ग्यारह रुद्र आज भी इस मंदिर में स्थापित हैं। इनकी पूजा अर्चना के लिए पूरे देश से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में भगवान शिव की बड़ी प्रतिमा और रथ में अर्जुन को उपदेश देते भगवान कृष्ण का चित्र बना है। यहां पर महाशिवरात्रि के पर्व के उपलक्ष्य में चार बजे से ही भोले बाबा का जलाभिषेक शुरू हो जाएगा। 

 shiv temple kaithal

ये है ग्यारह रुद्रों का इतिहास

इन ग्यारह रुद्रों की उत्पत्ति काशी में हुई थी। कश्यप ऋषि भगवान शिव शंकर के बहुत बड़े उपासक थे। कश्यप ऋषि ने भगवान शिव की तपस्या कर वरदान मांगा था कि भगवान शिव उनके पुत्र के रूप में जन्म लें। भगवान शिव ने मनोकामना पूर्ण करते हुए सुरभि यानी गाय माता के पेट से 11 रूपों में जन्म लिया, इसलिए इन्हें सुरभि पुत्र भी कहते हैं। काशी में उत्पत्ति के बाद उन्हें कैथल में भगवान कृष्ण ने स्थापित किया था। माना जाता है कि कैथल के अलावा पूरे देश में कहीं भी ग्यारह रुद्र स्थापित नहीं हैं। ग्यारह रुद्र के नाम हैं, कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिबरुध्न्य, शंभु, चंड व भव हैं।

हर अभिषेक की अपनी एक आस्था

ग्यारह रुद्रों पर दूध और मिश्री के साथ अभिषेक करने पर विद्या की प्राप्ति होती है। शहद के साथ अभिषेक करने पर विजय की प्राप्ति होती है। घी के साथ अभिषेक करने से बल की प्राप्ति होती है। पंचामृत से अभिषेक करने की आस्था है। गंगाजल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धरोहर को देंगे पहचान

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य एवं पार्षद गोपाल सैनी ने बताया कि कैथल में इस तरह के कई महाभारतकालीन मंदिर एवं उनका इतिहास है। आने वाले समय में कैथल की हर प्राचीन धरोहर को अलग पहचान दी जाएगी। कैथल को एक पर्यटक क्षेत्र बनाया जाएगा।

ऐसे पहुंचे श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर

श्री ग्यारह रूद्री शिव मंदिर में पहुंचने के लिए यदि श्रद्धालु रेलवे स्टेशन से पहुंचना चाहता है तो वह आसानी से यहां पहुंच सकता है, यहां से रेलवे स्टेशन की दूरी मात्र एक किलोमीटर है। यह मंदिर चंदाना गेट से समीप स्थित है। जबकि श्रद्धालु बस स्टैंड से मंदिर में पहुंचना चाहे तो यहां से नया बस स्टैंड चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नए बस स्टैंड से मंदिर के लिए ऑटो पहुंंचते है, जो महज 10 मिनट में मंदिर में पहुंचा देते हैं। 

मंदिर के बाहर स्थित नंदी से मांगी मनोकामना भी होती है पूरी

ऐसी मान्यता है कि मंदिर में भगवान के शिवलिंग के बाहर स्थापित भगवान शिव की सवारी नंदी से महाशिवरात्रि के दिन यदि कोई श्रद्धालु उनके कान में चुपके से मनोकामना मांगता है तो वह पूरी होती है। यह मान्यता यहां पर पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की है। महाशिवरात्रि के पर्व शुरू होते ही यहां पर विशाल भंडारा लगाया जाता है। भंडारे में सैंकड़ो श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।


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