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    Haryana News: आवेदन में पुराना जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले युवा सीईटी मेंस परीक्षा से बाहर, नहीं मिलेंगे एडमिट कार्ड

    Updated: Mon, 05 Aug 2024 10:58 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती को लेकर स्पष्ट कर दिया है कि आवेदन के साथ दो साल पुराना जाति प्रमाण पत्र सबमिट करने वाले युवा सीईटी मेंस प ...और पढ़ें

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    आवेदन में पुराना जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले युवा सीईटी मेंस परीक्षा से बाहर।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती में अपने आवेदन के साथ दो साल पुराना जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले युवा सामान्य पात्रता परीक्षा की मुख्य परीक्षा (सीईटी मेंस) में शामिल नहीं हो सकेंगे। सरकार से राहत मिलने की आस लगाए बैठे युवाओं को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने साफ कर दिया है कि नए नियमों के अनुसार ही भर्ती होंगी।

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    तृतीय श्रेणी के 15 हजार 755 पदों के लिए सीईटी मेंस बुधवार से शुरू होने हैं। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने भर्तियों में पिछड़े वर्ग के उन उम्मीदवारों के रोल नंबर जारी नहीं किए हैं, जिनके सर्टिफिकेट दो साल से अधिक पुराने हैं।

    HSSC सरकार के नियमों का करेगा अनुसरण

    सोमवार को बड़ी संख्या में प्रभावित युवा पंचकूला स्थित (एचएसएससी) मुख्यालय में एडमिट कार्ड के लिए डेरा डाले रहे, लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी। आयोग के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि वे चाहे तो हाई कोर्ट की शरण ले सकते हैं, जहां उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन एचएसएससी सरकार के नियमों का ही अनुसरण करेगा।

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    हाई कोर्ट कुछ युवाओं को प्रोविजनल आधार पर परीक्षा में बैठने की अनुमति दे चुका है, जिन्होंने अदालत की शरण ली थी। इन युवाओं के सर्टिफिकेट को पुराना बताकर भर्ती प्रक्रिया से वंचित करने की दलील हाई कोर्ट ने अस्वीकार कर दी है। हाई कोर्ट ने अंतरिम फैसले में कहा कि आयोग ने विज्ञापन में साफ लिखा है कि पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को नवीनतम सर्टिफिकेट अपलोड करना चाहिए। अन्यथा परिवार पहचान पत्र में वर्णित वेरिफाइड जाति और कैटेगरी पर विचार किया जाएगा।

    याचिकाकर्ता को प्रोविजनल तौर पर करें शामिल

    रेखा बनाम हरियाणा एंड अन्य मामले में जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनाए अंतरिम आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में प्रोविजनल तौर पर शामिल किया जाए। वहीं, बड़ी संख्या में युवा ऐसे हैं, जिनके पास हाई कोर्ट में जाने के लिए वकील की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। उनकी मांग है कि हाई कोर्ट में गए जिन उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया में प्रोविजनली शामिल करने की अनुमति मिल रही है, उन्हें भी उसी तर्ज पर परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।

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