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    किसी के पैसे छीने, किसी को लगाया करंट तो कोई जंगलों में भटका; डंकी रूट से अमेरिका जाने वालों ने सुनाई आपबीती

    Updated: Fri, 07 Feb 2025 11:46 AM (IST)

    डंकी के रास्ते अमेरिका जाने वाले लोगों की राह आसान नहीं थी। उन्होंने वहां पहुंचने के लिए बहुत सारी कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन इसके बाद भी वह अपने लक्ष्य को नहीं पा सके। अमेरिका पहुंचने से पहले ही उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया। इन लोगों में कई लोग ऐसे थे जिनके पैसे छीन लिए गए कुछ को करंट लगाया गया। तो किसी को माफियाओं ने कैद कर लिया।

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    अमेरिका में डंकी रूट से गए लोगों की दर्दनाक कहानियां

    जागरण टीम, पानीपत/कुरुक्षेत्र/कैथल/करनाल। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए युवा साफ तौर पर मानसिक तनाव में हैं। 3डी (डालर की चाह, डंकी का रास्ता और अब डिपोर्ट) ने भविष्य अंधकारमय कर दिया।

    करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया। दैनिक जागरण अमेरिका से लौटे युवाओं के घर-द्वार पहुंचा। युवाओं ने अमेरिका पहुंचने से डिपोर्ट होने की कहानी साझा की। सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए। जाते समय जितनी यातनाएं झेली, लौटते समय भी कुछ कम नहीं रहीं। हाथों में हथकड़ी और पैरों मे जंजीरें पड़ी।

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    पेरू में पुलिस ने पैसे छीने, कोलंबिया में माफिया ने कैद कर करंट लगाया 

    अमेरिका से डिपोर्ट होकर अमृतसर एयरपोर्ट से घर पहुंचे रोबिन हांडा ने बताया कि डंकी से अमेरिका जाना मौत को गले लगाना है। जान बच गई बस यही काफी है। घर पहुंचने पर वह माता-पिता से मिलकर खूब रोया और अमेरिका तक पहुंचने के छह माह के सफर को लेकर रोंगटे खड़े कर देने वाले राजफाश किए। रोबिन ने बताया कि सात माह पहले अमेरिका के लिए निकला था। सफर यातनाओं वाला रहा।

    पेरू में पुलिस ने जेबों से रुपये निकाल लिए। कोलंबिया के पास माफिया ने घेर लिया। माफिया जबरन कैद कर लेता है और रुपये नहीं मिलते तो करंट लगाकर यातनाएं दी जाती हैं। जैसे-तैसे निकले और अमेरिका बॉर्डर की फेंसिंग पार की। वहां तक पहुंचने में छह माह लगे। कपड़े, नकदी व जूते लेकर गए थे सब रास्ते में छूटते चले गए। 22 जनवरी को अमेरिका में एंट्री की।

    12 दिन ही बीते थे कि अमेरिका की सेना ने डिटेन कर कैंप में डाल दिया। कैंप में सैनिकों ने ऐसा बर्ताव किया जैसा कि किसी आतंकी के साथ किया जाता है। गले, हाथ-पैरों में लोहे की बेड़ियां डालकर रखा। सेना के जहाज में सफर के दौरान भी बच्चों को छोड़कर महिलाओं सहित सभी को लोहे की बेड़ियों में जकड़ कर लाया गया। अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचने पर बेड़ियों से छुटकारा मिला।

    पनामा के जंगलों में भटके, अमेरिकी कैंप में नहीं सुनवाई

    कैथल के अंकित ने बताया कि पैसे कमाने के चक्कर में अमेरिका गया था। 45 लाख रुपये खर्च हो गए। पैसे रिश्तेदार और दोस्तों से ब्याज पर लिए थे। इतने पैसे खर्च करने के बाद भी डंकी से अमेरिका पहुंचा। एजेंट ने कहा था कि 45 दिनों में अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन वहां पहुंचने में भी करीब सात महीने लग गए थे।

    एजेंट और डोंकर के बीच पैसों को लेकर विवाद हो गया था। दोनों के विवाद के बीच उसे 45 दिन मैक्सिको सिटी में रखा गया और करीब डेढ़ महीने तक ग्वाटेमाला में रखा गया।

    उसने एजेंट को बोला कि उसे वापस भारत भेज दो, लेकिन एजेंट ने कहा कि उसे अमेरिका भेज देंगे। उन्हें पनामा के जंगलों में छोड़ दिया गया। वहां से करीब 15 किमी पैदल चला पहाड़ पर चढ़ाया गया। उसके साथ चार लड़के भी थे। 25 जनवरी को पुलिस कैंप में ले गई थी। पुलिसकर्मी रात को उठाकर गाली-गलौज करने लग जाते थे।

    वतन नहीं लौटा घरौंडा का अरुण, फोन पर भी नहीं हो रहा संपर्क 

    अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने वालों की वायरल सूची में घरौंडा के आकाश, अरुण पाल और विपिन कुमार का नाम है। वीरवार को सुबह आकाश घर पहुंच गया। स्वजन ने उसे रिश्तेदारों के पास उत्तरप्रदेश भेज दिया। अरुण पाल अभी तक वापस नहीं आया है। स्वजन चिंतित हैं।

