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    पंजाब-हरियाणा HC का बड़ा फैसला, पति का जारी चेक बाउंस होने पर पत्नी के खिलाफ नहीं चलेगा केस; पढ़ें क्यों लिया ये निर्णय

    By Dayanand SharmaEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sun, 03 Dec 2023 09:04 AM (IST)

    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्टï कर दिया कि पति के जारी किए गए चेक के बाउंस होने पर पत्नी के खिलाफ केवल इस आधार पर मामला नहीं चलाया जा सकता कि वह बैंक खाता संयुक्त था। पत्नी के चेक पर हस्ताक्षर नहींं है तो कानून उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं देता। हाईकोर्ट ने महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया।

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    पंजाब-हरियाणा HC का बड़ा फैसला, पति का जारी चेक बाउंस होने पर पत्नी के खिलाफ नहीं चलेगा केस

    दयानंद शर्मा,चंडीगढ़। Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्टï कर दिया कि पति के जारी किए गए चेक के बाउंस होने पर पत्नी के खिलाफ केवल इस आधार पर मामला नहीं चलाया जा सकता कि वह बैंक खाता संयुक्त था।

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    पत्नी के चेक पर हस्ताक्षर नहींं है तो कानून उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं देता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया है।

    शिकायतकर्ता से लिए थे 5 लाख रुपये 

    याचिका दाखिल करते हुए शालू अरोड़ा ने बताया कि तनु बाथला ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत याची व उसके पति के खिलाफ अदालत को शिकायत दी थी। शिकायत के अनुसार याचिकाकर्ता व उसके पति रमन कुमार अरोड़ा ने शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपये लिए थे और गारंटी के तौर पर एक चेक दिया था।

    बैलेंस न होने से बाउंस हुआ चेक

    जब इस चेक को बैंक में लगाया गया तो यह बैलेंस न होने के चलते बाउंस हो गया। शिकायत के आधार पर मोहाली की अदालत ने याची व उसके पति के खिलाफ समन आदेश जारी कर दिए। याची ने कहा कि जिस बैंक खाते का चेक जारी किया गया था वह याची व उसके पति का संयुक्त खाता है लेकिन याची ने चेक पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

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    याचिकाकर्ता के खिलाफ रद्द की गई कानूनी कार्रवाई

    सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि चेक पर साइन न होने की स्थिति में याची के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की ही नहीं जा सकती। कानून के अनुसार चेक पर साइन करने वाले को ही आरोपित बनाया जा सकता है और याचिकाकर्ता के चेक पर हस्ताक्षर नहीं थे। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को सिरे से रद्द कर दिया है। हालांकि याची के पति के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने की छूट दी है।

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