खतरे में जान! हरियाणा के 67 फीसदी स्कूल मैदानों में खेलना जोखिम भरा, ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
हरियाणा में दो खिलाड़ियों की मौत के बाद स्कूली खेल व्यवस्था पर सवाल उठे। राज्य सरकार के ऑडिट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 45% स्कूलों में खेल म ...और पढ़ें

हरियाणा के 67 फीसदी स्कूल मैदानों में खेलना जोखिम भरा (File Photo)
जागरण टीम, हिसार/पानीपत। नवंबर के अंतिम पखवाड़े में अभ्यास के दौरान जर्जर खेल उपकरण गिरने से दो युवा नेशनल बॉस्केटबाल खिलाड़ियों की मौत के बाद प्रदेश की स्कूली खेल व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे।
इन्हीं घटनाओं को आधार बनाकर राज्य सरकार और शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों से स्कूलों के खेल मैदानों और उपकरणों की स्थिति पर ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराने के निर्देश दिए। अब विभिन्न जिलों से प्राप्त ऑडिट रिपोर्टों में सामने आए तथ्य बताते हैं कि यह घटनाएं आकस्मिक नहीं, बल्कि लंबे समय से चली आ रही व्यवस्थागत उपेक्षा का परिणाम थीं।
ऑडिट में दावाः मैदान और सुरक्षा दोनों में कमी
ऑडिट में सामने आया कि 45% स्कूलों में मैदान ही नहीं हैं, जबकि 55% में उपलब्ध मैदान मानकों पर खरे नहीं उतरते। शहरी क्षेत्रों में 60% मैदान अनुपयोगी पाए गए। सुरक्षा भी चिंता का विषय है 67% स्कूल असुरक्षित हैं और आडिट के बाद केवल 19% स्कूलों में ही तात्कालिक सुधार शुरू हुए।

नियमित बजट वाले स्कूलों में भी बरती गई लापरवाही
ऑडिट में मैदानों में सुरक्षित सतह, एथलेटिक्स ट्रैक, प्राथमिक उपचार, रोशनी और बाउंड्री जैसी बुनियादी सुविधाएं कई स्थानों पर नहीं हैं। पीएम श्री और माडल स्कूलों में भी उपकरणों की स्थिति संतोषजनक नहीं पाई गई, जबकि इन श्रेणियों के लिए नियमित बजट की व्यवस्था है।
कई जिलों ने हटाए उपकरण, मरम्मत के प्रपोजल भेजे
कई जिलों ने जर्जर पोल हटाने, उपकरणों की मांग और मरम्मत प्रस्ताव भेजने की सूचना दी है। हालांकि रिपोटों में यह भी दर्ज है कि विकल्प की व्यवस्था न होने से कई स्कूलों में खेल अभ्यास प्रभावित हो रहा है।

विभाग की ये अहम बातें भी जानें...
- रोहतक: कई स्कूलों में जर्जर पोल हटाए गए हैं, जबकि बड़ी संख्या में विद्यालयों में खेल उपकरण लेकिन आकार और सुरक्षा मानक पर्याप्त नहीं मिले।
- यमुनानगर : कई प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में खेल मैदान नहीं हैं। जहां मैदान हैं, वहां सुरक्षित सतह, ट्रैक और उपकरणों की कमी दर्ज की गई। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में मैदान छोटे पाए गए।
- सिरसा : अधिकांश बास्केटबाल कोर्ट के पोल खस्ताहाल मिले, जिस पर खेल गतिविधियों पर रोक लगाई गई। चाहरदीवारी, बिजली और शौचालय जैसी सुविधाओं की स्थिति भी कमजोर मिली।
- कैथल : कई स्कूलों में खेल मैदान छोटे हैं और कुछ में मैदान ही नहीं है। जर्जर पोल हटाए जा चुके हैं और नए पोल लगाने के लिए प्रस्ताव भेजे हैं।
- करनाल : आडिट में बताया गया कि शहरी स्कूलों में ट्रैक और पर्याप्त उपकरणों की कमी है। कुछ स्कूलों में पोल हटाए गए हैं और नए उपकरणों की मांग रिपोर्ट भेजी गई है।
- अंबाला: आडिट में बड़ी संख्या में स्कूलों में खेल मैदान के अभाव की बात सामने आई। जिन विद्यालयों में खाली स्थान था, वहां अन्य निर्माण होने से खेल गतिविधियां सीमित पाई गईं।
- कुरुक्षेत्र: कई स्कूलों में खेल मैदान का आकार अपर्याप्त है जर्जर खंभों को हटाने की प्रक्रिया शुरू है।
- हिसार : ऑडिट में विभिन्न श्रेणी के स्कूलों में खेल उपकरणों की खराब स्थिति सामने आई। पीएम श्री, माडल और आरोही स्कूल भी सूची में शामिल पाए गए और मांग रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई।

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