'बेटियों को लव जिहाद से बचाना, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है'; पानीपत में हनुमान कथा समापन पर बोले धीरेंद्र शास्त्री
पानीपत में श्री हनुमंत कथा अमृत महोत्सव के समापन पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने लव जिहाद से बेटियों को बचाने की बात कही और सनातनियों को जगाने के लिए यात्रा करने की घोषणा की। शास्त्री ने लोगों से राम के बनकर जीने का आग्रह किया और कहा कि जग के बनने से दुख मिलेगा।

जागरण संवाददाता, पानीपत। जाग जाओ...भारत को हिंद राष्ट्र बनाना है, बेटियों को लव जिहाद से बचाना है। सनातनियों को जगाने के लिए ही 7 से 15 नवंबर पर तीन प्रदेशों की यात्रा पर निकलेंगे। 400 से अधिक गांवों से होकर गुजरेंगे, हिंदू राष्ट्र की अलख जगाएंगे।
अखिल भारतीय श्री राम-नाम जागरण मंच और बागेश्वर धाम सेवा मंडल पानीपत के संयुक्त तत्वावधान में पानीपत के सेक्टर 13-17 स्थित मैदान में आयोजित तीन दिवसीय श्री हनुमंत कथा अमृत महोत्सव के समापन पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ये बातें कही।
उन्होंने भीड़ से पूछा...हमें अकेला तो नहीं छोड़ दोगे...कुछ लोगों की ठठरी बांधनी है, कुछ की दुकान बंद करानी है। आयोजन में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी भी पहुंचे और शास्त्री से आशीर्वाद लिया।
सत्यम-शिवम्-सुंदरम् से कथा की शुरुआत
कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री ने श्री हनुमंत कथा की शुरुआत सत्यम-शिवम्-सुंदरम् से की। फिर कहा कि उस चांद को गुरूर था कि उसके पास नूर था...यारों कोई उसे बताए मेरे पास बालाजी जैसा कोहिनूर है। इसके बाद मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है भजन सुनाया।
जामवंत व हनुमान के बीच संवाद....राम काज लगि तव अवतारा चौपाई से श्री हनुमंत की कथा प्रारंभ करते हुए कहा कि जब जामवंत ने कहा कि हनुमान तुम्हारा जन्म श्रीराम के काम काज के लिए हुआ तब हनुमान जाग गए और पूछा कि बताओ लंका को लेकर आना है क्या?
बनना है तो श्रीराम के बनो
जामवंत ने कहा नहीं, तुम्हें तो माता सीता का पता लगाना है। धीरेद्र शास्त्री ने लोगों से कहा कि आप लोग काम के बंदर हो, हनुमान राम के बंदर हैं। जीवन दो तरीके से जी सकते हैं, धर्मात्मा बनकर या पाप आत्मा बनकर, वासना से उपासना से, सत्य से असत्य से....जीना है तो राम के बनकर जीयो। बनना है तो श्रीराम के बनो।
अब सब उल्टा-पुल्टा हो रहा है, व्यक्ति अकेला सब कुछ पाना चाहता है। जग के बनोगे तो रोओगे...जगदीश के बनोगे तो जीवन पर खुशहाल रहोगे। इससे पहले शास्त्री ने गांव डाहर स्थित प्रवास स्थान पर लोगों को दीक्षा दी। इस मौके पर आयोजक मंडल के सभी सदस्य, साधु-संत मौजूद रहे।
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