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    Punjab News: जांच में शामिल नहीं हुए आरोपित, हाईकोर्ट ने थाना प्रभारी को कर दिया वीडियो कॉल; देखते रह गए लोग

    Updated: Mon, 09 Dec 2024 07:17 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपितों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एक अनोखा कदम उठाया। कोर्ट ने राज्य और याचिकाकर्ता पक्ष के विरोधाभासी दावों को जानने के लिए संबंधित थाना प्रभारी को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया। इस घटनाक्रम ने सभी को चौंका दिया और न्याय प्रक्रिया में तकनीक के इस्तेमाल की एक नई मिसाल पेश की।

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    जब हाईकोर्ट ने थाना प्रभारी को कर दिया वीडियो कॉल।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सरकार व याची पक्ष के विरोधाभासी दावों को जानने के लिए हाईकोर्ट ने संबंधित थाना प्रभारी को वाट्सएप पर वीडियो कॉल किया। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया जब सरकारी वकील ने कहा कि आरोपित जांच में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन आरोपितों के वकील ने कहा कि पुलिस अधिकारी उनको जांच में शामिल होने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जबकि वे पुलिस थाने में मौजूद हैं।

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    जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि चूंकि दोनों पक्षों की दलीलें विश्वास पैदा नहीं करती हैं, इसलिए इस कोर्ट ने वीडियो कॉल के माध्यम से कार्यवाही देखना उचित समझा और पंजाब के सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वे थाना प्रभारी सोहना (एसएएस नगर, मोहाली) को वाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल पर जोड़ें।

    थाना प्रभारी से संपर्क किया गया और दूसरी ओर आरोपितों के वकील ने भी आरोपितों पुलिस थाने में रिपोर्ट करने को कहा। वीडियो कॉल पर कोर्ट ने पुलिस थाने की कार्यवाही देखी, जिसमें दोनों याचिकाकर्ता आरोपित मौजूद थे। एसएचओ ने कहा कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं और उन्हें आगे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है।

    याचिकाकर्ता पुलिस थाने के मुख्य द्वार पर खड़े थे

    हाईकोर्ट धोखाधड़ी के मामले में आरोपित कुलविंद्र सिंह व अन्य को अग्रिम जमानत देते समय जांच में शामिल होने के लिए दिए गए समय को बढ़ाने के लिए एक अर्जी पर सुनवाई कर रहा था। जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो राज्य की ओर से एसएचओ का हलफनामा दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल नहीं हुए हैं।

    दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं के वकील ने तस्वीरें पेश की, जिसमें दिखाया गया कि आरोपित याचिकाकर्ता पुलिस थाने के मुख्य द्वार पर खड़े थे।

    इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि उसके पास 2 दिसंबर, 2024 से संबंधित सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक की सीसीटीवी फुटेज है, जिससे यह साबित होता है कि याचिकाकर्ता किसी भी समय जांच में शामिल होने के लिए पुलिस स्टेशन में उपस्थित नहीं होते हैं और तस्वीरों को किसी अन्य समय इस कोर्ट के समक्ष बचाव के लिए तैयार किया गया है, वह भी केवल पुलिस स्टेशन के मुख्य द्वार पर।

    विवाद को सुलझाने के लिए हाई कोर्ट ने पुलिस स्टेशन को सीधे वाट्सएप पर वीडियो काल करने का निर्णय लिया। वीडियो काल पर एसएचओ की दलीलों को ध्यान में रखते हुए याचिका का निपटारा कर दिया गया।