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    Panipat City Assembly Seat: पानीपत के 'युद्ध' में त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस के गढ़ में तीन पंजाबियों के बीच जबरदस्त टक्कर

    Updated: Mon, 23 Sep 2024 02:07 PM (IST)

    हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 (Haryana Election 2024) की तैयारियों के बीच पानीपत शहर सीट को लेकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर भाजपा ने इस बार प्रमोद विज को चुनावी मैदान में उतारा है जिससे नाराज होकर रोहिता रेवड़ी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। पानीपत शहर सीट पर कांग्रेस ने वरिन्दर शाह उर्फ बुल्लेशाह को टिकट दिया है।

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    पानीपत शहर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में तीन पंजाबी आमने-सामने।

    राज सिंह पाल, पानीपत। जीटी बेल्ट की पानीपत शहर सीट। इस सीट को जनसंघ-भाजपा के फतेहचंद विज और कांग्रेस के नेता हुकुमत राय शाह के नाम से भी जाना जाता है।

    भाजपा ने फतेहचंद विज के दत्तक पुत्र यानि मौजूदा विधायक प्रमोद विज को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने हुकुमत राय शाह के छोटे पुत्र एवं पांच बार विधायक रहे बलबीर पाल शाह के भाई वरिन्दर शाह उर्फ बुल्लेशाह को टिकट दिया है।

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    भाजपा विधायकों ने दो बार लिया सत्ता का सुख

    हरियाणा बनने के बाद कुल 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। भाजपा के विधायकों को मात्र दो बार, यानि 2014 और 2019 में ही सत्ता का सुख लिया है, लेकिन मंत्री फिर भी नहीं बन सके। वर्ष 1996 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते ओमप्रकाश जैन हरियाणा विकास पार्टी-भाजपा की गठबंधन सरकार में परिवहन मंत्री बनाए गए थे। कांग्रेस के बलबीर पाल शाह भी मंत्री रह चुके हैं।

    इसलिए हॉट सीट

    वर्ष 1962 से अब तक सात बार जनसंघ-भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं। पांच चुनाव फतेह चंद विज ने जीते। 2019 का चुनाव उनके उत्तक पुत्र प्रमोद विज ने जीता था। छह चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। 1972 हुकुमत राय शाह। 1987, 1991, 2000, 2005 और 2009 में बलबीर पाल शाह जीते। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़ी रोहिता रेवड़ी ने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे वरिन्दर उर्फ बुल्लेशाह बड़े अंतर से हराकर शाह परिवार के राजनीतिक किले को ढहाने में सफल रहीं।

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    यहां व्यापारी और उद्यमियों की वोट भी ज्यादा

    शहर में व्यापारी और उद्यमी वर्ग की संख्या बहुत अधिक है। इनमें वैश्य समाज के मतदाता भी शामिल हैं। इन्हीं से जुड़ा मजदूर वर्ग, इनमें भी प्रवासियों की संख्या बहुतायत है। इन दोनों वर्गों के मतदाताओं की संख्या को जोड़ दें तो सभी के जातिगत समीकरण बिगड़ जाएंगे। ये वोटर्स किस ओर का रुख करेंगे, यह चिंता तीनों प्रमुख प्रत्याशियों को सता रही है।

    हैदराबादी वोट बैंक साधना होगा

    शहर में पंजाबी वोट सबसे अधिक हैं। ऐसे में पंजाबी वोटों को खुद के खेमे में करने की चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रमोद विज के लिए रहेगी। रोहिता रेवड़ी हैदराबादी बिरादरी से आती हैं। इस बिरादरी के 15-20 हजार वोट माने जाते हैं। 2014 के चुनाव में इस बिरादरी ने रोहिता का एकतरफा साथ दिया था। इस चुनाव में हैदराबादी वोट बैंक को साधना भी विज के लिए चुनौती है।

    साधने होंगे अधिक पंजाबी वोट

    कांग्रेस के वरिन्दर शाह के समक्ष भी भाजपा प्रत्याशी के जैसी ही चुनौतियां हैं। पंजाबी वोटों को अपने खेमे में करने के लिए वे भी पूरा जोर लगा रहे हैं। चर्चा है कि रेवड़ी भाजपा को अधिक नुकसान पहुंचाएंगी। 2014 में रोहिता 92757 मत लेकर विजेता बनी थी जबकि शाह 39036 वोट ले पाए थे।

    पार्टियों के वोट में सेंध

    रोहिता रेवड़ी के पास इस बार किसी पार्टी का सिंबल नहीं हैं। जो वोट पार्टी के नाम पर पड़ती हैं, उन वोटों में सेंध लगाना रोहिता के लिए भी चुनौती है। हैदराबादी बिरादरी ने 2014 में इनका एकतरफा साथ दिया था, लेकिन तब भाजपा से टिकट मिला था। इनके सामने खानदानी राजनीतिक विरासत वाले दो बड़े पंजाबी नेता चुनावी मैदान में हैं।

    • कुल मतदाता 230131

    • पुरुष मतदाता 121812

    • महिलाएं 108312

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