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    पंचकूला में लेआउट प्लान को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- अस्पताल को हटाना संविधान का उल्लंघन

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 03:53 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने हरियाणा के पंचकूला सेक्टर 21 के लेआउट प्लान को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अस्पताल के निर्माण को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि इससे क्षेत्र में ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा खासकर जब राज्य प्राधिकरण द्वारा मल्टी-लेवल पार्किंग की योजना बनाई गई है।

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    पंचकूला के अलकेमिस्ट अस्पताल को हटाने की मांग की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने हरियाणा के पंचकूला सेक्टर 21 के लेआउट प्लान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि अस्पताल के निर्माण को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि इससे क्षेत्र में ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा, खासकर जब राज्य प्राधिकरण द्वारा मल्टी-लेवल पार्किंग की योजना बनाई गई है।

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    कोर्ट ने माना कि इस मामले में अस्पताल को हटाना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत व्यापार और पेशे के अभ्यास के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

    याचिका में लगाया गया था ये आरोप

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस विकास सूरी की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संबंधित स्थल पर अलकेमिस्ट अस्पताल चला रहे हैं, जहां अतिरिक्त बुनियादी ढांचे को जोड़ा जाएगा, और इस प्रकार व्यापार और पेशा करने के अधिकार को मौजूदा याचिका के माध्यम से रोका नहीं जा सकता, जब तक कि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को स्पष्ट रूप से कोई ठोस क्षति सिद्ध न हो।

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    कोर्ट ने निवासियों की इस चिंता को भी रेखांकित किया कि अस्पताल के कारण ट्रैफिक का प्रवाह बढ़ेगा, जिसे मल्टी-लेवल पार्किंग की योजना के माध्यम से कम करने की बात कही गई है। कोर्ट ने कहा कि यदि अस्पताल के मौलिक अधिकार को बाधित किया गया, तो यह गंभीर अन्याय होगा।

    कोर्ट हरियाणा के पंचकूला सेक्टर 21 के लेआउट प्लान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आवासीय क्षेत्र को नर्सिंग क्षेत्र में बदला गया और प्रभावित निवासियों से आपत्ति व सुझाव नहीं मांगे गए।

    सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

    कोर्ट ने हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अधिनियम, 1963 की कानूनी व्यवस्था का परीक्षण करते हुए पाया कि सेक्टर-21 को इस अधिनियम की धारा चार के तहत नियंत्रित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया था, इसलिए धारा पांच के तहत आपत्तियां आमंत्रित करने की आवश्यकता नहीं थी।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि लेआउट में बदलाव से याचिकाकर्ताओं को कोई सीधा नुकसान होने के प्रमाण नहीं हैं। नर्सिंग होम साइटों को जोड़ना जनकल्याण के लिए किया गया है, जिससे बुजुर्गों और विकलांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।

    हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

    पार्किंग की समस्या को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि मल्टी-लेवल पार्किंग और अतिरिक्त फुटपाथ का निर्माण किया जाएगा।

    कोर्ट ने इस समाधान को संतोषजनक माना। पीठ ने यह भी कहा कि जिन भूखंडों की ई-नीलामी की गई, उसकी सूचना पहले ही दी गई थी और याचिकाकर्ताओं को उस समय आपत्ति का अधिकार था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसलिए अब वे इस नीलामी को चुनौती नहीं दे सकते।

    इन सभी तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने पाया कि याचिका में न तो कोई अनुचितता है और न ही कोई कानूनी उल्लंघन इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।

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