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Airport: करनाल में साकार होगा एयरपोर्ट का सपना, आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार

जेवर में एयरपोर्ट की सौगात मिली। पीएम नरेन्‍द्र मोदी की ओर से देश को मिली विकास की रफ्तार से कर्णनगरी यानी करनाल के लोगों में भी एयरपोर्ट की उम्‍मीद जगी है। जल्‍द ही एयरपोर्ट के लिए निर्माण कार्य शुरू हो सकता है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 02:08 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 03:50 PM (IST)
Airport: करनाल में साकार होगा एयरपोर्ट का सपना, आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार
करनाल में एयरपोर्ट का सपना जल्‍द पूरा हो सकता है।

करनाल, जागरण संवाददाता। जेवर में एयरपोर्ट के शिलान्‍यास के साथ ही कर्णनगरी के भी सपने पूरे होने की उम्‍मीद है। लंबे अंतराल के बाद अब कर्ण नगरी में एयरपोर्ट परियोजना तेजी से आगे बढ़ सकती है। यह स्थिति सरकारी और निजी क्षेत्र के समन्वित योगदान से बनने जा रहे एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का रास्ता साफ होने के चलते बनी है। काफी समय से इसमें पेच अटका था लेकिन अब संबंधित ग्रामीणों के सकारात्मक रुख और शासन से हरी झंडी मिलने के साथ ही जिला प्रशासन उत्साहित है। साफ है कि दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे के बीचोंबीच अवस्थित करनाल में एयरपोर्ट की परिकल्पना साकार होने के साथ ही पूरी जीटी बेल्ट में आर्थिक प्रोत्साहन की कवायद को भी नया बल मिलेगा।

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तैयार हो चुका है पूरा खाका

करनाल में एयरपोर्ट के विस्तार की कवायद ने इस परियोजना को वस्तुत: नई दिशा दी है। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र और औद्योगिक नगरी पानीपत के बीचोंबीच स्थित करनाल में हवाई पट्टी तो काफी समय से है लेकिन आम जनता के लिए बहुपयोगी एयरपोर्ट का सपना अभी सच नहीं हुआ है। हालांकि, इसके प्रयास काफी समय से किए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास को नया आयाम देने के लिए एयरपोर्ट परियोजना को लेकर काफी गंभीर रुख दिखाया है। इसी का परिणाम है कि अब न केवल इस परियोजना से जुड़ी ज्यादातर बाधाएं दूर होने को हैं बल्कि एयरपोर्ट के विस्तार का भी पूरा खाका तैयार हो चुका है।

सीएम मनोहर लाल का सपना

दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कई वर्ष पहले इसकी घोषणा कर दी थी लेकिन लंबे समय तक तमाम कारणों से इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। कभी तकनीकी गतिरोध तो कभी विस्तार के लिए आवश्यक जमीन के अधिग्रहण में पेच फंसने के चलते एयरपोर्ट के विस्तार का सपना अधूरा ही रहा। बची-खुची कसर दो वर्ष से कोरोना महामारी के कारण बने हालात ने पूरी कर दी। ऐसे में जब इसी साल फरवरी में परियोजना को लेकर एक बार फिर नए सिरे से हलचल शुरू हुई तो उम्मीद बंधी कि शासन-प्रशासन के स्तर से यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ेगा मगर एयरपोर्ट विस्तार के लिए जरूरी करीब 27 एकड़ जमीन का अधिग्रहण नहीं होने के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो सका।

