हरियाणा में तीन साल से हो रहे थे रजिस्ट्रियों में घोटाले, घपलेबाजों ने सिस्टम में खामियाें का उठाया लाभ
Haryana Registry Scam हरियाणा में रजिस्ट्रियां घोटाले तीन साल से हो रहे थे। घोटालेबाज विभागीय सिस्टम में खामियों का फायदा उठा रहे थे। मंडलायुक्तों ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले के लिए सिस्टम को दोषी ठहराया है। अब राज्य सरकार इन खामियों को दुरुस्त करने में जुट गई है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में पिछले तीन सालों के दौरान हुई रजिस्ट्रियों में अनियमितताएं कमजोर सिस्टम की देन हैं। प्रदेश के छह मंडलायुक्तों ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजी अपनी रिपोर्ट में सिस्टम की खामियों की तरफ इशारा किया है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, शहरी निकाय विभाग और शहरी आयोजना विभाग ने सिस्टम में खामियों का भरपूर फायदा उठाया और नियमों की अनदेखी करते हुए मोटे सुविधा शुल्क हासिल कर अवैध ढंग से रजिस्ट्रियां कर डाली। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के टेबल पर यह रिपोर्ट पहुंच चुकी है।
मंडलायुक्तों ने अपनी रिपोर्ट में रजिस्टि्रयों की अनियमितताओं के लिए सिस्टम को दोषी ठहराया
कोरोना काल में हुए रजिस्ट्री घोटाले की बात सामने आने के बाद डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने खुद आगे बढ़कर पिछले तीन सालों में हुई रजिस्ट्रियों की जांच मंडलायुक्तों से कराने की पहल की थी। इसके पीछे उनकी मंशा यही थी कि वह बता सकें कि यह घोटाला सिर्फ कोरोना काल में नहीं हुआ। यह बरसों से चला आ रहा है।
तीन साल में हुए घोटालों की जांच के पीछे दुष्यंत ने एक तीर से दो शिकार खेले हैं। पहला तो यह है कि उनके पास कहने को हो गया कि रजिस्ट्री में जो भी सिस्टम अपनाया जा रहा है, वह नया नहीं है, बल्कि पुराना है। बता दें कि पिछले दो सालों में यह विभाग तत्कालीन मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के पास था।
गृह मंत्री अनिल विज ने कोरोना काल में अवैध शराब की बिक्री और जहरीली शराब पीने से हुई मौतों की जांच के लिए जो कमेटियां बनाई हैं, उन्होंने भी पिछले तीन सालों में हुए गड़बड़झाले की जांच की है। यानी आबकारी एवं कराधान विभाग के मंत्री भी तब कैप्टन अभिमन्यु थे। विज हों या दुष्यंत दोनों की लड़ाई में सुई कैप्टन की तरफ मोड़ने की कोशिश हो रही है।
यूं कहिये कि दोनों की तरफ से उन्हें एक दूसरे के विरुद्ध हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया जा रहा है। इससे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद दुविधा में हैं। यह भी सच है कि जब कैप्टन मंत्री थे, तब उन्होंने आबकारी और राजस्व विभाग की लीकेज बंद करने की दिशा में काफी काम किए थे, जो अब विज और दुष्यंत करने में लगे हैं।
जागरण ने पहले ही बता दी थी मंडलायुक्तों की रिपोर्ट, 120 अधिकारियों पर अटकी सुई
बता दें कि दैनिक जागरण ने सबसे पहले मंडलायुक्तों की रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि राजस्व, शहरी निकाय और आयोजना विभाग के करीब 150 अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। मंडलायुक्तों की फाइनल रिपोर्ट में अब 120 अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यप्रणाली संदिग्ध मानी गई है। सरकार इतनी अधिक संख्या में अफसरों व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करेगी, इसमें संदेह है, लेकिन सिस्टम को सुधारने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।
राजस्व विभाग के अफसरों की ट्रेनिंग का शेड्यूल जल्द होगा जारी
पिछले तीन साल में 7-ए के तहत हुई रजिस्ट्रियों में गड़बड़ सामने आने के बाद अब राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को नए सिस्टम के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि भविष्य में काम को लेकर किसी तरह की कोताही सामने न आ सके। जांच के दौरान कई ऐसी रजिस्ट्री भी सामने आई, जो तहसील के कैमरे की बजाय मोबाइल से फोटो कर की गई हैं। ऐसी रजिस्ट्रियां अपने आप में संदिग्ध हैं।
तीन साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच हिसार, अंबाला, करनाल, रोहतक, फरीदाबाद और गुरुग्राम के मंडलायुक्तों ने की है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीश कौशल ने राजस्व विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को नए सिरे से ट्रेनिंग दिलाने की बात कही है। तकनीकी जानकारी के लिए प्रशिक्षण का शेडयूल जल्द जारी होगा। ऐसी ही ट्रेनिंग की जरूरत शहरी निकाय और आयोजना विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी है।
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