Move to Jagran APP

हरियाणा में यहां बांसुरी की धुन पर मुग्ध होती हैं गायें, रोज आठ घंटे सुनती हैं संगीत

एनडीआरआई यानी राष्‍ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्‍थान में अनूठा प्रयोग किया जा रहा है। यहां पर गायें बांसुरी की धुन पर मुग्‍ध हो जाती हैं। हर रोज गायों को आठ घंटे तक बांसुरी का संगीत सुनाया जाता है। पशुओं को तनाव मुक्‍त रखने के लिए प्रयोग किया जा रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 03:52 PM (IST)
हरियाणा में यहां बांसुरी की धुन पर मुग्ध होती हैं गायें, रोज आठ घंटे सुनती हैं संगीत
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में बांसुरी की धुन सुनतीं गायें।

करनाल, [पवन शर्मा]। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन सुनते ही गायें मुग्ध हो जाती थीं। यहां राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआइ) में चल रहे अध्ययन में यह बखूबी प्रमाणित भी हो रहा है। यहां गायों को तनाव मुक्त रखने के लिए म्यूजिक थेरेपी दी जा रही है। इन्हेंं प्रतिदिन आठ घंटे बांसुरी का संगीत (रिकार्डेड) सुनाया जाता है और वह मुग्ध होकर, आंखें बंदकर सुनती हैैं।

loksabha election banner

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रोंं पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के आकलन एवं इसके निराकरण रणनीतियों के विकास के लिए एक राष्ट्रीय योजना 'जलवायु समुत्थानशील कृषि पर राष्ट्रीय पहल' (नेशनल इनिशिएटिव इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर) यानी निकरा के क्रियान्वयन को फरवरी, 2011 में स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस स्टडी प्रोजेक्ट में आ रहे परिणाम से विज्ञानी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि यह न सिर्फ कृषि बल्कि दुधारू पशुओं के शारीरिक विकास उनके दुग्ध उत्पादन में वृद्धि व उनकी गुणवत्ता कायम रखने में भी प्रभावी होगा।

Music therapy for cows

जलवायु परिवर्तन का दुधारू मवेशियों पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिसे देखते हुए एनडीआरआइ में वरिष्ठ विज्ञानी डा. आशुतोष ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि डेढ़ माह से चल रहे प्रयोग में मुख्य रूप से साहीवाल और थारपारकर नस्लों की 20 माह तक की 36 गायों पर अध्ययन किया जा रहा है। इसके तहत उनकी आहारचर्या, विकास, शरीर के तापमान से लेकर हार्मोन में बदलाव तक पर बारीकी से नजर रखने के साथ डाटा जुटाया जा रहा है।

गोशाला में लगे स्पीकर के जरिये प्रतिदिन आठ घंटे तक बांसुरी का अत्यंत मधुर संगीत सुनाया जाता है। सभी गाय न केवल इन्हेंं पूरी तन्मयता से सुनती हैं, बल्कि तनाव मुक्त रहने से उनकी ग्रोथ व दुग्ध उत्पादन में शानदार नतीजे मिल रहे हैं। जल्द इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, ताकि इस शोध के आधार पर मवेशियों को बेहतर पोषण देने के साथ जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं से बचाया जा सके।  

Music therapy for cows

तनाव मुक्त रखने पर फोकस  

डा. आशुतोष ने बताया कि पशुओं में तनाव का प्रमुख कारण शारीरिक तापमान में उतार-चढ़ाव है। इससे उनकी ग्रोथ प्रभावित होती है। तनाव मुक्त रहने से उनकी सेहत, दुग्ध उत्पादन व प्रजनन क्षमता सहित गुणवत्ता बढ़ती है। प्रोजेक्ट में इसी पर फोकस है। म्यूजिक थेरेपी का प्रभाव आंकने के साथ प्रोजेक्ट में ब्लड सैंपल, हार्मोन, शारीरिक परिवर्तन और अन्य पैरामीटर भी परखेंगे। प्रयोग सफल रहने पर किसानों में नालेज अपडेट करेंगे।

संगीत बदलते ही हो जाती हैैं बेचैन

प्रोजेक्ट में देखा जा रहा है कि ये गाय किस प्रकार का संगीत सुनना पसंद करती हैं, जिससे उनके पोषण और उत्पादकता में वृद्धि संभव हो। फिलहाल उन्हेंं बांसुरी का मधुर संगीत सुनाया जा रहा है, जो उन्हेंं तनाव मुक्त रखता है। प्रयोग के तहत यदि संगीत बदलते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया बेचैनी के रूप में सामने आती है। तबला, गिटार का संगीत भी उन्हेंं नहीं भा रहा है।  

यह हो रहा फायदा

डा. आशुतोष ने बताया कि प्रोजेक्ट से पता चला है कि इनकी चारा खाने की क्षमता बढ़ी है। संगीत सुनकर पशु आंख बंद करके शांत अवस्था में तनाव मुक्त होकर जुगाली करता है। पशुओं में प्रेम भाव व तालमेल बढ़ा है। सुबह जब इन्हेंं खोलते हैं तो कोई भी आपस में नहीं लड़ता। सबसे बढिय़ा बात यह है कि इनका वजन भी बढ़ रहा है।    

प्रोजेक्ट से अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद है। पशुओं को तनाव मुक्त रखने से ढेरों लाभ हैं। इनका अध्ययन किया जा रहा है। प्रोजेक्ट सफल रहने पर इसके निष्कर्ष से पशुओं की ग्रोथ, दुग्ध उत्पादन व प्रजनन क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।  

डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक, एनडीआरआइ, करनाल

पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ेंः दिल्‍ली चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर करनाल में हादसा, दो युवक की मौत

यह भी पढ़ेंः पानीपत में बाथरूम कर रहे युवक को मारी गोली, कार में सवार थे हमलावर

यह भी पढ़ेंः पानीपत में सास-बहू के झगड़े में मासूम की मौत, मां की गोद में तोड़ा दम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.