लंबे समय से अटका अधिग्रहण

दरअसल, प्रशासन ने इस परियोजना को गति देने की गरज से क्षेत्र के किसानों से कई बार बातचीत की लेकिन विस्तार के लिए आवश्य उनकी भूमि के अधिग्रहण को लेकर तात्कालिक सहमति नहीं बन सकी। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने किसानों को विकल्प दिया कि वे चाहें तो अपनी-अपनी जमीन के एवज में निर्धारित कलक्टर रेट से ढाई गुना अधिक रेट ले सकते हैं। यदि वे ऐसा नहीं चाहते तो उन्हें जमीन के बदले जमीन देने पर विचार किया जाएगा। इसके लिए पंचायती जमीन में से भूमि दी जा सकती है। प्रशासन की इस पहलकदमी के बाद ज्यादातर किसानों के रुख में सकारात्मक बदलाव तो आया लेकिन स्थिति फिर भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं होने के कारण परियोजना के भविष्य को लेकर असमंजस जस का तस कायम रहा।

ग्रामीणों का रुख अब सकारात्मक

अब हालिया घटनाक्रम के तहत सरकारी और प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की राह खुलने से संभावना बढ़ गई है कि जिला प्रशासन हरियाणा की सबसे प्रमुख परियोजनाओं में शामिल इस विकासोन्मुखी प्रोजेक्ट को भी नए सिरे से आगे बढ़ाएगा। इस बाबत उपायुक्त निशांत यादव ने बताया कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए जितनी जमीन की आवश्यकता है, उसके अधिग्रहण को लेकर ज्यादातर ग्रामीणों से सहमति लगभग बन चुकी है। एयरपोर्ट के विस्तार की परियोजना आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जमीन लेने की प्रक्रिया पूरी होते ही नागरिक उड्डयन विभाग डीपीआर तैयार करेगा। इस प्रोजेक्ट से राज्य में आर्थिक प्रगति को नया बल मिलेगा।

क्या होगा फायदा

करनाल ही नहीं बल्कि, जीटी रोड बेल्ट के कई जिलों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने वाली इस परियोजना के तहत एयरपोर्ट के विस्तार का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। तय मसौदे के अनुरूप एयरपोर्ट पर रनवे की परिधि मौजूदा तीन हजार फीट से बढ़ाकर पांच हजार फीट की जानी है। ऐसा होने पर यहां छोटे व मध्यम श्रेणी के विमान बेहतर ढंग से उतर सकेंगे। इसके अलावा विस्तारित क्षेत्र में बेसिग, पार्किंग जोन, नाइट लैंडिग और लाइट एमआरओ सरीखी सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा। नाइट लैंडिग क्षमता के बाद यहां रात में भी विमान आवागमन कर सकेंगे। प्रशासन का दावा है कि विस्तारीकरण के लिए आवश्यक अधिकांश जमीन मिल चुकी है। शेष का इंतजाम भी समय रहते कर लिया जाएगा। करनाल में एयरपोर्ट बनने से देश की राजधानी नई दिल्ली और प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ से सीधी एयर कनेक्टिविटी संभव होगी, जिसका फायदा न केवल जीटी बेल्ट के सभी जिलों बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के शामली व सहारनपुर सरीखे जिले के लोगों को भी मिल सकेगा।

फिलहाल हवाई पट्टी संचालित

करनाल में फिलहाल एयरपोर्ट के रूप में जिस हवाई पट्टी का प्रयोग किया जा रहा है, वह दरअसल हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल एविएशन करनाल की है। इसे नेवल हवाई पट्टी भी कहा जाता है। करनाल से कुंजपुरा को जाने वाले मार्ग से सटे कलवेहड़ी रोड स्थित यह हवाई पट्टी करीब 105 एकड़ क्षेत्र में है। इसका रनवे 3000 फुट लंबा है। इसी रनवे को परियोजना के तहत 5000 फुट करने की योजना है। करनाल में फिलहाल एयरपोर्ट के रूप में जिस हवाई पट्टी का प्रयोग किया जा रहा है, वह दरअसल हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल एविएशन करनाल की है। इसे नेवल हवाई पट्टी भी कहा जाता है। कलवेहड़ी रोड स्थित यह हवाई पट्टी करीब 105 एकड़ क्षेत्र में है। इसका रनवे 3000 फुट लंबा है। इसी रनवे को परियोजना के तहत 5000 फुट करने की योजना है।


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