    भाई गौरव ने बताया कि अरुण के मोबाइल नंबर पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा। स्वजन को ऐसी उम्मीद में हैं कि अगले विमान में अरुण की वापसी होगी। परिवार ने एकमात्र आधी एकड़ जमीन बेचकर व कुछ रुपये ब्याज पर उठाकर 45 लाख रुपयों का इंतजाम कर उसे अमेरिका भेजा था। 14 माह तक एजेंट दूसरे देशों में घूमाते रहे। 26 जनवरी को अमेरिका में एंट्री की थी।

    छह महीने सफर में रहे, 15 दिन जेल में 

    पंजाब पुलिस के जवान सुबह साहिल को घर छोड़ कर गए थे। उन्होंने कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए और फिर साहिल की फोटो लेकर वापस लौट गए। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी न तो जिला प्रशासन को दी गई और न ही स्थानीय पुलिस को। साहिल सात महीने पहले अमेरिका के लिए घर से रवाना हो गया था। उसको वहां जाते छह महीने से अधिक का समय लगा। अभी 15 दिन से जेल में ही बंद था।

    अंबाला तक पुलिस ने उसको हाथ और पैरों में हथकड़ी लगाई हुई थी। साहिल 19 साल का ही है और घर की स्थिति सुधारने के लिए गया था। इस पर करीब 45 लाख रुपये खर्च हो गए थे। इसके लिए कुछ जमीन बेची थी तो कुछ रुपये ब्याज पर लिए थे।

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    डंकी में गया था तो उसे पहले दुबई और मैक्सिको में रखा गया। पनामा के जंगल में रहना पड़ा। अमेरिका की दीवार कूदी तो वहां पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया गया। डिपोर्ट होने वाले युवाओं में साहिल का नाम देखा तो तभी से पूरा परिवार परेशान है। साहिल भी परेशान है।

    अमेरिका जाकर बेहतर जीवन जीने का सपना हुआ चकनाचूर

    अमेरिका जाकर बेहतर जीवन जीने और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का सपना देख रहे फरमाणा गांव के अंकित का सपना चकनाचूर हो गया। अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे अंकित को वहां की पुलिस ने पकड़ लिया और एक महीने तक जेल में रखने के बाद भारत डिपोर्ट कर दिया।

    अमेरिका जाने के लिए उसने तीन बीघे जमीन बेच दी थी, लेकिन अब न तो वह पैसे कमा सका और न ही अपनी जमीन बचा सका। अब उसके परिवार की आर्थिक हालत और खराब हो गई है। अंकित ने बताया अमेरिका जाने के बाद उसने यातनाएं ही सही हैं। गांव फरमाणा के अंकित ने अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए डंकी रूट का सहारा लिया। दलालों ने उसे टूरिस्ट वीजा पर भेजने का झांसा दिया था, लेकिन बाद में उसे खतरनाक डंकी रूट से अमेरिका भेजा गया।

    अमेरिका पहुंचने में उसे डेढ़ महीने का वक्त लगा, वहां की बार्डर पुलिस ने अमेरिका में प्रवेश करते ही उसे पकड़ लिया और 31 दिन तक जेल में रखा। इसके बाद उसे भारत डिपोर्ट कर दिया गया। 

    अंकित ने बताया कि अमेरिका में पकड़े जाने के बाद अंकित को 31 दिन तक जेल में रखा गया। इस दौरान उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसे तीन दिन और तीन रात तक सोने नहीं दिया गया। उसे कच्चा-पक्का खाना ही दिया जाता था। जेल में सर्दी के बावजूद चादर तक नहीं दी गई, बल्कि एक पतली शीट दी गई थी।

    गगनप्रीत को घर पहुंचने पर भर आई स्वजनों की आंखें

    अमेरिका से डिपोर्ट हुआ फतेहाबाद के गांव दिगोह निवासी गगनप्रीत सिंह वीरवार सुबह छह बजे घर पहुंचा। तीन साल बाद बेटे को देख स्वजन की आंखें भर आईं। गगनप्रीत स्टडी वीजा पर 23 अगस्त 2022 को इंग्लैंड गया था। उसके लिए पिता ने तीन में से ढाई एकड़ जमीन बेचकर पैसों का इंतजाम किया था।

    इंग्लैंड में यूनिवर्सिटी की फीस भरने के लिए गगनप्रीत ने काम भी किया, लेकिन पर्याप्त पैसा नहीं रहा। स्टडी वीजा खत्म होने लगा तो डंकी के जरिये अमेरिका जाने का मन बनाया। एजेंट को साढ़े 16 लाख रुपये दिए। 17 दिसंबर को फ्रांस पहुंचा। स्पेन होते हुए 22 जनवरी को बार्डर क्रास कर अमेरिका पहुंचा।

    उसी दिन उसे अमेरिका की आर्मी ने पकड़ लिया। उसे डिटेंनशन सेंटर में ही रखा हुआ था। 10 दिन वहां पर रहने के बाद 2 फरवरी को भारत के लिए डिपोर्ट कर दिया। दोनों हाथ व पैरों में हथकड़ी थी। जब अमेरिका से सभी चले थे तो उनके फोन बैग में रखवा दिए गए थे।

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